Aravali, Faridabad House Demolition: खोरी गांव में अतिक्रमण के साथ ही हटेंगे अरावली वन क्षेत्र में बने अवैध निर्माण
Aravali Faridabad House Demolition सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार खोरी गांव में अतिक्रमण हटाने संबंधी मामले में सुनवाई करते हुए साफ कर दिया है कि प्रशासन को वन क्षेत्र में हुए सभी अतिक्रमण व अवैध निर्माण हटाने होंगे।
नई दिल्ली/फरीदाबाद [बिजेंद्र बंसल]। फरीदाबाद के खोरी गांव में वन क्षेत्र की जमीन पर हुए अतिक्रमण के साथ ही अब अरावली वन क्षेत्र के अन्य अवैध निर्माण भी हटेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार खोरी गांव में अतिक्रमण हटाने संबंधी मामले में सुनवाई करते हुए साफ कर दिया है कि प्रशासन को वन क्षेत्र में हुए सभी अतिक्रमण व अवैध निर्माण हटाने होंगे। इससे फरीदाबाद-सूरजकुंड मार्ग, फरीदाबाद-गुरुग्राम मार्ग पर अवैध रूप से बन रहे फार्म हाउस व अन्य संस्थानों पर गाज गिरेगी। शीर्ष अदालत के इस आदेश के बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के उस आदेश पर भी मुहर लग गई है कि अरावली में हो रहे अवैध निर्माणों से वन क्षेत्र कम हो रहा है। इसके अलावा अरावली के वन क्षेत्र में खोरी जैसी बस रही कालोनी पार्ट-एक और पार्ट-दो पर भी कार्रवाई होगी।
कोरोना महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन में हो गया अवैध निर्माणों में विस्तार
अरावली वन क्षेत्र में कोरोना महामारी के दौरान लगे लाकडाउन में खूब अवैध निर्माण हुए हैं। पहले से बने फार्म हाउस व अन्य संस्थानों ने भी इस दौरान अपने परिसर के निर्माणों में विस्तार किया। फरीदाबाद में आठ तो गुरुग्राम में सात नए फार्म हाउस बने। गुरुग्राम प्रशासन ने खोरी मामले से पहले ही नए और पुराने फार्म हाउस पर तोड़फोड़ की कार्रवाई की है मगर फरीदाबाद प्रशासन इसमें पीछे रहा। खोरी मामले के बाद फरीदाबाद प्रशासन ने अन्य अवैध निर्माणों पर तब कार्रवाई की जब मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने फरीदाबाद प्रवास के दौरान इनमें तोड़फोड़ के आदेश दिए थे।
फरीदाबाद जिला के अरावली क्षेत्र में सूरजकुंड मार्ग से पश्चिम की तरफ तीन ऐसे रास्ते हैं जिनमें पांच किलोमीटर अंदर तक वन क्षेत्र की भूमि पर बैंक्वेट हाल बन गए हैं। इन तीनों रास्तों को पहाड़ की बजरी व रोड़ी से ही पक्का बना दिया गया है। अब इन पर तारकोल की कारपेटिंग ही करना बकाया है। ये बैंक्वेट हाल या फार्म हाउस सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से संबंध रखने वाले लोगों के हैं।
खोरी में हुई तोड़फोड़ के बाद लगातार बढ़ रहा है जमाई कालोनी अतिक्रमणखोरी से विस्थापित हुए काफी संख्या में लोग फरीदाबाद-गुरुग्राम मार्ग के बाएं और दाएं ओर बसी जमाई कालोनी में बस रहे हैं। दाएं ओर बसी जमाई कालोनी करीब 15 साल पुरानी है तो बाएं ओर बसी कालोनी सात साल पुरानी है। दोनों ही कालोनी वन क्षेत्र की जमीन पर अतिक्रमण करके बनाई गई हैं। इस सरकारी जमीन को भी माफिया ने ऐसे ही बेचा है जैसे खोरी को बेचा था।
गरीब की झोंपड़ी टूटे या अमीर का फार्म हाउस
माफिया से मिले भ्रष्ट तंत्र पर कार्रवाई नहींखोरी गांव में वन क्षेत्र की 150 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण एक दिन में नहीं हुए। पिछले 20 साल में ये अतिक्रमण हुए हैं। गांववासियों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में यहां तक तर्क दिया जा चुका है कि खोरी में सरकारी स्कूल व पार्क और बिजली की व्यवस्था है। अब सवाल उठता है कि पुरानी खोरी बस्ती हो या फिर नई जमाई कालोनी, इनमें सरकारी सुविधाएं उपलब्ध कराने वालों पर भी क्या कोई कार्रवाई हो रही है। जिस माफिया ने यहां सरकारी जमीन का कब्जा देने के नाम पर गरीबों को लूटा, क्या उन पर कोई कार्रवाई होगी। अभी तक सिर्फ माफिया के नाम पर आठ एफआइआर दर्ज हुई हैं। जबकि यहां सरकारी जमीन बेचने वाले माफिया गिरोह में पचास से ज्यादा लोग शामिल हैं। शासन की तरफ से खोरी और जमाई कालोनी बसने के लिए जिम्मेदारी अधिकारियों पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
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