Kisan News: देश के करोड़ों किसानों के लिए खुशखबरी, अब खेती में भी मददगार बनेगा रोबोट

Kisan News कंप्यूटर साइंस विज्ञानी प्रोफेसर आलम ने एक ऐसा रोबोट बनाया है जो ना केवल मिट्टी की उर्वरता आर्द्रता नमी आदि के बारे में किसानों को सचेत करेगा बल्कि फसलों की बीमारी की भी पहचान करेगा। यह रोबोट फसलों को पशुओं से भी बचाएगा।

By Jp YadavEdited By: Publish:Thu, 25 Nov 2021 08:17 AM (IST) Updated:Thu, 25 Nov 2021 08:17 AM (IST)
Kisan News: देश के करोड़ों किसानों के लिए खुशखबरी, अब खेती में भी मददगार बनेगा रोबोट
Kisan News: देश के करोड़ों किसानों के लिए खुशखबरी, अब खेती में भी मददगार बनेगा रोबोट

नई दिल्ली [संजीव कुमार मिश्र]। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कंप्यूटर प्रोग्रामिंग ने जिंदगी आसान बना दी है। स्वास्थ्य समेत विभिन्न क्षेत्रों में रोबोट का प्रयोग बढ़ा है। अब ये कृषि में किसानों के भी मददगार बनेंगे। रोबोट फसल की निगरानी करेंगे। ये संभव होगा जामिया मिल्लिया इस्लामिया के विज्ञानी प्रोफेसर आलम की पहल से। कंप्यूटर साइंस विज्ञानी ने एक ऐसा रोबोट बनाया है जो ना केवल मिट्टी की उर्वरता, आर्द्रता, नमी आदि के बारे में किसानों को सचेत करेगा, बल्कि फसलों की बीमारी की भी पहचान करेगा। यह रोबोट फसलों को पशुओं से भी बचाएगा।

24 घंटे करेगा निगहबानी

कंप्यूटर साइंस के प्रो. डा. आलम ने बताया कि यह आकार में काफी छोटा है। इसके प्रयोग के लिए खेत के बाहर या अंदर की तरफ एक रास्ता तैयार करना पड़ेगा। ताकि रोबोट आसानी से भ्रमण कर सके। इसमें बैट्री लगी होगी। जिसे आसानी से चार्ज किया जा सकेगा। एक बार चार्ज करने पर यह कम से कम 48 घंटे तक काम करेगा।

प्रोटाटाइप रोबोट तैयार

बकौल प्रो. आलम लैब में प्रोटोटाइप रोबोट बना लिया गया है। इसे बनाने के दौरान लैब में एक महीने तक विभिन्न पौधों पर ट्रायल किया गया। रोबोट ने तापमान, मिट्टी में नमी, आर्द्रता, फसल में कीड़े आदि की सटीक जानकारी दी। इन जानकारियों को दिन प्रतिदिन के हिसाब से रिकार्ड किया जाता था। इसके नतीजे उत्साहित करने वाले हैं।

बीमारी देखते ही करेगा सचेत

रोबोट एक विशेष कंप्यूटर प्रोग्रामिंग पर काम करेगा। प्रोग्राम में फसलों व इनकी बीमारियों को कंप्यूटर लैंग्वेज के रूप में दर्ज किया जाएगा। रोबोट में सेंसर व कैमरे लगे हैं। भ्रमण के दौरान कंप्यूटर प्रोग्राम से मिलते जुलते लक्षणों को देखते ही यह रोबोट एक्टिव हो जाएगा। यह विश्लेषण करेगा व तत्काल किसान को सूचना देगा। इसे इस तरह भी समझ सकते हैं कि रोबोट, गेंहू में पीला रतुआ, भूरा रतुआ, पर्ण झुलसा आदि बीमारियों के लक्षण दिखते ही किसान को सूचित कर देगा। रोबोट में सेंसर की अहम भूमिका होगी। अधिकतम 100 मीटर की क्षमता वाले सेंसर लगाए जा सकते हैं। बाकि, किसान अपने खेत के अनुसार सेंसर की क्षमता को कम या अधिक कर सकते हैं।

ऐप के जरिये देगा सूचना

रोबोट के इस्तेमाल के लिए एक मोबाइल एप डाउनलोड करना होगा। रोबोट सेंसर के जरिये खेतों से जो भी सूचनाएं लेगा उन्हें संदेश के रूप में मोबाइल एप पर भेजा जाएगा। किसान विभिन्न भाषाओं में इसे आसानी से पढ़ सकते हैं। यही नहीं इन सूचनाओं और रोबोट से प्राप्त आंकड़ों को ग्राफ रूप में भी देखा जा सकता है। डा. आलम ने बताया कि इसमें प्रमुख फसलों की बीमारियों को तो प्रोग्राम किया ही जा सकेगा यदि किसान चाहे तो एक या दो या पसंद अनुसार निश्चित फसलों की पूरी जानकारी रोबोट से प्राप्त कर सकते हैं।

पशुओं से फसलों को भी बचाएगा

रोबोट में सेंसर के साथ साथ अच्छी क्वालिटी के कैमरे भी हैं। जिसमें कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में फसल को नुकसान पहुंचाने वाले जानवरों की फोटो आदि सेट की हैं। जिसका परिणाम यह होगा कि जैसे ही पशु दिखेंगे यह तुरंत एप के जरिये किसान को अलार्म भेज देगा ताकि समय पर आकर किसान जानवरों को भगा सकें। इसे मैन्युअली भी प्रोग्राम किया जा सकेगा। प्रोटोटाइप रोबोट तैयार हो चुका है। इसके बाद पेटेंट के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया प्रारंभ होगी।

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