चांदनी चौक के प्रतिबंधित क्षेत्र में कैसे दी गई रेहड़ी-पटरी की अनुमति, कोर्ट ने पुलिस व NDMC से मांगा जवाब

दिल्ली हाई कोर्ट ने चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस व उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) से पूछा है कि चांदनी चौक में प्रतिबंध क्षेत्र में रेहड़ी-पटरी की गतिविधियों की अनुमति कैसे दी गई है।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Tue, 21 Sep 2021 04:59 PM (IST) Updated:Tue, 21 Sep 2021 04:59 PM (IST)
चांदनी चौक के प्रतिबंधित क्षेत्र में कैसे दी गई रेहड़ी-पटरी की अनुमति, कोर्ट ने पुलिस व NDMC से मांगा जवाब
HC asks Delhi Police, NrDMC to explain presence of vendors in no-hawking zone in Chandni Chowk

 नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली हाई कोर्ट ने चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस व उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) से पूछा है कि चांदनी चौक में प्रतिबंध क्षेत्र में रेहड़ी-पटरी की गतिविधियों की अनुमति कैसे दी गई है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने पुलिस व एनडीएमसी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई दस नवंबर को होगी।

व्यापार मंडल ने याचिका दायर कर चांदनी चौक में टाउन वें¨डग कमेटी (टीवीसी) द्वारा किए जा रहे सर्वे के खिलाफ निर्देश देने की भी मांग की है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने टीवीसी को निर्देश दिया कि सर्वे करते समय प्रतिबंधित क्षेत्र में रेहड़ी-पटरी वालों के संबंध में याचिकाकर्ताओं की आपत्ति का ध्यान रखना होगा। पीठ ने कहा आपके सर्वे में स्पष्ट रूप से कहा जाना चाहिए कि ये रेहड़ी-पटरी वाले हैं जो गैर-प्रतिबंधित जोन में बैठे हैं और ये वे हैं जो प्रतिबंधित जोन में हैं।

व्यापार मंडल की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता संजीव रल्ली ने कहा कि प्रतिबंधित क्षेत्र में अतिक्रमण न होने के संबंध में हाई कोर्ट के कई आदेश के बावजूद भी फेरीवाले और वेंडर वहीं बैठे हैं और टीवीसी सर्वे कर रही है। 12 सितंबर को मुख्यमंत्री अर¨वद केजरीवाल ने पुनर्विकसित चांदनी चौक बाजार का उद्घाटन किया था। पुनर्विकास परियोजना में लाल किला से फतेहपुरी मस्जिद रोड तक मुख्य चांदनी चौक रोड के 1.3 किमी लंबे खंड का सुंदरीकरण किया गया है। यहां पर कई सुविधाएं दी गई हैं।

केंद्र से क्राउड फंडिंग स्थानांतरण की उम्मीद: हाई कोर्ट

वहीं, दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित बच्चों की तरफ से दायर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने उम्मीद जताई है कि केंद्र सरकार 63 करोड़ रुपये केरल हाई कोर्ट से दुर्लभ रोग कोष में स्थानांतरित करेगी। यह रकम क्राउड फंडिंग से जुटाई गई है। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा कि यह फंड दुर्लभ बीमारी से पीडि़त व्यक्ति के इलाज के लिए आम जनता से एकत्र किया गया था। पीठ ने एडिशनल सालिसिटर जनरल चेतन शर्मा द्वारा दिए गए आश्वासन को रिकार्ड पर लिया कि एक सप्ताह के भीतर इस दिशा में उचित कार्रवाई शुरू की जाएगी।

पीठ ने इसके साथ ही इस संबंध में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को भी स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। इसी साल जनवरी में अदालत ने दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए डिजिटल क्राउड फं¨डग प्लेटफार्म को चालू करने का निर्देश दिया था।

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