बिहार में बालू का खेल सुर्खियों में, राज्य में धड़ल्ले से जारी है इसका अवैध कारोबार
फिलवक्त सरकार की कोशिश बालू की मनमानी कीमत पर अंकुश लगाने की है। बिहार में बालू का खेल सुर्खियों में है। इसके अवैध खनन और मनमानी कीमत ने राज्य सरकार को भी परेशान कर रखा है। वह इसे व्यवस्थित करने में लग गई है।
पटना, स्टेट ब्यूरो। भवन निर्माण चाहे निजी हो या सरकारी, बालू के बिना किसी का काम चलने वाला नहीं है। अभी इसके खनन से लेकर वितरण तक की दोषपूर्ण व्यवस्था से बालू की किल्लत है। दाम भी अनाप-शनाप हैं। दोषपूर्ण व्यवस्था सबके सामने आ चुकी है। बालू माफिया से साठ-गांठ पर दो एसपी समेत दर्जनों पुलिस अफसरों का स्थानांतरण, निलंबन और जेल भेजने की कार्रवाई हो चुकी है। सैकड़ों माफिया भी जेल जा चुके हैं। बालू से अफसरों की काली कमाई पर आर्थिक अपराध इकाई की नजरें हैं। अब सरकार ने सिरदर्द बने बालू के दाम और वितरण को व्यवस्थित करना शुरू किया है।
फिलवक्त सरकार की कोशिश बालू की मनमानी कीमत पर अंकुश लगाने की है। उसने राजधानी पटना में बालू की अधिकतम कीमत चार हजार रुपये प्रति सौ सीएफटी और अन्य जिलों में 3,900 रुपये सीएफटी तय की है। भंडार स्थल अथवा घाट से बालू परिवहन का प्रति किमी शुल्क तय करने की जिम्मेदारी जिलाधिकारी और परिवहन विभाग को दी है। अभी स्थिति यह है कि घाट से चार हजार रुपये सीएफटी वाला बालू 40-50 किमी दूर शहर पहुंचने पर 13 से 14 हजार रुपये का हो जाता है। इससे मकान बनवाने वाले आम लोगों के साथ बिल्डर और सरकारी कार्य कराने वाले ठेकेदारों के रोने की नौबत आ जाती है।
बड़ी वजह यह है कि बारिश में खनन बंद होने की स्थिति में स्टाक बालू का उठाव नहीं हो रहा था। यह बालू घाट पर खनन का ठीका लेने वाली कंपनियों का है जो भाग खड़ी हुई हैं। ऐसे में माफिया अवैध खनन कर रहे हैं और उनका बालू घाट से शहर आते-आते पुलिस की वसूली का शिकार होने के बाद तीन गुना तक महंगा हो जाता है। चिंतित सरकार ने अब बालू की कीमतों पर अंकुश की कवायद शुरू की है। खान एवं भूतत्व विभाग की प्रधान सचिव ने कई जिलों के डीएम के साथ बालू की उपलब्धता, कीमत और परिवहन शुल्क को लेकर वीडियो कांफ्रेंस कर निर्देश दिए हैं कि वे कीमतें तय करने के साथ प्रति किमी बालू ढुलाई का परिवहन शुल्क भी निर्धारित करें। इससे कुछ हद तक हालात सुधरने की उम्मीद की जा सकती है। बिहार में बालू का खेल सुर्खियों में है। इसके अवैध खनन और मनमानी कीमत ने राज्य सरकार को भी परेशान कर रखा है। वह इसे व्यवस्थित करने में लग गई है।