दिल्ली में अतिक्रमण बना पैदल चलने वालों की राह में बाधा
दिल्ली में यातायात के नियमों का पालन करने पैदल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पैदल यात्रियों की परेशानियों को उजागर करने व जिम्मेदारों तक पहुंचाने के लिए दैनिक जागरण ने ‘ये फुटपाथ हमारा है’ अभियान शुरू किया है।
नई दिल्ली [अरविंद कुमार द्विवेदी]। पैदल चलना न सिर्फ स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है, बल्कि यह पर्यावरण हितैषी भी है, लेकिन राजधानी दिल्ली में पैदल चलना मुश्किल ही नहीं, खतरनाक भी है। दिल्ली में सड़कें, फुटपाथ व फ्लाईओवर बनाते समय पैदल यात्रियों का ध्यान नहीं रखा जाता है, इसीलिए लोग पैदल चलने से परहेज भी कर रहे हैं। अतिक्रमण, गलत डिजाइन और जगह-जगह पेड़ लगा दिए जाने के कारण राहगीरों को पैदल चलने में परेशानी होती है। अक्सर हादसे भी होते हैं।
राजधानी दिल्ली में वर्ष 2019 में 678 पैदल यात्रियों की जान चली गई, जबकि वर्ष 2018 में 775 पैदल यात्रियों की जान गई थी। दिल्ली में यातायात के नियमों का पालन करने, पैदल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने, पैदल यात्रियों की परेशानियों को उजागर करने व जिम्मेदारों तक पहुंचाने के लिए दैनिक जागरण ने ‘ये फुटपाथ हमारा है’ अभियान शुरू किया है।
जेब्रा क्रासिंगों पर नहीं रहती है स्टाप लाइन
जेब्रा क्रासिंग बस नाम मात्र के लिए बनाए जा रहे हैं। इनकी पट्टी मिट जाने पर वर्षों इन्हें पेंट तक नहीं किया जाता है। इसकी वजह से पैदल यात्रियों व वाहन चालकों के बीच दूरी का अनुमान नहीं लग पाता है। ज्यादातर जेब्रा क्रासिंग या तो डिवाडर पर जाकर ब्लाक हो जाते हैं या फिर इनके दोनों छोर पर फुटपाथ पर कभी पेड़ तो कभी ऊंची रेलिंग का अवरोध होता है। इस वजह से इन्हें बनाने का मकसद ही पूरा नहीं हो पाता है। जेब्रा क्रासिंग 10 मीटर से ज्यादा होने पर बीच में स्टाप यानि रेस्ट आइलैंड दिया जाना चाहिए, पर ऐसा नहीं हो रहा है।
डिवाइडर पर जगह-जगह बने कट से होते हैं हादसे
ज्यादातर डिवाइडरों पर ऊंची-ऊंची रेलिंग लगाकर उनमें पेड़ या झाड़ी लगा दी जाती है। वहीं, डिवाइडर पर जगह-जगह कट बने रहते हैं जिससे लोग सड़क पार करते हैं। ऊंची झाड़ी की वजह से सामने से आ रहे वाहन चालकों को वे नजर नहीं आते हैं और पैदल यात्री हादसे का शिकार हो जाते हैं। फुट ओवरब्रिजों व सब-वे में अंधेरे के कारण लोग इनमें जाने के बजाय सीधे डिवाइडर फांदकर भी सड़क पार करने लगते हैं जिस कारण हादसे होते हैं। एफओबी व सब-वे पर मवेशियों के अलावा चोर, झपटमार व नशेड़ियों ने भी अड्डा बना रखा है।
अनुराग कुलश्रेष्ठ (अध्यक्ष, ट्रैक्स रोड सेफ्टी एनजीओ) का कहना है कि राजधानी दिल्ली की यातायात व्यवस्था पैदल यात्रियों की सुविधा व सुरक्षा के अनुकूल नहीं है। सड़कें, फुटपाथ व डिवाइडर आदि बनाते समय मानकों के हिसाब से पैदल यात्रियों का ध्यान रखा जाए तो इसे और बेहतर बनाया जा सकता है। दिल्ली ही नहीं पूरे देश में जेब्रा क्रासिंग से लेकर ट्रैफिक लाइट, डिवाइडर व फुटपाथों के डिजाइन में खामी है।