Farmers Protest: बंद होगा प्रदर्शन तो खुलेंगे रोजगार के शटर, लोगों को जगी उम्मीद जल्द जाएंगे प्रदर्शनकारी

सिंघु बार्डर पर रहने वाले काम करने वाले व खेती करने वाले लोगों का कहना है कि वह भी किसान के बेटे हैं और यहां पर मजदूरी करके अपना पेट पाल रहे हैं। ऐसे किसी के रोजगार को बंद करके कोई आंदोलन नहीं चलाया जाता।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Sat, 20 Nov 2021 04:15 PM (IST) Updated:Sat, 20 Nov 2021 04:15 PM (IST)
Farmers Protest: बंद होगा प्रदर्शन तो खुलेंगे रोजगार के शटर, लोगों को जगी उम्मीद जल्द जाएंगे प्रदर्शनकारी
सिंघु बार्डर पर बंद पड़ा पेट्रोल व सीएनजी पंप। जागरण।

नई दिल्ली [सोनू राणा]। सिंघु बार्डर पर कृषि कानून विरोधी प्रदर्शनकारियों के बैठे होने की वजह से सबसे ज्यादा परेशानी दिल्ली व हरियाणा के किसानों व मजदूरों को हो रही है। प्रधानमंत्री मोदी की ओर से कानूनों को रद करने की घोषणा के बाद भी उनको परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अब जब प्रदर्शन खत्म होगा व प्रदर्शनकारी वापस चले जाएंगे तभी उनके रोजगार के शटर खुलेंगे। सिंघु बार्डर पर रहने वाले, काम करने वाले व खेती करने वाले लोगों का कहना है कि वह भी किसान के बेटे हैं और यहां पर मजदूरी करके अपना पेट पाल रहे हैं। ऐसे किसी के रोजगार को बंद करके कोई आंदोलन नहीं चलाया जाता। उन्होंने कृषि कानूनों को रद करने पर इसलिए खुशी जाहिर की है क्योंकि प्रदर्शनकारी यहां से चले जाएंगे व उनका रोजगार शुरू होगा।

किसी का रोजगार खराब कर प्रदर्शन करना उचित नहीं

सिंघु बार्डर बंद होने की वजह से अपनी नौकरी गंवा चुके अखिलेश यादव का कहना है कि 11 महीनों से ज्यादा समय से सिंघु बार्डर बंद है। इस वजह से उनकी नौकरी चली गई है। वह पेट पालने के लिए भी दर-दर की ठोकर खा रहे हैं। कभी किसी फैक्ट्री में काम करने जाते हैं तो कभी खेतों में। अखिलेश ने बताया कि जब प्रदर्शन खत्म होगा तभी उनका रोजगार शुरू होगा। प्रदर्शन करना ठीक है, लेकिन किसी के पेट पर लात मारकर प्रदर्शन करना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि वह भी अपना घर छोड़कर यहां आए हैं। अब उनको धक्के खाने पड़ रहे हैं। जब प्रदर्शनकारी यहां से चले जाएंगे तभी उनको कोई काम मिलेगा।

प्रदर्शनकारियों की जिद पड़ रही भरी

दुकानदार बिट्टू ने कहा कि प्रदर्शनकारियों की जिद से उनका जीवन बदल गया, पहले बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ते थे, लेकिन बीते वर्षों में इतना नुकसान हुआ कि उन्हें सरकारी स्कूल में पढ़ाने को मजबूर हैं।

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