Delhi Violence : दिल्ली दंगे पर हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा- सोची समझी साजिश थी यह हिंसा
दिल्ली हाई कोर्ट ने एक सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि कई मौजूदा साक्ष्यों से यह स्पष्ट होता है कि सरकार के कामकाज को अस्त-व्यस्त करने के साथ-साथ शहर में लोगों के लोगों के सामान्य जीवन को बाधित करने का एक सुनियोजित प्रयास था।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। दिल्ली पुलिस के हवलदार की दिल्ली दंगा के दौरान हत्या के मामले में एक आरोपित मोहम्मद सलीम खान को दिल्ली हाई कोर्ट ने जहां जमानत दे दी। वहीं एक अन्य आरोपित मोहम्मद इब्राहिम के खिलाफ प्रथम दृष्टया सुबूत होने के आधार पर न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने जमानत देने से इन्कार कर दिया। अब तक इस मामले में आरोपित बनाए गए 11 लोगों की जमानत याचिका पर फैसला आ चुका है।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी
इसी क्रम में दिल्ली हाई कोर्ट ने एक सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि कई मौजूदा साक्ष्यों से यह स्पष्ट होता है कि सरकार के कामकाज को अस्त-व्यस्त करने के साथ-साथ शहर में लोगों के लोगों के सामान्य जीवन को बाधित करने का एक सुनियोजित प्रयास था।
गंभीर चोट लगने से हुई थी रतन लाल की मौत
बता दें कि मोहम्मद सलीम खान व इब्राहिम को रतन लाल की हत्या और दंगों के दौरान एक डीसीपी को सिर में चोट लगने के मामले में गिरफ्तार किया गया था। पीठ ने इससे पहले भी एक अन्य मामले में आरोपित शाहनवाज और मोहम्मद अय्यूब को जमानत दे दी थी, जबकि सादिक और इरशाद अली को जमानत देने से इन्कार कर दिया था। चांद बाग इलाके में दोपहर एक बजे के करीब प्रदशर्नकारिययों ने मुख्य वजीराबाद रोड पर जमा लगा दिया था। अचानक हिंसक हुए प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मिंयों पर हमला कर दिया था। प्रदशर्नकारियों ने यहां तक की डीसीपी शाहदरा, हवलदार रतन लाल समेत अन्य पुलिसकर्मियों पर हमला दिया था। गंभीर रूप से चोटिल हुए रतन लाल की मौत हो गई थी, जबकि डीसीपी शाहदरा के सिर में चोटें आई थीं।