गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण को जल्द से जल्द शुरू करें सरकार : डा. अर्चना
डा. अर्चना धवन बताती हैं कि दूसरी लहर के दौरान कई गर्भवती महिलाओं को आइसीयू व वेंटिलेट की जरूरत महसूस हुई।गर्भवती महिलाओं को कोरोना संक्रमण से अधिक जोखिम है ऐसे में वहां गर्भवती महिलाओं को एमआरएनए टीके की डोज लगाने का कार्य शुरू हो चुका है।
नई दिल्ली, मनीषा गर्ग। पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर के दौरान करीब दस फीसद गर्भवती महिलाएं कोरोना संक्रमित पाई गई। गौर करने वाली बात यह है कि पहली लहर के दौरान जहां गर्भवती महिलाओं में कोरोना संक्रमण के लक्षण हल्के थे वहीं दूसरी लहर में अति गंभीर लक्षण देखने को मिलें। प्रसूति व स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. अर्चना धवन बताती हैं कि दूसरी लहर के दौरान कई गर्भवती महिलाओं को आइसीयू व वेंटिलेट की जरूरत महसूस हुई। अमेरिका के विशेषज्ञ मानते हैं कि गर्भवती महिलाओं को कोरोना संक्रमण से अधिक जोखिम है, ऐसे में वहां गर्भवती महिलाओं को एमआरएनए टीके की डोज लगाने का कार्य शुरू हो चुका है।
अब तक कई हजार गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण हो चुका है। विशेषज्ञ ने विश्वास जताया हैं कि एमआरएनए टीके की डोज का गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य व उनके शिशु के स्वास्थ्य पर कोई खतरा नहीं है। ऐसे में अब भारत को भी गर्भवती महिलाओं के लिए टीकाकरण की सुविधा को जल्द से जल्द शुरू कर देना चाहिए। विशेषकर उन गर्भवती महिलाओं का प्राथमिक स्तर पर टीकाकरण होना चाहिए जो कामकाजी हों और कई लोगों के संपर्क में आती हों।
डाॅ. अर्चना ने बताया कि मौजूदा हालात को देखते हुए गर्भवती महिलाओं को काफी सतर्क रहने की जरूरत है जिससे वह अपने साथ अपने शिशु को भी संक्रमण के खतरे से सुरक्षित रख सकें। कोविड प्रोटाेकाल का ईमानदारी के साथ पालन करें और जरूरी हो तभी घर से बाहर निकलें।
घर से बाहर निकलते समय दो मास्क जरूर लगाएं और घर व बाहर शारीरिक दूरी का पालन सुनिश्चित करें। वैज्ञानिकों के मुताबिक कोरोना वायरस हवा में मौजूद है, ऐसे में घर के खिड़की दरवाजों को खुला रखें जिससे वायरस एक जगह पर ठहर न सके। एहतियात के तौर पर घर के दरवाजों के हैंडल पर हर दो से तीन घंटे के भीतर सैनिटाइजर का छिड़काव करें। सैनिटाइजर का ज्यादा प्रयोग त्वचा के लिए हानिकारक है, ऐसे में जरूरत महसूस होने पर ही सैनिटाइजर का प्रयाेग करें और कोशिश करें कि साबुन से हाथ धोएं।
इसके अलावा कोरोना महामारी ने गर्भवती महिलाओं में मानसिक तनाव को बढ़ा दिया है, जो उनके स्वास्थ्य व नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। ऐसे समय में परिवार की जिम्मेदारी है कि वे महिला के हौंसले को बुलंद रखें। साथ ही गर्भवती महिलाएं चिकित्सक के संपर्क में बनी रहें और उनसे सभी बातों को साझा करें। यदि कोरोना संक्रमण के लक्षण महसूस होते है तो जल्द से जल्द कोरोना जांच हर हाल में कराएं।