कोर्ट में वकील ने कई धार्मिक आयोजनों की तस्वीरें दिखाते हुए कहा इशरत किसी धर्म की विरोधी नहीं है

अधिवक्ता ने यह भी कि इशरत युवा नेता होने के साथ एक वकील भी रही है। सिंगापुर मलेशिया म्यांमार में उसने राजनीतिक सम्मेलनों में देश का प्रतिनिधित्व किया है। वह ऐसे इलाके से पार्षद निर्वाचित हुई थी जहां मुस्लिम आबादी बहुत कम थी।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 01:18 PM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 01:18 PM (IST)
कोर्ट में वकील ने कई धार्मिक आयोजनों की तस्वीरें दिखाते हुए कहा इशरत किसी धर्म की विरोधी नहीं है
गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार पूर्व पार्षद इशरत जहां। (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली दंगे की साजिश के मामले में गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार पूर्व पार्षद इशरत जहां की जमानत अर्जी पर शुक्रवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के कोर्ट में सुनवाई हुई। उसके अधिवक्ता प्रदीप तेवतिया ने दलील पेश करने के दौरान कई धार्मिक आयोजनों की तस्वीरें दिखाते हुए कहा कि इशरत किसी धर्म की विरोधी नहीं है।

तस्वीरों में उसके माथे पर लगा टीका और गले में केसरिया चुन्नी से जाहिर होता है कि वह हर धर्म को सम्मान देती है। जांच एजेंसियों ने उसे फंसाने के लिए झूठी कहानी बुनी है। अगर ऐसा नहीं है तो अभियोजन पक्ष कोई गुणवत्तापूर्ण साक्ष्य पेश करे, जिससे साबित हो जाए कि इशरत पर वाकई यूएपीए लगना चाहिए था।

अधिवक्ता प्रदीप तेवतिया के साथ उनके सहयोगी अधिवक्ता गौरव दलाल ने इशरत के वित्तीय लेनदेन को लेकर फिर से कई साक्ष्य पेश किए। उन्होंने कहा कि इशरत के खाते में उसके बहनोई के साझेदार ने चार लाख रुपये से ज्यादा की राशि जमा कराई थी। यह राशि गोल्ड लोन से जुटाकर इशरत को दी गई थी। जोकि एक घरेलू लेनदेन था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इशरत के बहनोई का साझेदार इससे पहले भी लोन लेकर रकम देता रहा है। ये लेनदेन की उसकी सामान्य प्रवृति है। इससे कहीं भी जाहिर नहीं होता था कि इशरत ने रुपये लेकर दंगा कराने में उनका इस्तेमाल किया। आरोप लगाया कि जांच एजेंसी ने इशरत को फंसाने के लिए मनगढ़ंत बनाई है।

अधिवक्ता ने यह भी कि इशरत युवा नेता होने के साथ एक वकील भी रही है। सिंगापुर, मलेशिया, म्यांमार में उसने राजनीतिक सम्मेलनों में देश का प्रतिनिधित्व किया है। वह ऐसे इलाके से पार्षद निर्वाचित हुई थी, जहां मुस्लिम आबादी बहुत कम थी। उसके खिलाफ अभियोजन पक्ष के पास एक भी ठोस साक्ष्य नहीं हैं, जिससे वह यह साबित कर पाएं कि इशरत ने दंगे की साजिश में शामिल रही और यूएपीए उस पर लगाया जाए। वहीं वरिष्ठ लोक अभियोजक अमिताभ प्रसाद ने आज कोर्ट में पेश किए गए दस्तावेजों की प्रति मांगी है। अब इस मामले में अगली सुनवाई दो अगस्त को होगी।

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