गौतम गंभीर को इतनी बड़ी मात्रा में कैसे मिली कोरोनावायरस की दवाईयां: हाई कोर्ट

पीठ ने दिल्ली पुलिस को मामले को गंभीरता से लेते हुए विस्तार से जांच करने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि हमें उम्मीद है कि पुलिस उचित जांच करके एक सप्ताह के अंदर बेहतर स्थिति रिपोर्ट पेश करेगी। दिल्ली पुलिस को जांच कर रिपोर्ट पेश करने का दिया निर्देश।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 06:09 PM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 06:09 PM (IST)
गौतम गंभीर को इतनी बड़ी मात्रा में कैसे मिली कोरोनावायरस की दवाईयां: हाई कोर्ट
दिल्ली पुलिस को पूरे मामले की गंभीरता से जांच कर स्थिति रिपोर्ट पेश करने का दिया निर्देश।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। कोरोना महामारी संकट के बीच विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा रेमडेसिविर समेत अन्य दवाओं की तथाकथित जमाखोरी करने मामले में दिल्ली पुलिस की अस्पष्ट और खानापूर्ति वाली जांच रिपोर्ट पर दिल्ली हाई कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई। न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा दवाओं का स्टाक रखना राजनेताओं का काम नहीं है।

पीठ ने सवाल उठाते हुए पूछा कि कमी होने के बावजूद भी भाजपा सांसद और पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर के पास इतनी बड़ी मात्रा में कोरोना की दवाएं कैसे आई? पीठ ने पुलिस की जांच पर सवाल उठाते हुए पूछा आपको अहसास भी है कि इन दवाओं की कमी के कारण कितने लोग मर गए। अपनी जिम्मेदारी को समझिए और मामले की गंभीरता से जांच करिए। पीठ ने मामले में ड्रग कंट्रोलर को मामले में पक्षकार बनाते हुए नोटिस जारी किया और 24 मई को होने वाली अगली सुनवाई पर पेश होने का निर्देश दिया।

अधिवक्ता विराग गुप्ता के माध्यम से राष्ट्रीय शूटर व ह्रदुया फाउंडेशन के चेयरपर्सन दीपक सिंह ने याचिका दायर राजनेताओं द्वारा दवाओं को हासिल कर वितरित करने पर सवाल उठाते हुए मामले में एफआइआर दर्ज कर जांच कराने की मांग की है। याचिका पर पीठ ने कहा कि ऐसे में जबकि यह बताया जा रहा है कि उक्त दवाओं को लोगों की मदद करने के लिए हासिल किया गया था तो हम उम्मीद करेंगे कि राजनेताओं ने ये स्टाक राजनीतिक फायदे के लिए किया था।

अगर जनता की भलाई के लिए ये किया गया था तो नेताओं को खुद इन दवाओं के स्टाक को डायरेक्टर जनरल हेल्थ सर्विसेस को सौंप देना चाहिए, ताकि गरीब और जरूरतमंद को उपलब्ध कराई जा सके। पीठ ने पुलिस से पूछा क्योंकि इस मामले में कुछ राजनीतिक चेहरे शामिल हैं इसलिए आप जांच नहीं करेंगे। हम इसकी अनुमति नहीं देंगे। पीठ ने कहा कि हम सराहना करते अगर पुलिस नेताओं पर लगाए गए विशेष आरोपों की जांच करके स्थिति रिपोर्ट पेश करती।

पुलिस ने गौतम गंभीर, श्रीनिवास समेत सभी को दे दी क्लीनचिट

पुलिस ने स्थिति रिपोर्ट में कहा कि दरअसल गौतम गंभीर लोगाें को निशुल्क दवा, आक्सीजन समेत अन्य सहायता देकर उनकी मदद कर रहे थे और न ही उन्होंने किसी के साथ धोखाधड़ी की है। गंभीर की तरफ से पेश हुए स्टैंडिंग काउंसल संजय लाउ ने कहा कि हर दिन के हिसाब से मामले में जांच की गई है। गंभीर के अलावा मामले में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार, पूर्व कांग्रेस विधायक मुकेश शर्मा, आप विधायक दिलीप पांडे, दिल्ली कांग्रेस उपाध्यक्ष अली मेंहदी, कांग्रेस नेता अशोक बघेल, बिजनाैर के पूर्व सांसद शाहिर सिद्​दीकी, युवा कांग्रेस अध्यक्ष श्रीनिवास राव से पूछताछ की गई है।

पुलिस ने मामले की जांच में सामने आया है कि ये सभी दवाओं की जमाखोरी के बजाए लोगों की मदद कर रहे थे। इन्होंने दवा, आक्सीजन और बेड उपलब्ध कराने के बदले कोई शुल्क नहीं लिया और उनकी मदद में कोई भेदभाव नहीं किया गया। पुलिस के इसके ही मामले की जांच पूरी करने के लिए छह सप्ताह का समय मांगा।

पर्याप्त समय में क्यों नहीं की पूरी जांच

जांच पूरी करने के लिए पुलिस द्वारा छह सप्ताह का समय मांगे जाने पर पीठ ने कहा कि महामारी अभी भी जारी है तो पुलिस को अभी काम करना होगा। आखिर, इस अस्पष्ट जांच रिपोर्ट का क्या मतलब है, आप इस मामले में इतनी सुख्ती कैसे बरत सकते हैं। अदालत इस रुख को बर्दाश्त नहीं करेगी और हम परिणाम चाहते हैं। पुलिस के पास जांच के लिए पर्याप्त समय था। राजनीतिक दलों के पास महामारी को नियंत्रित करने का कोई अधिकार नहीं है। राजनेताओं को उचित व्यवहार करना चाहिए और उनके पास इस दवाओं को बड़ी मात्रा में खरीदने और लोगों को वितरित करने का कोई कारण नहीं है। इसके कारण ही लोग ऊंची दरों पर कालाबाजारी करने वालों से लेने को मजबूर हो रहे हैं।

उम्मीद है पुलिस उचित जांच कर दाखिल करेगी रिपोर्ट

पीठ ने दिल्ली पुलिस को मामले को गंभीरता से लेते हुए विस्तार से जांच करने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि हमें उम्मीद है कि पुलिस उचित जांच करके एक सप्ताह के अंदर बेहतर स्थिति रिपोर्ट पेश करेगी। पीठ ने इसके साथ ही अदालत मित्र व वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव को इस मामले में एक रिपोर्ट तैयार करने को कहा। पीठ ने कहा कि स्थिति रिपोर्ट में यह स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए कि जिन दवाओं की भारी कमी है और उन्हें ब्लैक-मार्केट में ऊंची कीमतों पर बेचा जा रहा है, उसे कुछ लोगों ने बड़ी मात्रा में कैसे हासिल किया।

पुलिस का दावा किया खारिज

पुलिस ने इस दौरान दावा किया कि एक डाक्टर ने सभी दवाईओं को हासिल की और उन्हीं के माध्यम से राजनेताओं ने दवाओं का स्टाक लिया। पीठ ने कहा कि प्राथमिक तौर पर यह विश्वास करना मुश्किल है कि जब दवाओं की कमी है उस समय कोई डाक्टर बाजार जाकर इतनी बड़ी मात्रा में इन दवाओं को हासिल करेगा। पुलिस की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता संजय लाउ ने कहा कि अगर अदालत आदेश करे तो उक्त दवाओं को अभी सीज कर लिया जाएगा। इस पर पीठ ने कहा कि वे इसका आदेश नहीं देंगे, अगर कानून इजाजत देता है तो पुलिस अपनी कार्रवाई कर सकती है। पीठ ने कहा कि अगर कोई संज्ञेय मामला बनता है तो पुलिस एफआइआर दर्ज कर सकती है।

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