हौजखास स्थित दादी पोती को मिलेगा नया जीवन, एएसआइ ने शुरू किया संरक्षण का काम

दादी-पोती को नया जीवन मिलने जा रहा है। इस नाम के दो स्मारक हैं जो हौजखास में स्थित हैं। वर्षों से उपेक्षित इन स्मारकों में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने संरक्षण कार्य शुरू कराया है जो अगले माह तक पूरा कर लिया जाएगा।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Sun, 21 Mar 2021 01:02 PM (IST) Updated:Sun, 21 Mar 2021 04:16 PM (IST)
हौजखास स्थित दादी पोती को मिलेगा नया जीवन, एएसआइ ने शुरू किया संरक्षण का काम
हौजखास में दादी-पोती का मकबरा वर्षो से उपेक्षित था।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दादी-पोती को नया जीवन मिलने जा रहा है। इस नाम के दो स्मारक हैं, जो हौजखास में स्थित हैं। वर्षों से उपेक्षित इन स्मारकों में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने संरक्षण कार्य शुरू कराया है, जो अगले माह तक पूरा कर लिया जाएगा।

दादी-पोती मकबरे में संरक्षण कार्य कराए जाने के बाद इसे रोशनी से भी जगमग करने की योजना है। संरक्षण कार्य के दौरान लोधी काल का एक चार फीट गहरा पुराना फर्श मिला है। इसे भी संरक्षित किया जा रहा है, ताकि इसे भी पर्यटकों के चलने-फिरने के लिए बनाया जा सके।

एएसआइ के एक अधिकारी ने बताया कि संरक्षण कार्य के दौरान खोदाई करने पर यह फर्श मिला है। स्मारक की दीवारों को मजबूती देने के लिए उसमें चूना, सुरखी, गुड़, बेल सहित कई दूसरी चीजों से मिलकर तैयार किया मसाला भरा जाएगा। मकबरे के बाहर के परिसर में कंक्रीट बिछाई गई है। साथ ही मकबरा परिसर के बाहर के हिस्से को भी खूबसूरत बनाया जाएगा।

मकबरे में कौन है दफन इसे लेकर सिर्फ किस्से कहानियों में ही मिलती है जानकारी

दादी-पोती के मकबरे का निर्माण लोदी शासनकाल (सन 1451-1526) में कराया गया था। दादी का मकबरा बड़ा और पोती का छोटा है। इसमें कौन दफन है, इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं है। हालांकि, किस्से-कहानियों में जरूर बताया जाता है कि बड़ा मकबरा बीबी (मालकिन) का मकबरे या दादी का मकबरा के नाम से जाना जाता है। वहीं, छोटा मकबरा नौकरानी या पोती के मकबरे के नाम से जाना जाता है।

अजमेरी गेट का भी शुरू हुआ संरक्षण कार्य

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास स्थित अजमेरी गेट के संरक्षण कार्य में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) विभाग जुट गया है। लंबे समय से संरक्षण के अभाव में अजमेरी गेट उपेक्षित था। गेट के परकोटे पर बने कंगूरे से लेकर नीचे के हिस्से को संवारा जाएगा। गेट के बाहरी हिस्से में लाल पत्थर बिछाया जाएगा।

एएसआइ के अधिकारी ने बताया कि संरक्षण कार्य से पहले यहां से करीब 50 हजार किलोग्राम मलबे को निकाला गया है। यह गेट बादशाह शाहजहां द्वारा स्थापित शहर शाहजहांनाबाद (मौजूदा समय में पुरानी दिल्ली) के मूल दरवाजों मे से एक है।

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