Kisan Agitation: किसानों ने दिए संकेत, केंद्र सरकार के प्रस्ताव पर कर सकते हैं पुनर्विचार
Kisan Agitation ऑल इंडिया किसान सभा पंजाब के उपाध्यक्ष लखवीर सिंह ने बताया कि सरकार के प्रस्ताव पर दोबारा विचार करने के लिए पंजाब के किसान संगठनों की बैठक हुई है और रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा की भी बैठक होगी।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनरत किसान संगठनों ने केंद्र सरकार के प्रस्ताव पर दोबारा विचार करने के संकेत दिए हैं। केंद्र सरकार ने बुधवार को किसान संगठनों के साथ हुई वार्ता में तीनों कानूनों को 18 माह के लिए स्थगित करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन शुक्रवार को हुई वार्ता में किसानों ने केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। अब सिंघु बार्डर पर पंजाब के किसान संगठनों ने शनिवार को एक बैठक की है, जिससे सरकार के प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने के संकेत मिले हैं। बताया जाता है कि बैठक में पंजाब के 32 किसान संगठनों के नेताओं ने हिस्सा लिया है। इससे सरकार व किसान संगठनों के बीच दोबारा वार्ता शुरू होने के आसार दिखाई दे रहे हैं। इस बाबत ऑल इंडिया किसान सभा पंजाब के उपाध्यक्ष लखवीर सिंह ने बताया कि सरकार के प्रस्ताव पर दोबारा विचार करने के लिए पंजाब के किसान संगठनों की बैठक हुई है और रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा की भी बैठक हुई थी।
सिंघु बॉर्डर पर दो दिवसीय किसान संसद की शुरुआत
नए कृषि कानूनों के विरोध में सिंघु बार्डर पर 59 दिन से चल रहे प्रदर्शन के समर्थन में सिंघु बार्डर पर शनिवार से दो दिवसीय किसान संसद की शुरुआत हुई। गुरु तेग बहादुर स्मारक में आयोजित किसान संसद के पहले दिन वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण, मेधा पाटेकर सहित कई प्रमुख लोगों ने हिस्सा लिया। इसमें वक्ताओं ने कृषि कानूनों को किसान विरोधी बताया और इसे वापस लेने की मांग की। इस किसान संसद में किसान नेताओं व किसानों ने भी भाग लिया।प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार की ओर से कानून बनाने से पहले किसानों से सहमति नहीं ली गई। नतीजतन इतना बड़ा आंदोलन खड़ा हो गया। सरकार की ओर से कई बार आंदोलन को दबाने की कोशिश भी की गई। उन्होंने कहा कि जब संसद में किसानों की बातों को नहीं सुना गया तो उन्होंने किसान संसद आयोजित की। इस संसद में दो दिन तक कृषि कानूनों पर चर्चा की जाएगी।
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