दिल्ली में जाम न लगे, यातायात पुलिस के पूर्व संयुक्त आयुक्त ने बताया कारगर उपाय
सिंघु बार्डर से जंतर-मंतर तक करीब 25 किलोमीटर के रास्ते में जगह-जगह बैरिकेडिंग लगाकर जांच करने की भी जरूरत नहीं है। अन्य रास्तों पर भी अगर बैरिकेडिंग लगाकर पुलिस जांच करती है तो ऐसे समय में यातायात को दो लेन में बांटकर चलाना चाहिए।
नई दिल्ली। पुलिस द्वारा कृषि कानून विरोधी 200 प्रदर्शनकारियों को 22 जुलाई से जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने की अनुमति दी गई है। जंतर-मंतर पर किसी समूह द्वारा प्रदर्शन किया जाना नई बात नहीं है, लेकिन इसके कारण क्षेत्र में जो यातायात जाम होता है, वह ठीक नहीं है। जंतर-मंतर पर पिछले कई वर्षो से अलग-अलग समूह प्रदर्शन करते रहे हैं। बीते कुछ सालों में दिल्ली में वाहनों की संख्या बढ़ने और सड़कों पर यातायात घनत्व बढ़ने से वैसे ही जाम की स्थिति बनने लगी है। सुबह और शाम के समय सड़कों पर वाहनों की गति धीमी हो जाती है, ऐसे में प्रदर्शनकारियों के जंतर-मंतर तक आने जाने के कारण सुरक्षा के मद्देनजर जगह-जगह की गई बैरिकेडिंग और पुलिस द्वारा चेकिंग यातायात जाम की गंभीर स्थिति पैदा कर देती है।
जंतर-मंतर का इलाका दिल्ली का केंद्रीय क्षेत्र है। दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों से लोग यहां पहुंचते हैं। इस मध्य क्षेत्र में जाम लग जाने से संपर्क मार्ग भी जाम हो जाते हैं।
ताकि न थमे मध्य दिल्ली
सिंघु बार्डर से जंतर-मंतर तक करीब 25 किलोमीटर के रास्ते में जगह-जगह बैरिकेडिंग लगाकर जांच करने की भी जरूरत नहीं है। अन्य रास्तों पर भी अगर बैरिकेडिंग लगाकर पुलिस जांच करती है तो ऐसे समय में यातायात को दो लेन में बांटकर चलाना चाहिए। ऐसा करने से जाम की समस्या का समाधान हो सकता है। व्यस्ततम समय में बैरिकेडिंग को सड़क से हटाकर साइड में रखना चाहिए, जिससे वाहनों की गति प्रभावित हुए बिना यातायात सुचारु रूप से चलता रहे और जाम की समस्या न हो। दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है और यहां विशेषकर संसद चलने के समय जंतर-मंतर पर प्रदर्शन का सिलसिला शुरू हो जाता है। प्रदर्शन के मद्देनजर पुलिस द्वारा की जाने वाली सुरक्षा व्यवस्था के कारण कहीं भी यातायात जाम लगना एक सामान्य बात है।
(यातायात पुलिस के पूर्व संयुक्त आयुक्त एसबीएस त्यागी की संवाददाता राहुल चौहान से बातचीत पर आधारित।)