Happy Mother's Day 2021: मां से मिली हुनर और हौसले की सीख- विंग कमांडर जया तारे

एक मां किस तरह से अपने बच्चों को हर परिस्थिति से मुकाबले के लिए तैयार करती है कैसे कठिन वक्त में तनकर खड़े होने का हौसला देती है और कैसे अपने हुनर और कौशल से अपने परिवार समाज और देश को उबारने में अपना योगदान करना सिखाती है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Sun, 09 May 2021 12:37 PM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 12:38 PM (IST)
Happy Mother's Day 2021: मां से मिली हुनर और हौसले की सीख- विंग कमांडर जया तारे
विंग कमांडर जया तारे, भारतीय वायु सेना साझा कर रही हैं अपने अनुभव

नई दिल्‍ली, जेनएएन। हमारे देश के गांवों में रहने वाली प्रतिभाशाली लड़कियों के जब सपने पूरे नहीं हो पाते तो कम उम्र में उनकी शादी कर दी जाती है। मेरी मां के साथ भी ऐसा ही हुआ। 19 साल में शादी हुई और सालभर में मां बन गईंं। मैं उनकी पहली संतान हूं। मेरे भाई-बहन अपने-अपने कार्यक्षेत्र में शानदार काम कर रहे हैं। हम तीनों में वे गुण एक जैसे हैं, जो हमने अपनी मां से सीखे हैं। आज जब पूरे देश या यूं कहें कि पूरी दुनिया कोरोना के संकट से जूझ रही है तब मैं सोचती हूं कि कैसे मेरी मां ने हम बच्चों को हर परिस्थिति से जूझने के लिए न केवल तैयार किया, बल्कि हमारे अंदर एक लीडरशिप भी विकसित की।

मां ने सिखाया कि हमें अपनी समस्याएं एक-दूसरे से साझा करनी हैं। इस प्रक्रिया में हमें अलग-अलग तरह के विचारों को सुनने, उनका विश्लेषण करने, दूसरों के मत को समझने, उनका सम्मान करने और फिर सबसे अच्छे निर्णय तक पहुंचने की आदत बन गई है। आज भी मैं जब किसी बात पर अटक जाती हूं तो मां ही मेरी सबसे अच्छी सलाहकार होती हैं। आज भी एक परिवार के तौर पर हम एक-दूसरे से अपने विचार साझा करते हैं। मुझे गर्व है कि विश्लेषणात्मक सोच और समस्या को हल करने की सलाहियत मैंने अपनी मां से सीखी है।

मैं एक मिलिट्री पायलट हूं। यह एक बहुत ही जोखिम भरा काम है। हमें बचपन से ही सिखाया गया कि जोखिम का जज्बा ही साधारण को असाधारण बनाता है। मेरी मां बहुत हिम्मतवाली हंै। उन्होंने हमेशा मुझे सिखाया कि किसी भी स्थिति में डरना नहीं है और धीरे-धीरे मैंने डरना छोड़ दिया। आज मैं भी मां हूं और अपनी बेटी में वही हिम्मत भरना चाहती हूं कि एक ताकतवर मां ही एक ताकतवर बेटी की परवरिश कर सकती है। हमें हमेशा घर में एक टीम की तरह काम करना सिखाया गया है। मेरी मां एक ऐसे कप्तान की भूमिका में होती थीं जिन्हें पता होता था कि किस काम के लिए कौन, कब, कहां सबसे उपयुक्त होगा। उसके कौशल के हिसाब से उसे काम दिया जाता था।

मेरे पिता एक नियोजक की भूमिका में, जबकि भाई और मैं जरूरत के हिसाब से अपनी भूमिका बदल लेते थे। सही व्यक्ति को सही काम देना, कौशल के हिसाब से कार्य देना एक लीडर का सबसे महत्वपूर्ण गुण होता है। लीडरशिप के गुणों में सबसे महत्वपूर्ण गुण है विजन। किसी भी कंपनी, व्यवसाय और संगठन की प्रगति को गति देने के लिए विजन की बहुत जरूरत होती है। विजन या नजरिए का मतलब है कि आपको अपने उद्देश्यों के बारे में पूरी स्पष्टता है। इसका मतलब यह भी है कि अपने व्यवसाय या फिर जीवन के लिए हमारे पास बड़ा आयाम है। छोटे-छोटे लक्ष्यों को पाने के पीछे भागने की जगह हमारे पास हासिल करने को बड़े लक्ष्य हैं। मां बच्चों की परवरिश करते हुए किशोर या बालमन में ही दृष्टि डालती है, जो उन्हें लक्ष्य को पाने के लिए प्रेरित करती है।

जीवन की हर चुनौती और हर संकट से निपटने का सामथ्र्य ही जुझारूपन की नींव है। जीवन में असफलता नहीं, बल्कि हौसला ज्यादा महत्वपूर्ण है। मेरे लिए मेरी मां साहस और जुझारूपन की सबसे बड़ी उदाहरण हैं। उन्होंने मुझमें हर स्थिति का सामना करने का विश्वास पैदा किया, उन्होंने संकट की घड़ी में संयम रखने और संतुलन बनाकर चलने की काबिलियत मुझमें रोपी। उन्होंने भीषण संकट में भी आशावादी होना सिखाया। ये उनकी सीखें ही हैं जिन्होंने मुझे अपनी जिंदगी की सबसे कठिन लड़ाइयों में भी विजेता बनाया है।

अपनी भावनाओं को समझने के साथ ही अपने आसपास की भावनाओं को समझना और उसे प्रभावित करना, उसके साथ संतुलन बिठाना ही भावनात्मक बुद्धिमत्ता है। किसी भी लीडर को कई बार अपने संगठन में जरूरी बदलाव करने की जिम्मेदारी दी जाती है। ऐसे में किसी भी नेतृत्वकर्ता के लिए यह जरूरी है कि उसे पता रहे कि वह इन बदलावों की वजह से होने वाली भावनात्मक प्रतिक्रिया से परिचित है। इसके साथ ही वह लोगों की भावनाओं के हिसाब से ही योजना बनाए और तैयारी करे, जिससे उनसे सबसे बेहतरीन काम लिया जा सके।

मेरे विचार से भावनात्मक बुद्धिमत्ता के बारे में किसी भी मां से बेहतर कोई हमें क्या बता सकता है। ये गुण किसी भी लीडर के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। लीडरशिप के गुण कभी बेकार नहीं जाते हैं, जो लीडर होते हैं वे कभी किसी अवसर पर खुद को असफल नहीं मानते हैं, बल्कि अपने और आसपास के लोगों के लिए अवसर का निर्माण करने में विश्वास करते हैं। मेरी मां वही महिला हैं जिन्हें कभी अवसर नहीं मिला, पर मैं अपनी मां और ऐसी बहुत सी महिलाओं को जानती हूं, जो किसी भी पुरुष से बेहतर ढंग से अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए अवसर का निर्माण करती हैं। लीडरशिप सिर्फ परिभाषा की मोहताज नहीं है, यह सही समय पर सही गुणों को रोपने की कला है। घर पर रहने वाली महिलाओं के लिए यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। बच्चे घर पर ये सारे गुण सीखते हैं और बाद में इन कौशल के बारे में किताबों में पढ़ते हैं। आइए हम मिलकर इस किताबी फलसफे को आसान बनाएं, इसे बच्चों के जीवन में उतारें और भविष्य के लीडर गढ़ें। अगर हम ऐसा कर पाएंगे तो आने वाले दिनों में हम उन्हें मुश्किल हालात से निबटने के लिए तैयार कर पाएंगे।

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