Farmers Protest: किसान आंदोलन में बड़ा ट्विस्ट, संयुक्त किसान मोर्चा ने योगेंद्र यादव को किया निलंबित

Farmers Protest News नए कृषि कानून को रद करवाने के लिए लंबे समय से चले आ रहे किसान आंदोलन से बड़ा ट्विस्ट आ गया है। गुरुवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने योगेंद्र यादव को निलंबित कर दिया है। मोर्चा ने यह निलंबन एक माह के लिए किया गया है।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 11:32 PM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 07:36 AM (IST)
Farmers Protest: किसान आंदोलन में बड़ा ट्विस्ट, संयुक्त किसान मोर्चा ने योगेंद्र यादव को किया निलंबित
Farmers Protest News: संयुक्त किसान मोर्चा ने योगेंद्र यादव को किया निलंबित

नई दिल्ली/ रेवाड़ी [महेश कुमार वैद्य]। नए कृषि कानून को रद करवाने के लिए लंबे समय से चले आ रहे किसान आंदोलन से बड़ा ट्विस्ट आ गया है। गुरुवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने योगेंद्र यादव को निलंबित कर दिया है। मोर्चा ने यह निलंबन एक माह के लिए किया गया है। किसान मोर्चा ने यह कार्रवाई योगेंद्र यादव पर लखीमपुर खीरी मामले को लेकर की गई है। वहीं इस मामले पर निलंबन के बाद योगेंद्र यादव ने अपनी सफाई भी पेश करते हुए कहा कि मैं सजा पाकर खुश हूं। आइए जानते हैं पूरी बात सिलसिलेवार ढंग से।

किसान आंदोलन के बड़े नेता पर क्यों हुई कार्रवाई

किसान आंदोलन में योगेंद्र यादव एक बड़ा नाम हैं जो अक्सर किसानों की बातों को लेकर प्रमुखता से सरकार के सामने अपनी मांग रखते आए हैं। ऐसे में किसान मोर्चा के ऐसे फैसले से सभी आश्चर्यचकित हैं। आइए जानते हैं कि मोर्चा में यह कार्रवाई क्यों कि है। मिली जानकारी के अनुसार यूपी के लखीमपुर खीरी में किसानों को कुचले जाने के बाद हुई मौत मामले में जब योगेंद्र यादव किसानों की श्रद्धांजलि सभा में भाग लेने के बाद एक भाजपा कार्यकर्ता जिसकी मौत भी इसी घटना में हुई थी उसके घर गए थे। इसी कारण माेर्चा के कई नेता नाराज चल रहे थे जिसके कारण यह एक्शन उन पर लिया गया है।

निलंबित होने के बाद क्या है योगेंद्र यादव का कहना

उन्होंने बताया कि मेरे निष्कासन की वजह यह है कि लखीमपुर खीरी मैं शहीद किसानों की श्रद्धांजलि सभा में भाग लेने के बाद मैं उनमें से एक भाजपा कार्यकर्ता के घर शोक व्यक्त करने चला गया था, जिसकी उस दिन मौत हुई थी। मुझे वहां जाने से पहले अपने साथियों की राय लेनी चाहिए थी। मैं ऐसा नहीं कर पाया। इसलिए मैंने आज की बैठक में खेद भी व्यक्त किया है, मगर जहां तक नीति और सिद्धांत की बात है तो मेरा स्टैंड स्पष्ट है। मेरा मानना है कि इंसानियत का तकाजा है कि हम हर किसी के शोक में शरीक हों, अपने विरोधियों के शोक में भी। मेरी नीति की समझ भी यही कहती है की नैतिक मानदंडों को बनाए रखने से आंदोलन कमजोर नहीं बल्कि मजबूत होता है। मैं इस सजा को खुशी से स्वीकार करता हूं क्योंकि मोर्चा किसी भी व्यक्ति से बड़ा है।

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