दिल्ली के बायोडायवर्सिटी पार्को से बढ़ी जीव-जंतुओं की संख्या, पर्यावरण के प्रति जागरूक का भी बन रहे माध्यम

पिछले कुछ सालों में यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क में कई प्रजातियों के पक्षियों की संख्या में वृद्धि हुई है। यहां 2016 में एक तेंदुआ भी देखा गया था। वहीं अरावली जैव विविधता पार्क में भारतीय पित्त और काली चील जैसे पक्षी देखे गए हैं।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Sat, 22 May 2021 12:12 PM (IST) Updated:Sat, 22 May 2021 12:12 PM (IST)
दिल्ली के बायोडायवर्सिटी पार्को से बढ़ी जीव-जंतुओं की संख्या, पर्यावरण के प्रति जागरूक का भी बन रहे माध्यम
यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क में फूल पर बैठी तितली

 नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के सात बायोडायवर्सिटी पार्क इस कोरोना काल में भी आबोहवा में सुधार कर रहे हैं। इन पार्को की वजह से राजधानी में जीव-जंतुओं की संख्या में वृद्धि हुई है। इसके साथ ही हरित क्षेत्र में इजाफा हुआ औैर भूजल स्तर में भी सुधार देखने को मिला है। राजधानी में सबसे पहले 2002 में यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क की शुरुआत हुई थी। इसके बाद 2005 में अरावली, 2015 में तिलपथ वैली और कमला नेहरू रिज, 2016 में नीला हौज और तुगलकाबाद तथा 2020 में कालिंदी बायोडायवर्सिटी पार्क की शुरुआत की गई थी।

इन पार्को से वनस्पतियों को जहां बढ़ावा मिला है, वहीं जीवों को भी आश्रय मिल रहा है। पिछले कुछ सालों में यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क में कई प्रजातियों के पक्षियों की संख्या में वृद्धि हुई है। यहां 2016 में एक तेंदुआ भी देखा गया था। वहीं अरावली जैव विविधता पार्क में भारतीय पित्त और काली चील जैसे पक्षी देखे गए हैं। अरुणा आसफ अली मार्ग पर स्थित नीला हौज पार्क में एक ऐतिहासिक झील, जो मलबे और सीवेज के कारण बेकार हो गई थी, उसे पुनर्जीवित किया गया।

बायोडायवर्सिटी पार्क में ऐसे हुआ जैव विविधता में सुधार

यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क

                              2002      2020 

 सतही पौधे                 90          915

 जलीय पौधे                  02        101

 चिडि़या                        37      203

 तितलियां                      11       82

 सांप-मेंढक                     03       18

 स्तनधारी जीव                 04      22

 मछलियां                        00     18

 अरावली बायोडायवर्सिटी पार्क

                                  2005        2020

 सतही पौधे                      150       950

 जलीय पौधे                      42           209

 चिडि़या                            13           113   

 तितलियां                            8            31

 सांप-मेंढक                          03           18

 स्तनधारी जीव                      05             19     

तिलपथ वैली बायोडायवर्सिटी पार्क   

                2015               2020

सतही पौधे     156                  481

जलीय पौधे     00                     03         

चिडि़या          81                  125

तितलियां         21                   55       

सांप-मेंढक       14                   15

स्तनधारी जीव   05                  07

मछलियां          00               00

कमला नेहरू रिज बायोडायवर्सिटी पार्क 

               2015     2020

सतही पौधे    87           415

जलीय पौधे    04             20

चिडि़या         64            71

तितलियां        31          46

सांप-मेंढक        08         11

स्तनधारी जीव   07             07

मछलियां          00           05

नीला हौज बायोडायवर्सिटी पार्क 

                2016        2020

सतही पौधे    90             115

जलीय पौधे  20                20

चिडि़या       100            131

तितलियां      15              40

सांप-मेंढक    06                07 

स्तनधारी जीव  03             06 

मछलियां        00               05

तुगलकाबाद बायोडायवर्सिटी पार्क 

                2016    2020

सतही पौधे 90           155

जलीय पौधे 0              08

चिडि़या      112        112

तितलियां    35           44

सांप-मेंढक   18          18

स्तनधारी जीव  09       09

मछलियां     00            00

कालिंदी बायोडायवर्सिटी पार्क   (2020)

सतही पौधे 38 

जलीय पौधे 09

चिड़िया 80

तितलियां 25 

सांप-मेंढक 04

स्तनधारी जीव 02

मछलियां     02

यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क के प्रभारी फैयाज ओ खुदसर ने बताया कि डीडीए के बायोडायवर्सिटी पार्कों ने न केवल दुनियाभर के शहरी क्षेत्रों से लुप्त होती प्राकृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए एक माडल प्रस्तुत किया है, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला भी प्रदान की है। यह पार्क समाज को पर्यावरण के प्रति जागरूक और शिक्षित करने का एक माध्यम भी बन रहे हैं।  

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