Delhi NCR Pollution: पर्यावरण बने राजनीतिक मुद्दा तो खत्म होगा प्रदूषण
दिल्ली-एनसीआर में वाहनों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। 2018-19 में दिल्ली में पंजीकृत वाहनों की संख्या 10.99 लाख थी जो 2019-20 में 8.2 फीसद बढ़कर 11.89 लाख हो गई। यह चार वर्षों में सर्वाधिक वृद्धि है।
नई दिल्ली [सत्येंद्र सिंह]। देश में पर्यावरण कभी बड़ा मुद्दा नहीं बन सका। हमने तो ग्लोबल एयर रिपोर्ट को ही मानने से इन्कार कर दिया और यह जता दिया कि इसमें ज्यादा दम नहीं है। वैसे यह भी सच है कि जब तक पर्यावरण राजनीतिक मुद्दे के रूप में जगह नहीं बनाएगा तब तक यह नेताओं की प्राथमिकता नहीं बनेगा। दिल्ली-एनसीआर में वाहनों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। 2018-19 में दिल्ली में पंजीकृत वाहनों की संख्या 10.99 लाख थी, जो 2019-20 में 8.2 फीसद बढ़कर 11.89 लाख हो गई। यह चार वर्षों में सर्वाधिक वृद्धि है। इस पर नियंत्रण की जरूरत है। प्रदूषण बढ़ाने में औद्योगिक इकाइयों की भी बड़ी भूमिका है। बड़ी संख्या में ऐसे उद्योग हैं जो न तो वायु प्रदूषण के मानकों का पालन कर रहे हैं और न ही जल प्रदूषण का। इन पर निगरानी का जिम्मा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का होता है। इसके लिए ई-ट्रैकिंग सिस्टम तैयार करके उसके माध्यम से ई-मानीटरिंग की जानी चाहिए।
बिना वैध प्रमाणक जेनरेटर चलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई बेहद जरूरी है, लेकिन आलम यह है कि नियम कानून को ताख पर रखकर अवैध जेनरेटर धड़ल्ले से चल रहे हैं। वायु प्रदूषण में पराली की भूमिका भी अहम है। एक साल में करीब 15 लाख मिलियन टन पराली पैदा होती है। इसे जलाने के बजाय अगर फर्टलिाइजर में बदल दिया जाए तो प्रदूषण भी नहीं होगा और जमीन को भी लाभ मिलेगा। बस इसके लिए जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। कूड़े में आग लगने से दिनभर धुआं उठता रहता है जिससे वातावरण प्रदूषित होता है। ऐसा करने वालों पर सख्ती के साथ जुर्माना लगाया जाना चाहिए।
सीएनजी वाहन हो सकते हैं मददगार
पेट्रोल-डीजल चलित वाहनों को कम कर सीएनजी वाहनों को प्रोत्साहित किया जाए। उद्योगों में कोयला और लकड़ी के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया जाए और उद्योगों में पीएनजी का उपयोग बढ़ाया जाए, डस्ट कलेक्टर और साइक्लोन सेपरेटर की जगह उच्च गुणवत्ता वाले पीएम-10 व पीएम 2.5 कंट्रोल डिवाइस लगाई जाए तो वाहनों से होने वाले प्रदूषण को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
टास्क फोर्स का हो गठन
दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण पर निगरानी के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने स्थायी टास्क फोर्स के गठन का सुझाव दिया है लेकिन इस पर अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं ऐसे में टास्क फोर्स का गठन किया जाना बेहद जरूरी है ताकि सुचारु रूप से काम हो सके। जगह-जगह हो रहे अतिक्रमण भी प्रदूषण को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं। लेकिन अतिक्रमण हटाने में नगर निगम के अधिकारी सिर्फ खानापूरी ही करते हैं। इसी तरह ईंट-भट्ठों को जिगजैग तकनीक पर शिफ्ट कराने की दिशा में ठोस काम शुरू करने की जरूरत है। सभी भट्ठा मालिकों को इसके लिए जागरूक करना होगा। इस तकनीक से ईंट-भट्ठों का स्वरूप ही बदल जाएगा।
(लेख पर्यावरणविद् सत्येंद्र सिंह से आशुतोष अग्निहोत्री की बातचीत पर आधारित है)