MBBS इंटर्न का स्टाइपेंड बढ़ाने के लिए फोर्डा ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को लिखा पत्र

फेडरेशन आफ रेजीडेंट डाक्टर्स एसोसिएशन इंडिया (फोर्डा) ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को पत्र लिखकर राज्य में एमबीबीएस इंटर्न का स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग की है।फोर्डा के अध्यक्ष मनीष सिंह ने बताया कि उत्तराखंड में फिलहाल एमबीबीएस इंटर्न को 7500 रुपये प्रति माह स्टाइपेंड दिया जा रहा है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 05:04 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 05:04 PM (IST)
MBBS इंटर्न का स्टाइपेंड बढ़ाने के लिए फोर्डा ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को लिखा पत्र
फेडरेशन आफ रेजीडेंट डाक्टर्स एसोसिएशन इंडिया ने सीएम तीरथ सिंह रावत को पत्र लिखकर स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग की है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। फेडरेशन आफ रेजीडेंट डाक्टर्स एसोसिएशन इंडिया (फोर्डा) ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को पत्र लिखकर राज्य में एमबीबीएस इंटर्न का स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग की है।फोर्डा के अध्यक्ष मनीष सिंह ने बताया कि उत्तराखंड में फिलहाल एमबीबीएस इंटर्न को 7500 रुपये प्रति माह स्टाइपेंड दिया जा रहा है। इसमें पिछले एक दशक से कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गई है। जबकि अन्य पड़ोसी राज्यों में यह स्टाइपेंड 20 हजार रुपये प्रतिमाह है। इसलिए उत्तराखंड सरकार भी एमबीबीएस इंटर्न का स्टाइपेंड बढ़ाए।

उन्होंने बताया कि एमबीबीएस की साढे़ चार वर्ष तक पढ़ाई करने के बाद सभी को अनिवार्य रूप से एक साल तक विभिन्न चिकित्सकीय कौशल को सीखने के लिए इंटर्न करना होता है। इसलिए सभी इंटर्न को उनके कठिन परिश्रम के लिए उचित स्टाइपेंड मिलना चाहिए।

फोर्डा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि हम संस्था के माध्यम से कई बार एक देश एक स्टाइपेंड की मांग करते रहे हैं। कोरोना संकट में पिछले डेढ़ साल से सभी स्वास्थ्यकर्मी पूरी तरह मरीजों की सेवा में जुटे हुए हैं। इसलिए पूरे देश के एमबीबीएस इंटर्न को एक समान मानते हुए उत्तराखंड में भी इनका स्टाइपेंड बढ़ाया जाए। उधर इससे पहले देहरादून और हल्द्वानी के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में रियायती फीस पर पढ़ाई की सुविधा खत्म होने से प्रदेश के छात्र-छात्राओं की मुश्किलें पहले ही बढ़ी हुई हैं।

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छात्र-छात्राएं बॉन्ड भरकर रियायती फीस का विकल्प चाहते हैं। उधर, बॉन्ड भरने के विकल्प को पर्वतीय क्षेत्रों के मेडिकल कॉलेजों तक सीमित कर चुकी सरकार इस फैसले को ज्यादा व्यावहारिक बनाने पर विचार कर सकती है। सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने इसके संकेत दिए।

प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में रियायती फीस पर एमबीबीएस की पढ़ाई की हसरत पाले बैठे छात्र-छात्राओं को सरकार ने बीते वर्ष जून माह में झटका दिया था। शासनादेश के मुताबिक दो कॉलेजों राजकीय मेडिकल कॉलेज देहरादून और हल्द्वानी में बीते वर्ष से ही नए छात्र-छात्राओं को रियायती फीस के एवज में सरकारी सेवा संबंधी बांड की सुविधा खत्म की जा चुकी है।

दोनों कॉलेजों से पासआउट होने वाले बांडधारक चिकित्सकों से प्रदेश में चिकित्सकों के सभी रिक्त पद भरने का हवाला देते हुए सरकार ने ये कदम उठाया। अन्य दो सरकारी मेडिकल कॉलेजों श्रीनगर और अल्मोड़ा में दाखिला लेने वाले छात्र-छात्राओं को बॉन्ड की सुविधा ऐच्छिक आधार पर देने का प्रविधान है।

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