जानिए कैसे आपके आत्मविश्वास एवं दृढ़निश्चय से जीवन बनेगा अर्थपूर्ण

किसी लक्ष्य को हासिल न कर पाना उतना दुखदायी नहीं होता जितना जिंदगी में किसी भी लक्ष्य का न होना और यह उम्र के किसी भी पड़ाव पर निर्धारित किया जा सकता है चाहे वह पेशेवर हों स्टूडेंट बच्चा या आम गृहिणी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Thu, 10 Jun 2021 01:09 PM (IST) Updated:Thu, 10 Jun 2021 01:09 PM (IST)
जानिए कैसे आपके आत्मविश्वास एवं दृढ़निश्चय से जीवन बनेगा अर्थपूर्ण
कैसे रोजाना के ये छोटे-छोटे तरीके जीवन को सुखमय बनाते हैं।

अंशु सिंह। अमेरिका के पूर्व बास्केटबाल खिलाड़ी माइकल जार्डन ने अपने करियर में नौ हजार से अधिक शाट्स मिस किए। 300 से अधिक गेम्स में हार मिली। 26 बार उन पर भरोसा किया गया कि वे अपने शाट से टीम को जीत दिलाएंगे, लेकिन उन्होंने वे शाट मिस कर दिए। अपने जीवन में उन्हें कई बार असफलताओं का सामना करना पड़ा, लेकिन जीतने का हौसला भी वहीं से मिला।

भारतीय मुक्‍केबाज विकास कृष्णन ने कुछ समय पहले कहा था, ‘अगर कोई मुझसे कहता है कि मुझे ओलंपिक में गोल्ड मेडल के लिए अपना जीवन कुर्बान करना पड़ेगा, तो मैं उसके लिए तैयार हूं। मैं कहूंगा कि मेरी जिंदगी ले लो और मुझे मेडल दे दो। कम से कम एक दिन ही सही, उस मेडल के साथ जी सकूं।‘ ऐसे कथन खिलाड़ी के आत्मविश्वास एवं दृढ़निश्चय को दर्शाते हैं यानी जब आपके सामने एक लक्ष्य अथवा उद्देश्य होता है, तो कैसी भी परिस्‍थितियां होने के बावजूद आप उसे प्राप्त करने के लिए जुनून के साथ मेहनत जरूर करते हैं। दिनचर्या में अनुशासन को शामिल करते हैं और उसके अनुरूप आगे बढ़ते हैं। क्योंकि यही आपके जीवन को अर्थपूर्ण बनाता है। आप निराशा के भंवर में फंसने से बच जाते हैं।

टेनिस खिलाड़ी रिशिका सुनारा दो साल के ब्रेक के बाद वापसी की तैयारी कर रही थीं, तभी कोरोना ने सब कुछ बदल दिया। एक क्षण के लिए उनके मन में भी संशय आया कि पता नहीं दोबारा वापसी कर भी पाएंगी या नहीं? उदासी एवं सुस्ती ठोस निर्णय लेने से रोकने लगी। ऐसे में रिशिका ने तय किया कि वह अपनी दिनचर्या में अनुशासन लाएंगी। उसकी बाद अपनी सेहत एवं अभ्यास पर ध्यान देने का परिणाम यह हुआ कि बीते वर्ष अनलाक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद आयोजित हुए राष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंट्स में उन्होंने शानदार प्रदर्शन के साथ मेडल जीतकर साबित कर दिया कि जीवन में लक्ष्य या उद्देश्य का होना कितना आवश्यक है।

लेखक एवं स्पोकन वर्ड परफार्मर जैसमीन खुराना कहती हैं, जीवन में उद्देश्य होने से हम उसके अनुसार स्वयं को ढालते जाते हैं। वह हमारी आदत में शुमार हो जाता है। किसी न किसी तरह उस तक पहुंचने या उसे हासिल करने का प्रयास करते हैं। व्यर्थ एवं नकारात्मक चिंतन से दूर रहते हैं। वर्तमान समय में तो हमें रोजाना के लिए एक लक्ष्य निर्धारित करने की आवश्यकता है। वह निश्चित समय पर व्यायाम करना, कुछ लिखना, पढ़ना, कुछ नई चीज सीखना या अपने आसपास किसी की मदद करना हो सकता है। हम अपने आसपास के बुजुर्गों की संयमित दिनचर्या से प्रेरणा ले सकते हैं। जिस तरह वे समय से सुबह जल्‍दी उठते हैं, अखबार पढ़ने, बागवानी आदि करने के अलावा आध्यात्मिक गतिविधियों से खुद को सकारात्मक रखते हैं, वह बताता है कि कैसे रोजाना के ये छोटे-छोटे तरीके जीवन को सुखमय बनाते हैं।

जैसमीन की मानें, तो व्यक्ति के जीवन में लक्ष्य या उद्देश्य का होना, किसी अलार्म घड़ी की तरह कार्य करता है, जो रोज सुबह उसे यह एहसास दिलाता है कि थककर या हारकर बैठना नहीं है, बल्कि अपने लक्ष्य को प्राप्त करना है। इन दिनों जो स्थितियां बनी हुई हैं, उसे देखते हुए हर किसी का अपना एक अलग उद्देश्य हो सकता है। हम किसी के बारे में कोई निर्णय नहीं कर सकते। यह उचित भी नहीं होगा। हां, इतना जरूर है कि असफलता हाथ लगने पर कभी भी उसे बीच में छोड़ना नहीं चाहिए, क्योंकि कहते हैं कि किसी लक्ष्य को हासिल न कर पाना उतना दुखदायी नहीं होता, जितना जिंदगी में किसी भी लक्ष्य का न होना और यह उम्र के किसी भी पड़ाव पर निर्धारित किया जा सकता है, चाहे वह पेशेवर हों, स्टूडेंट, बच्चा या आम गृहिणी।

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