Vegetable Prices Downfall:लॉकडाउन के चलते सब्जियों के दामों में भारी गिरावट, किसान परेशान; ये रही लिस्ट
Vegetable Prices Downfall आजादपुर मंडी में ऐसे हालात हो गए हैं कि दो दिन तक कोई टमाटर खरीद नहीं रहा और दाम इतने कम हो गए हैं कि वापस लेकर आते हैं तो गाड़ी का भाड़ा अलग से देना पड़ता है।
नई दिल्ली [सोनू राणा]। दिल्ली के किसानों पर लॉकडाउन की मार पड़ने लगी है। सब्जी की खेती करने वाले किसानों के सामने यह नौबत आ गई है कि वह खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चलाने को मजबूर हैं। बड़ी संख्या में सब्जी की खेती करने वाले बाहरी दिल्ली के बख्तावरपुर, हिरनकी, तिगीपुर, बकोली, पल्ला, सुंगरपुर आदि गांव के किसान टमाटर, खीरा टिंडा, स्वीट कार्न, तरबूज आदि मुफ्त में बांटने को मजबूर हो रहे हैं। सामान खराब होते देख पांच रुपये किलो के हिसाब से टमाटर, सात रुपये किलो में खीरा व तरबूज तो भिंडी 18 रुपये व टिंडा 20 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचना पड़ रहा है। उनका कहना है कि न तो साप्ताहिक बाजार खुल रहे हैं और न ही सभी दुकानें। इस वजह से सब्जियों की मांग कम हो गई है। आजादपुर मंडी में ऐसे हालात हो गए हैं कि दो दिन तक कोई टमाटर खरीद नहीं रहा और दाम इतने कम हो गए हैं कि वापस लेकर आते हैं तो गाड़ी का भाड़ा अलग से देना पड़ता है।
इन सब्जियों-फलों के गिरे दाम टमाटर- 5 रुपये किलो खीरा- 7 रुपये किलो टिंडा- 20 रुपये किलो स्वीट कार्न तरबूज- 7 रुपये किलो भिंडी- 18 रुपये किलो
सतीश (किसान, सुंगरपुर गांव) ने बताया कि पिछले लॉकडाउन में भी काफी नुकसान सहना पड़ा था। इस बार भी यही हाल हो रहा है। मैंने 15 एकड़ जमीन पर तरबूज लगा रखा है। अब हालत यह हो गई है कि मंडी में आठ रुपये में भी मुश्किल से तरबूज खरीद रहे हैं। इससे कई ज्यादा तो लागत आ रखी है। कामगारों को 40 रुपये घंटे के हिसाब से तुड़वाई के भी देने पड़ रहे हैं।
मनोज (किसान, तिगीपुर गांव) का कहना है कि जो स्वीट कॉर्न पहले 2,200 रुपये प्रति बोरी (60 से 65 किलो) के हिसाब से बिक रहा था व अब घट कर 600 रुपये बोरी पर आ गया है। इस वजह से बीते सप्ताह एक एकड़ खड़ी स्वीट कार्न की फसल पर ट्रैक्टर चलाना पड़ा था, जिस भाव में फसल बिक रही है इससे ज्यादा तो लागत आ जा रही है।
वहीं, लेखराज (किसान, हिरनकी गांव) के मुताबिक, लॉकडाउन से पहले मंडी में 20 रुपये किलो के हिसाब से हमारे टमाटर जाते थे। अब पांच रुपये प्रति किलो के हिसाब से भी कोई टमाटर खरीदने को कोई तैयार नहीं है। ऐसे ही हाल चलता रहा तो आने वाले दिनों में पौधों से टमाटर तोड़ने ही बंद करने पड़ेंगे।