सियासत की चक्की में पिसते हैं दिल्ली के किसान, सरकार ने नहीं दिया किसान का दर्जा तो कैसे मिलें सुविधाएं

किसानों ने कहा कि राजधानी के देहात क्षेत्र में इन दिनों गेहूं की फसल तैयार हो चुकी है। हालांकि दिल्ली सरकार की ओर से उन्हें किसान का दर्जा नहीं मिला है। ऐसे में उन्हें अन्य राज्यों की तरह किसानों को मिल रही सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Fri, 09 Apr 2021 01:22 PM (IST) Updated:Sat, 10 Apr 2021 10:12 AM (IST)
सियासत की चक्की में पिसते हैं दिल्ली के किसान, सरकार ने नहीं दिया किसान का दर्जा तो कैसे मिलें सुविधाएं
दिल्ली सरकार किसान का दर्जा दे रही है और न ही उनकी फसल को MSP पर खरीदा जा रहा है।

नई दिल्ली, [धनंजय मिश्र]। राजधानी के किसान सियासत की चक्की में पिस रहे हैं। दिल्ली सरकार न तो उन्हें किसान का दर्जा दे रही है और न ही उनकी फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जा रहा है। ऐसे में वह समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर वह अपनी उपज लेकर कहां जाएं। यह दर्द उन किसानों का है, जो बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री आवास के बाहर प्रदर्शन करने पहुंचे थे।

किसानों ने कहा कि राजधानी के देहात क्षेत्र में इन दिनों गेहूं की फसल तैयार हो चुकी है। हालांकि, दिल्ली सरकार की ओर से उन्हें किसान का दर्जा नहीं मिला है। ऐसे में उन्हें अन्य राज्यों की तरह किसानों को मिल रही सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। किसान राजेंद्र सिंह मान ने बताया कि 16 एकड़ में उन्होंने गेहूं पैदा किया है, लेकिन मंडी में फसल का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। मेहनत से तैयार की गई फसल का किसानों को उचित मूल्य दिया जाना चाहिए।

किसानों की बातें

गेहूं का उचित मूल्य मंडी में नहीं मिल रहा है। किसान परेशान हो रहे हैं। किसानों का सोना खेतों में बिखरा पड़ा है। सरकार से मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की जाए।

सुरजीत राणा, किसान

12 एकड़ खेत में गेहूं की फसल तैयार है। तैयार फसल की जल्द कटाई शुरू करनी होगी नहीं तो फसल खराब हो जाएगी। दूसरी तरफ मंडियों में फसल का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। अब किसान औने-पौने दामों पर उपज बेचने को मजबूर हैं। सुखबीर सिंह, किसान

शीला दीक्षित सरकार ने दिल्ली में किसान का दर्जा खत्म कर दिया था। इससे किसानों को मिलने वाली सुविधाएं खत्म हो गईं। वहीं, केजरीवाल सरकार ने सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली देने का मामला दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग पर छोड़ दिया। सरकार से आग्रह है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जाए।

उमेद सिंह, किसान

मैं एक ट्राली गेहूं लेकर आया था, लेकिन एफसीआइ के गोदाम का मुख्य गेट बंद होने की वजह से कई घंटे इंतजार कर वापस घर जाना पड़ा। मेरा खुद का ट्रैक्टर है, इसलिए करीब 850 रुपये का डीजल लगा। अगर दूसरे का ट्रैक्टर होता तो 2200 रुपये खर्चा आता। खरीद एजेंसियों की उदासीनता के कारण किसानों को कम दामों में गेहूं बेचना पड़ता।

राकेश कुमार, किसान, कुशक हिरणकी गांव

दिल्ली सरकार की ओर से गिरदावरी नहीं दी जाती और केंद्र सरकार की खरीद एजेंसी की ओर से गिरदावरी के बिना खरीद नहीं की जाती। किसान अब गेहूं बेचता है, तो एमएसपी से कम दाम पर बिक रहे हैं। न बेचे तो खेत में आग लगने का खतरा है। सरकारों के खेल में किसान पिस गया है।

रोहताश, किसान, बांकनेर गांव

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