केंद्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में सरकारों के सामने चुनौतियों के बीच बरकरार है उम्मीद

नई दिल्ली के आइसीएमआर के पूर्व महानिदेशक एनके गांगुली ने बताया कि यदि मैं यह काम कर रहा होता तो मैं बड़े स्तर पर निःशुल्क मास्क का वितरण करता। यह तरीका कोरोना संक्रमण को रोकने का एक सस्ता और सर्वसुलभ साधन है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 01:32 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 01:32 PM (IST)
केंद्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में सरकारों के सामने चुनौतियों के बीच बरकरार है उम्मीद
हमारी तैयारी उम्मीदों की वह तस्वीर दिखाती है जिसमें सुख और शांति है।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। कोरोना ही नहीं बल्कि किसी भी वायरस की प्रवृत्ति पर गौर करें तो यह आठ हफ्तों से लेकर तीन महीने के बीच पलटकर आता है। तीसरी लहर का आना संभव है। मॉलीक्यूलर सर्विलांस के जरिए इसकी चेतावनी दी जा सकती है। ऐसे में इसकी भयाक्रांत करने वाली गति को थामने का टीकाकरण ही एकमात्र उपाय है। पिछले टीकाकरण और अब शुरू हुए देशव्यापी टीकाकरण अभियान में दो बड़े अंतर हैं।

पहले अभियान में हमारे पास पर्याप्त मात्र में वैक्सीन नहीं थी। इसी वजह से चरणबद्ध तरीके से टीकाकरण अभियान शुरू करना पड़ा। पहले 60 से ऊपर, फिर 44 से 60 साल के बीच, फिर 18 से 45 वर्ष के लोगों को लिया गया। अभियान शुरू होने के चंद दिनों के भीतर ही दूसरी लहर ने जोर पकड़ लिया। जिन्होंने वैक्सीन (खास तौर पर शहरी इलाके) ली, उन्हें भी एक ही डोज मिली।

उस समय यह माना जा रहा था कि वैक्सीन की एक डोज भी मिल जाए तो शायद हमें कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से बचा ले जाएगी, मगर यह आकलन गलत साबित हुआ। जो देश कोरोना संक्रमण को थामने में सफल रहे, वहां 35 से 50 फीसद आबादी को वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी है। इन देशों की अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ने लगी है। इसकी तुलना में भारत में अभी कुल आबादी के लगभग 18 फीसद को ही वैक्सीन लग पाई है। इसमें भी डबल डोज लेने वालों की संख्या पांच फीसद से भी कम है। इस आंकड़े से यह समझा जा सकता है कि हमें अभी कितना सफर तय करना है।

अब आने वाले समय में होने वाले टीकाकरण अभियान की तैयारियों पर गौर करें तो अगले दो महीने में हमारे पास वैक्सीन की पर्याप्त उपलब्धता होगी। इसमें सभी नागरिकों को वैक्सीन मिल सकेगी। यह सुनकर राहत महसूस हो सकती है लेकिन चुनौतियां अभी बाकी है। भारत में लगभग 33 करोड़ लोग ऐसे हैं, जो सर्वसुविधायुक्त हैं। यह किसी भी तरह के संसाधन जुटाने में सफल हैं। यही वर्ग है जिनमें से अधिकांश ने वैक्सीन ले लिया है। लगभग 20-30 करोड़ आबादी मध्यम और निम्न मध्यमवर्गीय परिवार हैं, जिन्हें अब सरकार की मदद से वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी।

सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती लगभग 11 करोड़ लोगों की मै¨पग करने की है। इन्हें चिह्नित कर वैक्सीन लगवाना सबसे बड़ी चुनौती होगी। गर्भवती महिलाएं, नवजात और 18 साल से कम उम्र के बच्चों को अभी दायरे में नहीं लिया गया है। वैश्विक स्तर पर इनके लिए वैक्सीन आने के बाद ही हम इस आबादी को सुरक्षित कर पाएंगे।

नई दिल्ली के आइसीएमआर के पूर्व महानिदेशक एनके गांगुली ने बताया कि यदि मैं यह काम कर रहा होता तो मैं बड़े स्तर पर निःशुल्क मास्क का वितरण करता। यह तरीका कोरोना संक्रमण को रोकने का एक सस्ता और सर्वसुलभ साधन है। आज भी हमारे देश में ऐसे लोगों की बड़ी संख्या है जिनके पास मास्क नहीं है। बाजार-दफ्तर खुलेंगे। खतरा होने के बावजूद अनिवार्यता के चलते लोगों को बाहर निकलना पड़ेगा। ऐसे में टीकाकरण के साथ-साथ बड़े स्तर पर मास्क वितरण अभियान चलाया जाना चाहिए। जो बगैर मास्क के दिखे, उन्हें मास्क दीजिए और उसे पहनने के लिए कहिए।

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