दिल्ली मेरी यादें: पूर्व दानिक्स अधिकारी ने शेयर की पुरानी यादें, बारिश के दौरान गली-मुहल्ले में कैसे होती थी मस्ती

हमारे कालेज की यादें भी बड़ी दिलचस्प हैं। आइआइटी के छात्र दिल्ली विश्वविद्यालय जेएनयू जामिया वालों से बहुत अलग थे। वहां हर छात्र अपने स्कूल का टापर होता था। टापर में सबसे टापर कौन हमारे बीच यही लड़ाई होती थी।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 12:59 PM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 12:59 PM (IST)
दिल्ली मेरी यादें: पूर्व दानिक्स अधिकारी ने शेयर की पुरानी यादें, बारिश के दौरान गली-मुहल्ले में कैसे होती थी मस्ती
पूर्व दानिक्स अधिकारी विश्व मोहन की फाइल फोटो

नई दिल्ली [रितु राणा]। बचपन से ही मुझे मानसून का इंतजार बेसब्री से रहा है। आज भी जब बारिश होती है तो मन बचपन की यादों में भीग उठता है। बारिश शुरू होते ही दोस्तों के साथ हल्ला हुड़दंग मचाते सड़कों पर निकल पड़ते थे। बेफिक्री से नाचते गाते बारिश में नहाते रहते थे। सबसे ज्यादा मजा कागज की नाव बनाकर पानी में डालने और उसके पीछे-पीछे चलने में आता था। 1975 की बात है। तब हम आरके पुरम में रहते थे। बारिश की बूंदें जैसे ही धरा पर गिरती उसकी सोंधी खुशबू मन को आनंदित कर जाती थी। चाहे कितनी ही बारिश हो आरके पुरम और उसके आसपास के क्षेत्रों में जलभराव की समस्या नहीं होती थी। वातावरण इतना साफ होता था कि आरके पुरम से कुतुब मीनार एकदम साफ नजर आती थी।

आइआइटी एक अलग ही दुनिया

हमारे कालेज की यादें भी बड़ी दिलचस्प हैं। आइआइटी के छात्र दिल्ली विश्वविद्यालय, जेएनयू, जामिया वालों से बहुत अलग थे। वहां हर छात्र अपने स्कूल का टापर होता था। टापर में सबसे टापर कौन हमारे बीच यही लड़ाई होती थी। बिल्कुल थ्री इडियट्स फिल्म की तरह हमारे बीच भी एक दूसरे से आगे निकलने की प्रतिस्पर्धा रहती थी।

पढ़ते पढ़ते कभी भूख लगती तो वहां से सीधे मूलचंद पर पराठे खाने चले जाते थे। उन दिनों में दिल्ली में सिर्फ आइआइटी में म्यूजिक कंसर्ट होता था और किसी विवि में नहीं। लेकिन दूसरे विवि के छात्र भी इसमें हिस्सा लेते थे। आइआइटी के ज्यादातर छात्र हास्टल में रहते थे, इसलिए वो इस कंसर्ट का खूब आनंद लेते थे।

पहले भी बंद किए गए हैं कमर्शियल वाहन

दिल्ली में एक बार फिर से पुराने वाहनों को स्क्रैप करने का निर्देश है। 1998 की बात है। गांधी जयंती पर दिल्ली में सर्वोच्च न्यायालय ने 15 साल पुराने कमर्शियल वाहन बंद कराने के आदेश दिए। उस समय मैं यातायात विभाग में था और इस काम की जिम्मेदारी मुङो मिली। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पुरानी गाड़ियों का डेटा और उनके प्रबंध का सुझाव मांगा। 59 हजार पुरानी गाड़ियां पंजीकृत थीं लेकिन, हमें सड़क पर 18 हजार 500 गाड़ियां ही मिली। हमने एक अभियान चलाकर गाड़ियां इकट्ठी कीं, तब जाकर सफलता मिली।

परिचय

वर्ष 1967 में जन्मे पूर्व दानिक्स अधिकारी विश्व मोहन ने लोधी एस्टेट स्थित श्यामा प्रसाद मुखर्जी विद्यालय से 10वीं और आरके पुरम केंद्रीय विद्यालय से 12वीं की पढ़ाई की। आइआइटी दिल्ली से बीटेक करने के बाद भेल में काम किया। 1993 से 2017 तक दिल्ली अंडमान निकोबार द्वीप समूह सिविल सेवा (दानिक्स) अधिकारी के तौर पर डीडीए, एसडीएम शाहदरा, डीटीसी, साहित्य कला परिषद आदि विभागों में सेवा दी। 2003 से 2005 तक अमेरिका यूनिवर्सटिी आफ नोटरी डेम इंडियन से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर किया। 2017 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। वर्तमान में छात्रों को जेईई व नीट की तैयारी करवाते हैं।

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