Om Prakash Chautala: दिल्ली सरकार को HC का आदेश, हरियाणा के पूर्व सीएम चौटाला की समयपूर्व रिहाई से जुड़ी मूल फाइल पेश करें

Om Prakash Chautala अधिवक्ता के जरिये याचिका दायर कर ओपी चौटाला ने कहा है कि उनकी रिहाई के संबंध में हाई कोर्ट ने नवंबर 2019 एवं फरवरी 2020 में दिल्ली सरकार को उचित फैसला लेने का निर्देश दिया था। हालांकि अब तक इस पर कोई फैसला नहीं हो सका है।

By Jp YadavEdited By: Publish:Tue, 13 Apr 2021 07:22 AM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 09:36 AM (IST)
Om Prakash Chautala: दिल्ली सरकार को HC का आदेश, हरियाणा के पूर्व सीएम चौटाला की समयपूर्व रिहाई से जुड़ी मूल फाइल पेश करें
ओम प्रकाश चौटाला ने अपनी उम्र और दिव्यांगता के आधार पर जेल से रिहाई की मांग की है।

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला कि समय पूर्व रिहाई पर दिल्ली सरकार द्वारा विचार करने से जुड़ी मूल फाइल अदालत में पेश की जाए। चौटाला की याचिका पर न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति एजे भंभानी की पीठ ने यह निर्देश दिया। पीठ ने मामले की सुनवाई 17 मई तक के लिए स्थगित करते हुए ओपी चौटाला का पैराल 17 मई तक बढ़ा दिया है। अधिवक्ता अमित साहनी के माध्यम से याचिका दायर कर ओपी चौटाला ने कहा है कि उनकी रिहाई के संबंध में हाई कोर्ट ने नवंबर 2019 एवं फरवरी 2020 में दिल्ली सरकार को उचित फैसला लेने का निर्देश दिया था।

हालांकि, अब तक इस पर कोई फैसला नहीं हो सका है। ओम प्रकाश चौटाला ने अपनी उम्र और दिव्यांगता के आधार पर जेल से रिहाई की मांग की है। इससे पहले दायर याचिका में चौटाला ने केंद्र सरकार के 18 जुलाई 2018 की अधिसूचना का हवाला दिया था। अधिसूचना के तहत 60 साल से ज्यादा उम्र पार कर चुके पुरुष, 70 फीसदी वाले दिव्यांग व बच्चे अगर अपनी आधी सजा काट चुके हैं तो राज्य सरकार उसकी रिहाई पर विचार कर सकती है।

याचिका में ओम प्रकाश चौटाला ने कहा था कि उनकी उम्र 86 साल की हो गई है और भ्रष्टाचार के मामले में वे सात साल की सजा काट चुके हैं। चौटाला ने यह भी दावा किया था कि वह अप्रैल 2013 में 60 फीसदी दिव्यांग हो चुके थे और जून 2013 में पेसमेकर लगाए जाने के बाद से वह 70 फीसदी से ज्यादा दिव्यांग हो चुके हैं। इस तरह से वे केंद्र सरकार के जल्दी रिहाई की सभी शर्तो को पूरा कर रहे हैं। हालांकि, दिल्ली सरकार ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि यह भ्रष्टाचार का मामला है और भारत सरकार की अधिसूचना इस पर लागू नहीं होती। जबकि चौटाला ने दलील दी थी कि उन्हें रिहा किया जाना चाहिए, क्योंकि भ्रष्टाचार के मामले में उनकी सात साल की सजा पूरी हो चुकी है।

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वर्ष 2000 के 3206 शिक्षक भर्ती मामले में विशेष सीबीआइ अदालत ने वर्ष 2013 में ओपी चौटाला, उनके बेटे अजय चौटाला समेत 53 लोगों के खिलाफ सजा सुनाई थी। इसमें तत्कालीन प्राथमिक शिक्षा के निदेशक आइएएस अधिकारी संजीव कुमार भी शामिल थे।

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