सर्वोदया एन्क्लेव में 77 पेड़ों के लापता होने को लेकर दायर याचिका पर हाई कोर्ट ने दिया निर्देश, पढ़िए क्या कहा

दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम-1994 के उल्लंघन किया गया लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। वर्ष 2011-2012 और 2018-2019 में सर्वोदय एन्क्लेव में आयोजित वृक्ष गणनाओं के बीच विसंगतियों पर आधारित थी। इसके तहत सात साल की अवधि में कालोनी में 77 पेड़ गायब पाए गए थे।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Thu, 14 Oct 2021 04:15 PM (IST) Updated:Thu, 14 Oct 2021 04:15 PM (IST)
सर्वोदया एन्क्लेव में 77 पेड़ों के लापता होने को लेकर दायर याचिका पर हाई कोर्ट ने दिया निर्देश, पढ़िए क्या कहा
पर्यावरणविद भावरीन कंधारी ने की थी लापता पेड़ों को लेकर शिकायत, निर्णय लेने का निर्देश देने की मांग।

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। सर्वोदय एन्क्लेव में 77 लापता पेड़ों की शिकायत के मामले पर उचित निर्णय लेने का दिल्ली हाई कोर्ट ने प्राधिकारियों को निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि आठ दिसंबर 2020 को याचिकाकर्ता व पर्यावरणविद भावरीन कंधारी की द्वारा दी गई शिकायत पर छह सप्ताह के अंदर उचित निर्णय लें। दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता सत्यकाम ने कहा कि याचिका पर शीघ्र निर्णय लेने में आपत्ति नहीं है। सरकार के बयान को रिकार्ड पर लेकर पीठ ने याचिका का निपटारा कर दिया।

याचिकाकर्ता भावरीन कंधारी ने अधिवक्ता आदित्य एन प्रसाद और धृति छाबड़ा के माध्यम से दायर याचिका में उप वन संरक्षक (डीसीएफ), दक्षिण और वृक्ष अधिकारी को उनकी शिकायत पर कार्रवाई-निर्णय लेने का निर्देश देने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम-1994 के उल्लंघन किया गया, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि शिकायत मुख्य रूप से वर्ष 2011-2012 और 2018-2019 में सर्वोदय एन्क्लेव में आयोजित वृक्ष गणनाओं के बीच विसंगतियों पर आधारित थी। इसके तहत सात साल की अवधि में कालोनी में 77 पेड़ गायब पाए गए थे।

उन्होंने कहा कि पर्यावरण की रक्षा व सुधार करने के मौलिक कर्तव्य के तहत सर्वोदय एन्क्लेव में 77 लापता पेड़ों के मामले पर अधिकारियों के समक्ष शिकायत की थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि मामले की विधिवत जानकारी होने के बावजूद प्रतिवादी ने अनुरोधों को न तो स्वीकार किया और न ही कार्रवाई की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में वायु की गुणवत्ता में खतरनाक गिरावट है और नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए हरित आवरण का देखभाल जरूरी है।

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