फ्लैट खरीदारों ने SC को दी जानकारी, सुपरटेक ने अतिक्रमण कर एमेरल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट में 2 टावर बनाए

सुप्रीम कोर्ट ने दो टावरों को ध्वस्त करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2014 के आदेश के खिलाफ सुपरटेक लिमिटेड की अपील पर अंतिम सुनवाई शुरू की है। रेजिडेंट एसोसिएशन ने अदालत से कहा कि एफएआर बढ़ने के बाद भी बिल्डर हरित क्षेत्र नहीं बदल सकता।

By Jp YadavEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 08:45 AM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 08:45 AM (IST)
फ्लैट खरीदारों ने SC को दी जानकारी, सुपरटेक ने अतिक्रमण कर एमेरल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट में 2 टावर बनाए
फ्लैट खरीदारों ने SC को दी जानकारी, सुपरटेक ने अतिक्रमण कर एमेरल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट में 2 टावर बनाए

नई दिल्ली/नोएडा, पीटीआइ। नोएडा स्थित एमेरल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के फ्लैट खरीदारों ने बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि रियल्टी फर्म सुपरटेक लिमिटेड ने हरित क्षेत्र का अतिक्रमण करके और दो बड़े टावर बनाकर बढ़े हुए फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) का फायदा लेने की कोशिश की है। एफएआर भूखंड के कुल क्षेत्र के कुल निर्मित क्षेत्र का अनुपात होता है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने दो टावरों को ध्वस्त करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2014 के आदेश के खिलाफ सुपरटेक लिमिटेड की अपील पर अंतिम सुनवाई शुरू की है। रेजिडेंट एसोसिएशन ने अदालत से कहा कि एफएआर बढ़ने के बाद भी बिल्डर हरित क्षेत्र नहीं बदल सकता।

एमराल्ड कोर्ट ओनर रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत भूषण ने कहा कि उपनियमों के अनुसार, बिल्डर फ्लैट मालिकों की सहमति के बिना हरित क्षेत्र को नहीं बदल सकता। भूषण ने कहा, 'गार्डन एरिया फ्लैट खरीदारों को न केवल ब्रोशर में बल्कि कंप्लीशन प्लान में भी दिखाया गया था। उस क्षेत्र में एक 40 मंजिला टावर बनाया गया था, जिसे ब्रोशर में उद्यान क्षेत्र के साथ-साथ पूरा करने की योजना के रूप में दिखाया गया था।'

शुरुआत में रियल एस्टेट कंपनी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि उन्हें 1,500 से अधिक घर खरीदारों की सहमति लेने की जरूरत नहीं थी क्योंकि योजना को मंजूरी मिलने के बाद आरडब्ल्यूए अस्तित्व में आया था। उन्होंने कहा कि अनिवार्य 16 मीटर दूरी का मानदंड भवन खंड के लिए नहीं बल्कि एक अलग भवन के लिए है और मौजूदा मामले में यह पहले से मौजूद भवन का हिस्सा है। विकास सिंह ने कहा कि नए निर्माण में किसी अग्नि सुरक्षा प्रोटोकाल या किसी अन्य मानदंड का उल्लंघन नहीं किया गया।

नोएडा प्राधिकरण की ओर से पेश अधिवक्ता रवींद्र कुमार ने कहा कि एक मूल और तीन संशोधित सहित हाउसिंग सोसाइटी की सभी योजनाओं को मौजूदा कानूनों के अनुसार अनुमोदित किया गया था। नोएडा के अधिकारी हाई कोर्ट के आदेश के बाद मुकदमे का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों की ओर से किसी भी तरह का कोई गलत काम नहीं किया गया है। इस मामले में सुनवाई अधूरी रही। अब तीन अगस्त को आगे सुनवाई होगी।

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