जागरूकता और स्वच्छता का अगर रखे ध्यान तो मिल सकता है डेंगू से छुटकाराः डॉ. अनिल बंसल

दिल्ली-एनसीआर की राज्य सरकारों से लेकर नगर निगमों और प्राधिकरणों को इसके लिए गंभीरता से कदम उठाने होंगे। इसके लिए सड़कों को दुरुस्त करना सबसे ज्यादा जरूरी है। ऐसा कोई भी स्थान हम न छोड़ें जहां पर पानी जमा हो और उनमें मच्छरों का प्रजनन हो।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Wed, 30 Sep 2020 04:03 PM (IST) Updated:Wed, 30 Sep 2020 04:03 PM (IST)
जागरूकता और स्वच्छता का अगर रखे ध्यान तो मिल सकता है डेंगू से छुटकाराः डॉ. अनिल बंसल
चिकनगुनिया वायरस संक्रमित मच्छरों के काटने से होता है। फाइल फोटो

नई दिल्ली। केंद्र से लेकर राज्य सरकार और नगर निगम तक सबको पता है कि मच्छरजनित बीमारियों को रोकने के लिए क्या-क्या कदम उठाए जाने चाहिए, बावजूद इसके साल दर साल डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है यह सोचने वाली बात है।

अगर लोग अपने घर के साथ साथ आसपास भी साफ सफाई रखें, सरकार तथा नगर निगम बरसात के समय से ही जलजमाव न हो इस बात का ध्यान रखें, तो बीमारियों पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है।

नालियों की समय से हो सफाई

दिल्ली-एनसीआर की राज्य सरकारों से लेकर नगर निगमों और प्राधिकरणों को इसके लिए गंभीरता से कदम उठाने होंगे। इसके लिए सड़कों को दुरुस्त करना सबसे ज्यादा जरूरी है। ऐसा कोई भी स्थान हम न छोड़ें जहां पर पानी जमा हो और उनमें मच्छरों का प्रजनन हो। अक्सर देखने में आता है कि सड़कों पर या इसके आसपास बने गड्ढों में बरसात के बाद लंबे समय तक पानी जमा रहता है। धीरे-धीरे इनमें मच्छर पनपने लगते हैं और फिर इनसे बीमारियों का फैलना शुरू हो जाता है।

इसके अलावा बरसात से पहले नालों की सफाई भी हो जानी चाहिए। पूरे शहर की गंदगी और पानी दोनों जमा होने से इनमें मलेरिया के मच्छरों का प्रजनन होता है। उसी से पूरे शहर में मलेरिया का प्रसार होता है। इसलिए स्थानीय निकायों से लेकर राज्य सरकार की सभी सिविक एजेंसियों व प्राधिकरणों को चाहिए कि वह समय रहते हर वर्ष नालों की साफ-सफाई सुनिश्चित करें।

बचाव के उपायों से कराएं अवगत

इसके बाद बात आती है घर और दफ्तर की। आमतौर पर घरों और दफ्तरों में लोग पूरे साल जो भी कबाड़, टूटे बर्तन या खराब टायर, इनवर्टर की बैट्री, खराब मेज या कुर्सी सब छत पर खुले आसमान के नीचे डाल देते हैं। बरसात के बाद इनमें पानी जमा होने से मच्छरों का जन्म होता है। ऐसे में जब भी लोग घर या दफ्तर में स्वच्छ हवा के लिए छत पर जाते हैं तो इन मच्छरों का शिकार होकर डेंगू, मलेरिया या चिकनगुनिया की चपेट में आ जाते हैं। इसलिए यह सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है कि छत पर या घर-दफ्तर में कहीं भी कबाड़ जमा न हो और न ही उसमें पानी एकत्र हो। अक्सर दिल्ली-एनसीआर में सरकारी कार्यालय में मच्छरों का लार्वा मिलने की खबरें आती रहती हैं।

ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि लोग मच्छरजनित बीमारियों की रोकथाम के लिए सजग नहीं हैं। इसके लिए हर व्यक्ति का जागरूक होना जरूरी है। सरकार को चाहिए कि वह अखबार से लेकर टेलिविजन तक में विज्ञापन देकर जागरूकता कार्यक्रम चलाए। हालांकि सरकार की तरफ से ऐसा किया जा रहा है लेकिन यह प्रयास नाकाफी है। इसे युद्ध स्तर पर लागू करने की जरूरत है ताकि हर घर में हर एक व्यक्ति तक जानकारी पहुंचे। इसके अलावा इन बीमारियों से बचने के उपाय भी बताए जाने चाहिए। घर में अगर कूलर है तो हर दूसरे दिन उसे साफ करना, पानी बदलना, पूरी बाजू के कपड़े पहनना, मच्छरदानी या जेल का प्रयोग करना इत्यादि। इसके लिए स्कूली बच्चों का भी सहारा लिया जा सकता है। औपचारिकता न करके यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह घर में इन बीमारियों से बचाव के लिए अभिभावकों को भी जागरूक करें।

चिकिनगुनिया, डेंगू के कारण

चिकनगुनिया वायरस संक्रमित मच्छरों के काटने से होता है। चिकनगुनिया वायरस एक अबरेविषाणु है, जिसे अल्फाविषाणु परिवार का माना जाता है। इसका संवाहक एडीज एजिप्टी मच्छर है जो की डेंगू बुखार और येलो फीवर का भी संवाहक होता है, इस तरह के मच्छर बरसाती पानी जमा होने से तेजी से पनपते हैं।

(नई दिल्ली नगर पालिका परिषद के पूर्व सीएमओ डॉ. अनिल बंसल से निहाल सिंह की बातचीत पर आधारित।)

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