परीक्षण में पर्दाफाश हुआ राज्य का मौजूदा बुनियादी चिकित्सा ढांचा : हाई कोर्ट

अधिवक्ता के माध्यम दायर याचिका पर पीठ ने कहा कि यहां तक ​​कि सबसे अधिक आर्थिक रूप से सम्पन्न देशों ने बड़े पैमाने पर आ रहे कोरोना मामलों से निपटने में खुद को कमजोर पाया है।पीठ ने कहा कि वेंटिलेटर के साथ बेड की सुविधा देना राज्य का दायित्व है।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 07:45 AM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 09:02 AM (IST)
परीक्षण में पर्दाफाश हुआ राज्य का मौजूदा बुनियादी चिकित्सा ढांचा : हाई कोर्ट
हम याचिकाकर्ता से यह कहकर मुंह नहीं फेर सकते कि राज्य में बुनियादी ढांचा नहीं है।

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। ऑक्सीजन स्तर 40 आने के बावजूद भी दिल्ली में आइसीयू बेड नहीं मिलने पर 52 वर्षीय लक्ष्मण सिंह की तरफ से दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की मौजूदा बुनियादी चिकित्सा ढांचा पर गंभीर सवाल उठाया। न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा कि कोरोना महामारी के परीक्षण के दौरान राज्य का मौजूदा बुनियादी चिकित्सा ढांचा का पर्दाफाश हो गया है। लोगों की जान बचाने के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा प्रदान करने के राज्य के दायित्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। अदालत याचिकाकर्ता से यह कहकर मुंह नहीं फेर सकती कि राज्य में बुनियादी ढांचा नहीं है। ऑक्सीजन आपूर्ति की आड़ में चिकित्सकीय ढांचे का दिल्ली सरकार द्वारा बचाव करने पर पीठ ने कहा कि रेत में सिर घुसाए शुतुरमुर्ग की तरह मत बनिये।

अधिवक्ता एमके गहलोत के माध्यम दायर याचिका पर पीठ ने कहा कि यहां तक ​​कि सबसे अधिक आर्थिक रूप से सम्पन्न देशों ने बड़े पैमाने पर आ रहे कोरोना मामलों से निपटने में खुद को कमजोर पाया है। पीठ ने कहा कि वेंटिलेटर के साथ बेड की सुविधा देना राज्य का दायित्व है। हालांकि, यह भी स्पष्ट किया कि सिर्फ इसलिए कि अदालत ने यह आदेश दिया है याचिकाकर्ता को कोई अधिमान्य अधिकार नहीं मिल जाता। पीठ ने कहा कि हम संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने की शपथ लेते हैं और ऐसे में हम याचिकाकर्ता को अपनी जीवन को बचाने के लिए सुविधा उपलब्ध कराने का आदेश देने के लिए बाध्य हैं। इस समय एक हजार से अधिक लोग बेड के लिए परेशान हैं और उनका भी समान दावा है। ऐसे में अदालत आने के आधार पर याची के लिए आदेश जारी करना सही नहीं होगा, क्योंकि कई और लाेग इसे लेकर अदालत आएंगे।

पीठ ने कहा कि क्योंकि अधिवक्ता गहलोत ने कहा कि उन्होंने यह याचिका निशुल्क दायर की है। ऐसे में दिल्ली के सभी निवासियों को चिकित्सा उपचार के लिए सुविधा प्रदान करने के लिए दिल्ली सरकार को निर्देश देते हुए याचिका का निपटारा किया जाता है।

सुनवाई के दौरान गहलोत ने याची की स्थिति बताते हुए मदद की मांग की। पहले तो पीठ ने दिल्ली सरकार को मामले को देखने कहा। पीठ ने कहा कि हम महसूस कर सकते हैं लेकिन कोई आदेश नहीं जारी करेंगे। गहलाेत ने अनुरोध किया कि मामले में डीएम या स्वास्थ्य सचिव दिल्ली को मामले को देखने के संबंध में निर्देश दिया जाए। पीठ ने कहा कि वह याचिका खारिज नहीं करेगी क्योंकि यह जीवन के अधिकार का मामला है। पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है। कोरोना वायरस लगातार उत्परिवर्तित होकर घातक साबित हो रहा है। बड़ी संख्या में लोगों की हालात गंभीर हो जाती है और फिर उन्हें आइसीयू ही नहीं वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है।

राजनीति से ऊपर नहीं उठ पा रहे हैं आप

चिकित्सकीय ढांचे को लेकर अदालत की सख्त व तल्ख टिप्पणी पर दिल्ली सरकार के स्टैंडिंग काउंसिल राहुल मेहरा ने कहा कि अदालत ऐसा नहीं कहे कि हमारे पास चिकित्सा ढांचा नहीं है। उन्होंने दलील दी कि ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं होने के कारण यह समस्या है। मेहरा की इस दलील से नाराज पीठ ने सवाल उठाया कि मतलब आप कहना चाहते हैं कि ऑक्सीजन होने मात्र से सबकुछ ठीक हो जाएगा। अगर इस तरह से आप अपना बचाव करेंगे तो हमें कहना पड़ेगा कि आप भी शुतुरमुर्ग की तरह बर्ताव कर रहे हैं। पीठ ने कहा आप अब भी राजनीति से ऊपर नहीं उठ पा रहे हैं। पीठ ने कहा कि उस दिन जब एक अधिवक्ता के बहनोई की मौत हुई थी तो हमने महसूस किया था कि एक राज्य होने के नाते हम नाकाम हुए हैं। बताईए भविष्य के चिकित्सा ढांचे को लेकर हमारी क्या योजना है। हम उस परिवार को क्या जवाब देंगे। अदालत के सख्त रुख के बाद राहुल मेहरा ने अपनी दलील वापस ले ली।

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