Heroes of Delhi Violence: 'हमें परिवार के साथ घर के अंदर ही जला देना चाहते थे उपद्रवी'

Heroes of Delhi Violence शिव विहार की 12 नंबर गली में रह-रहकर तनाव बढ़ रहा था। शाम को बाबरपुर की तरफ से बड़ी संख्या में लोग शिव विहार में दाखिल हुए और घरों पर पथराव करने लगे।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sat, 29 Feb 2020 12:24 AM (IST) Updated:Sat, 29 Feb 2020 11:45 AM (IST)
Heroes of Delhi Violence: 'हमें परिवार के साथ घर के अंदर ही जला देना चाहते थे उपद्रवी'
Heroes of Delhi Violence: 'हमें परिवार के साथ घर के अंदर ही जला देना चाहते थे उपद्रवी'

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Heroes of Delhi Violence: '24 फरवरी की सुबह से ही शिव विहार की 12 नंबर गली में रह-रहकर तनाव बढ़ रहा था। शाम को बाबरपुर की तरफ से बड़ी संख्या में लोग शिव विहार में दाखिल हुए और घरों पर पथराव करने लगे। गेट बंद करके मैं अपनी पत्नी, बेटे, बहू, पोती और पोते के साथ घर के अंदर वाले कमरे में घुस गया था, लेकिन बाहर से ताबड़तोड़ पत्थर चल रहे थे। बाहर से घर में आग लगाई जा रही थी। मैंने कुछ जानने वालों को फोन किया तो कुछ लोग हमारी मदद के लिए आए। उन्हें देख उपद्रवी पीछे चले गए। इसके बाद मैं परिवार को लेकर घर से निकल गया।' शिव विहार निवासी बुजुर्ग नरेश चंद्र ने सहमे हुए अपनी आपबीती सुनाई।

तीन दिन बाद माहौल शांत होने के बाद परिवार सहित वापस लौटे

उनकी पत्नी मुन्नी देवी ने बताया कि जब वह घर में थी तब बाहर से लगातार पत्थर आ रहे थे। कोई पत्थर उनके सिर पर लगता तो कभी उनके सीने पर। उन्होंने बताया कि उपद्रवी हमें परिवार के साथ घर में ही जलाना चाहते थे। उन्होंने बताया कि किसी तरह जब वे जान बचाकर निकले तो दंगाइयों ने घर में लूटपाट की और पूरे घर को आग के हवाले कर दिया। घटना के तीन दिन बाद माहौल थोड़ा शांत होने पर शुक्रवार को नरेश चंद्र पत्नी सहित घर वापस लौट आए हैं, जबकि उनका बेटा, उसकी पत्नी व बच्चे अब भी उनके रिश्तेदार के घर पर हैं।

कपड़े और जेवर लूट ले गए उपद्रवी

गली नंबर 12 निवासी सुधा बताती हैं कि उपद्रवियों ने उनके घर पर पथराव किया और मुख्य द्वार तोड़कर घर में घुस गए। वह पहली मंजिल पर अपने पति राजकुमार के साथ छिप गई और दरवाजा बंद कर लिया। उपद्रवी कपड़े, जेवर व अन्य सामान लूटकर और तोड़फोड़ करके चले गए। शुक्रवार को ही वापस घर लौटी सुधा ने बताया कि डर के कारण वह उस दिन शाम से रात 11 बजे तक ऊपर बैठी रहीं। देर रात जब मोहल्ले के लोग जुटे तब वह बाहर निकलीं। वहीं, मनोज पब्लिक स्कूल को भी उपद्रवियों से स्थानीय लोगों ने बचाया। 

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