एक छोटी सी गांठ को नजरअंदाज करना महिला को पड़ गया भारी, करानी पड़ी सर्जरी, पढ़िए पूरी खबर

महिला के बाएं पैर (जांघ) पर एक छोटी सी गांठ बढ़ते-बढ़ते इतनी बढ़ गई कि सर्जरी की नौबत आ गई। काफी अस्पतालों में धक्के खाने के बाद जब वे रघुबीर नगर स्थित गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल पहुंची तो जहां उनकी सर्जरी हुई और अब वे बिल्कुल स्वस्थ हैं।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Fri, 08 Oct 2021 05:00 PM (IST) Updated:Fri, 08 Oct 2021 05:00 PM (IST)
एक छोटी सी गांठ को नजरअंदाज करना महिला को पड़ गया भारी, करानी पड़ी सर्जरी, पढ़िए पूरी खबर
महिला के बाएं पैर से 2.250 किलोग्राम व 12 इंच लंबा ट्यूमर निकाला गया है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। उत्तम नगर निवासी 47 वर्षीय महिला के बाएं पैर (जांघ) पर एक छोटी सी गांठ बढ़ते-बढ़ते इतनी बढ़ गई कि सर्जरी की नौबत आ गई। कोरोना महामारी के कारण उन्हें कहीं इलाज नहीं मिला। काफी अस्पतालों में धक्के खाने के बाद जब वे रघुबीर नगर स्थित गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल पहुंची, तो जहां उनकी सर्जरी हुई और अब वे बिल्कुल स्वस्थ हैं। अस्पताल में हड्डी रोग विभाग के अध्यक्ष डा. नरेश चंद्रा ने बताया कि 22 सितंबर को सफलतापूर्वक महिला की सर्जरी संपन्न हुई। महिला के बाएं पैर से 2.250 किलोग्राम व 12 इंच लंबा ट्यूमर निकाला गया है।

फिलहाल ट्यूमर को जांच के लिए लैब भेजा गया है। ताकि ट्यूमर का कारण व इससे कोई भविष्य में परेशानी की जानकारी मिल सके। पर प्राथमिक जांच की रिपोर्टों को देखे तो महिला को काेई परेशानी नहीं है। डा. नरेश बताते हैं कि आमतौर पर पैर में ट्यूमर के मामले काफी कम ही सामने आते है। सर्जरी के दौरान ट्यूमर के आसपास की नसों के फट जाने का डर एक सबसे बड़ी चुनौती थी, क्योंकि यदि ऐसा होता तो महिला का पैर काटने की नौबत आ सकती थी। डेढ़ घंटे की सर्जरी में एनेस्थेसिया विशेषज्ञ डा. अर्चना व अन्य विशेषज्ञों का भी काफी अहम योगदान रहा।

मिला जीवनदान :

महिला ने बताया कि पांच वर्ष पहले उन्हें छोटी सी गांठ हुई थी, जिसे उन्होंने हल्के में लिया और काफी समय तक नजरअंदाज किया। पर धीरे-धीरे गांठ का आकार बढ़ने लगा। जिसके बाद उन्हें निजी व सरकारी कई चिकित्सकों को दिखाया, पर चिकित्सकों ने कहा कि यह चर्बी की गांठ है। कहीं भी उचित चिकित्सा सलाह नहीं मिली और गांठ बढ़ती चली गई। हालांकि गांठ में मुझे कभी दर्द नहीं हुआ और न कभी वजन महसूस हुआ।

साथ ही चलने में भी कभी कोई परेशानी नहीं हुई। बस डर मन में डर लगा रहता था कि न जाने यह गांठ कौन सी बीमारी का रूप लेगी। इसके अलावा डर होता था कि कहीं मेरा पैर काटने की नौबत न आ जाए। यह सोच सोच कर मन में डर का माहौल बन गया था। पर डा. नरेश चंद्रा ने काफी सूझबूझ व समझदारी के साथ मेरी सर्जरी की है और अब मैं बिल्कुल स्वस्थ हूं।

chat bot
आपका साथी