Delhi Metro: फेज-4 के काम को जल्द पूरा करने के लिए DMRC अपना रहा ये खास तकनीक, जानें इसकी खासियतें

डीएमआरसी ने शुरू की ट्रांसपोर्टर की सुविधा से लैश आधुनिकतम लांचर सड़क और यातायात कम बाधित होंगे गर्डर डालने के काम में आएगी तेजी। डीएमआरसी के प्रबंध निदेशक डॉ. मंगू सिंह की उपस्थिति में मजलिस पार्क के निकट इस लांचर ने काम करना शुरू किया।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Mon, 05 Jul 2021 06:01 PM (IST) Updated:Tue, 06 Jul 2021 12:17 PM (IST)
Delhi Metro: फेज-4 के काम को जल्द पूरा करने के लिए DMRC अपना रहा ये खास तकनीक, जानें इसकी खासियतें
मजलिस पार्क के निकट इस लांचर ने काम करना शुरू किया।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC-डीएमआरसी) ने आज अपनी निर्माण प्रौद्योगिकी में एक नया प्रयोग की शुरूआत की। नई तकनीकी का प्रयोग करते हुए जनकपुरी पश्चिम – आरके आश्रम मार्ग कॉरिडोर पर दोहरे यू-गर्डर रखे जाने का काम किया गया। इसका प्रयोग करते हुए ट्रासंपोर्टर से जुड़े विशेष तौर पर डिजाइन किए गए लांचर के द्वारा लांचिंग कार्य की शुरुआत की गई। DMRC (डीएमआरसी) के प्रबंध निदेशक डॉ. मंगू सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में मजलिस पार्क के निकट इस लांचर ने काम करना शुरू किया।

भारत में पहली बार ऐसी किसी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जा रहा है। निर्मित होने वाले यू-गर्डरों का कुल लोड अधिकतम 160 टन है और कांट्रेक्ट के अनुसार ऐसे 462 यू-गर्डरों का निर्माण होना है। मुकरबा चौक से अशोक विहार के बीच 9.5 कि.मी. लंबे वायाडक्ट के निर्माण कार्यों के लिए इस लांचर की शुरुआत की गई जिस पर भलस्वा, मजलिस पार्क, आजादपुर और अशोक विहार सहित चार स्टेशन होंगे तथा इसका कनेक्शन मजलिस पार्क डिपो से होगा।


पिछले चरणों में निर्माण कार्यों के दौरान यू-गर्डरों को 350/400 टन क्षमता वाली दो क्रेनों की मदद से स्थापित किया गया था जिन्हें प्रत्येक खंबे के पास खड़ा किया जाता था और इन यू-गर्डरों को प्रत्येक खंबे तक बारह एक्सल वाले लगभग 42 मीटर लंबे ट्रेलर की मदद से लाया जाता था। दिल्ली जैसे शहरी क्षेत्र में इन भारी-भरकम क्षमता वाली क्रेनों को खड़ा करने के लिए पर्याप्त स्थान तलाशना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है क्योंकि ये क्रेनें बहुत जगह घेरती हैं। इसके अतिरिक्त, 28 मीटर लंबाई वाले यू-गर्डरों को इतने लंबे ट्रेलरों पर लेकर जाना भी एक दुरुह कार्य था।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सड़कों पर या तो अत्यधिक भीड़भाड़ होती है अथवा रात्रि के समय भी भारी यातायात होता है। इन मजबूरियों के चलते अक्सर निर्माण कार्यों में यू-गर्डरों के इस्तेमाल में दिक्कतें आती हैं। हालांकि यह भी सत्य है कि लागत और समय के संदर्भ में वायाडक्टों के लिए यू-गर्डर सर्वाधिक उपयुक्त स्ट्रक्चर का काम करते हैं, ट्रांसपोर्टरों की सुविधा के साथ ये नए आधुनिकतम लांचर पूरी तरह विद्युत चालित हैं और पारंपरिक लांचरों/ क्रेनों की तुलना में कहीं अधिक कार्य करते हैं।

ट्रांसपोर्टर एक तय स्थल से यू-गर्डरों को उठाते हैं और पहले से निर्मित यू-गर्डरों पर बिछाई गई अस्थायी पटरियों पर आगे बढ़ते हैं और फीडिंग प्वाइंट से लांचर तक अपेक्षित संख्या में यू-गर्डर ले जाते हैं। फलस्वरूप, यू-गर्डरों को ट्रेलर के माध्यम से पूरे निर्माण स्थल पर न रखकर एक निर्धारित उपयुक्त फीडिंग प्वाइंट तक ले जाया जाता है, इससे बहुत कम स्थान की जरूरत पड़ती है।


यह नया लांचर 62 मीटर लंबा, 10.4 मीटर चौड़ा तथा कुल 230 टन भार के साथ 12.2 मीटर ऊंचा है। यह 4% तक ग्रेडिएंट और 200 मीटर व्यास वाले कर्व के लिए व्यवस्था कर सकता है और 14.5 मीटर से 250 मीटर तक के स्पैन की लांचिंग के लिए सक्षम हैं। फीडिंग प्वाइंट से लांचर तक यू-गर्डरों की ढुलाई करने वाला ट्रांसपोर्टर 41.75 मीटर लंबा, 6.5 मीटर चौड़ा 4.8 मीटर ऊंचा है, इसका कुल भार 35 टन है तथा निर्धारित क्षमता 180 टन है। ट्रांसपोर्टर बिना लोड के 3 कि.मी.प्र.घं. की गति से तथा फुल लोड के साथ 2 कि.मी.प्र.घं. की गति से चल सकता है।

यू-गर्डरों की लांचिंग के पारंपरिक तरीके की तुलना में इस नए इनोवेशन का आउटपुट बहुत अधिक है। इस लांचर की मदद से प्रतिदिन औसतन 4 से 6 यू-गर्डरों का इरेक्शन कार्य किया जा सकता है, जबकि दिल्ली-एनसीआर के घनी आबादी वाले क्षेत्रों की वजह से पारंपरिक तरीके से केवल लगभग 2 यू-गर्डरों का कार्य किया जा सकता है। पारंपरिक क्रेनों की मदद से यू-गर्डरों का इरेक्शन कार्य केवल रात्रि के दौरान किया जा सकता है। क्रेनों को खड़ा करने के लिए सड़कें ब्लॉक करनी पड़ती हैं। इसके लिए सड़क पर संचालन के दौरान अत्यधिक यातायात का सामना करना पड़ता है क्योंकि यू-गर्डरों को लगभग 40 मीटर लंबे ट्रेलर पर ले जाया जाता है। जबकि ट्रांसपोर्टर वाले इस नए लांचर के मामले में, यू-गर्डरों को निर्मित वायाडक्ट पर एक निर्धारित फीडिंग प्वाइंट से ट्रांसपोर्टर की मदद से सड़क से किसी संपर्क के बिना ले जाया जाता है।

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