अच्छी खबर: पहली बार पूर्वी दिल्ली नगर निगम स्ट्रीट फूड वेंडर को देगा लाइसेंस, पढ़िये क्या है इसके पीछे की बड़ी वजह

राजधानी में खाने-पीने के सामान की रेहडि़यों (स्ट्रीट फूड वेंडर) की संख्या काफी अधिक हो चुकी है। हर सड़क के किनारे इन्हें देखा जा सकता है। लेकिन इनसे निगम को कोई शुल्क नहीं मिलता है जबकि निगम और पुलिस के नाम पर इनसे उगाही होती है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Wed, 08 Dec 2021 01:32 PM (IST) Updated:Wed, 08 Dec 2021 01:32 PM (IST)
अच्छी खबर: पहली बार पूर्वी दिल्ली नगर निगम स्ट्रीट फूड वेंडर को देगा लाइसेंस, पढ़िये क्या है इसके पीछे की बड़ी वजह
राजधानी में पहली बार पूर्वी दिल्ली नगर निगम इन्हें लाइसेंस देने की नीति लागू करने जा रहा है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राजधानी में खाने-पीने के सामान की रेहडि़यों (स्ट्रीट फूड वेंडर) की संख्या काफी अधिक हो चुकी है। हर सड़क के किनारे इन्हें देखा जा सकता है। लेकिन, इनसे निगम को कोई शुल्क नहीं मिलता है, जबकि निगम और पुलिस के नाम पर इनसे उगाही होती है। इसे रोकने के लिए राजधानी में पहली बार पूर्वी दिल्ली नगर निगम इन्हें लाइसेंस देने की नीति लागू करने जा रहा है। महापौर श्याम सुंदर अग्रवाल ने इस नीति को स्वीकृति दे दी है। इसके तहत इन्हें स्वास्थ्य व्यापार का लाइसेंस दिया जाएगा।

महापौर ने बताया कि केवल जोनल टाउन वेंडिंग कमेटी के द्वारा अनुमोदित स्ट्रीट वेंडर्स को व्यापार हेतु स्थान देने के बाद पूर्वी निगम द्वारा स्वास्थ्य व्यापार लाइसेंस दिया जाएगा। इस संबंध में पूर्वी निगम द्वारा कुछ नियम तय किए गए हैं। इन नियमों के तहत ही स्ट्रीट वेंडर्स को स्वास्थ्य व्यापार लाइसेंस जारी किया जाएगा। महापौर ने बताया कि स्वास्थ्य व्यापार लाइसेंस परिवार के किसी एक सदस्य को ही जारी किया जाएगा।

स्ट्रीट फूड वेंडिंग का संचालन किसी भी तरह से पैदल चलने वालों या किसी भी परिवहन चालकों की आवाजाही में बाधा नहीं बनेगा। इसके अलावा स्ट्रीट फूड वेंडिंग का संचालन सुबह आठ बजे से रात 10 बजे तक ही होगा। इन्हें साफ-सफाई का विशेष रूप से ध्यान रखना होगा। उन्होंने बताया कि कौशल विकास कार्यक्रम के तहत लाइसेंस धारकों को खाद्य सुरक्षा मानकों के तहत अनिवार्य रूप से प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

पूर्वी निगम के आयुक्त विकास आनंद ने बताया कि स्वास्थ्य व्यापार लाइसेंस जारी करने के लिए कई नियम बनाए गए हैं। इसके तहत खाने की सामग्री परोसने के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक और थर्माकोल का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। इन्हें केवल डिस्पोजेबल प्लेट का प्रयोग करना होगा। साथ ही कचरा संग्रहण की समुचित व्यवस्था, ठोस कूड़ा प्रबंधन के नियमों का भी सख्ती से पालन सुनिश्चित करना होगा। लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाले को कोरोनारोधी टीके की दोनों डोज लगी होनी चाहिए।

रेहड़ी होंगे व्यवस्थित

निगम अधिकारियों को उम्मीद है कि जब इसके लिए लाइसेंस बन जाएंगे तो उन लोगों को हटाना आसान हो जाएगा जिनके पास लाइसेंस नहीं होंगे। लोग लाइसेंस बनाने के लिए प्रोत्साहित भी होंगे। जो लाइसेंस लेकर रेहड़ी लगाएंगे, वह नियमों में बंधे होंगे। ऐसे में ये व्यवस्थित भी होंगे।

निगम का बढ़ेगा राजस्व

इस नीति से निगम का राजस्व भी बढ़ेगा। लाइसेंस के लिए निगम ने 3,750 रुपये प्रतिवर्ष का शुल्क लगाया है। लाइसेंस तीन साल के लिए भी लिया जा सकता है। ऐसे में तीन साल का शुल्क एक साथ जमा करना होगा।

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