पूर्वी दिल्ली नगर निगम के निलंबित कर्मचारी की बहाली पर सदन में हंगामा

East Delhi municipal Corporation पूर्वी दिल्ली नगर निगम नेता विपक्ष मनोज त्यागी के साथ बदसलूकी और भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित किए गए एक कर्मचारी को लेकर पूर्वी निगम के सदन में आप के पार्षदों ने जोरदार हंगामा किया।

By Swadesh kumarEdited By: Publish:Wed, 24 Feb 2021 08:51 PM (IST) Updated:Thu, 25 Feb 2021 08:15 AM (IST)
पूर्वी दिल्ली नगर निगम के निलंबित कर्मचारी की बहाली पर सदन में हंगामा
सदन की बैठक में AAP के पार्षद हंगामा करते रहे।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। पूर्वी दिल्ली नगर निगम के नेता विपक्ष मनोज त्यागी के साथ बदसलूकी और भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित किए गए एक कर्मचारी को लेकर पूर्वी निगम के सदन में आप के पार्षदों ने जोरदार हंगामा किया। आप के पार्षदों ने सत्ता पक्ष पर इस मामले में मिलीभगत का आरोप लगाया। नारेबाजी करते हुए AAP के पार्षद वेल में आ गए और महापौर से जवाब मांगने लगे।

महापौर निर्मल जैन ने इस पर आयुक्त डॉ. दिलराज कौर को जवाब देने के लिए निर्देश दिया। डॉ. दिलराज कौर तुरंत कोई जवाब नहीं दे पाई, उन्होंने कहा कि वह दो दिन में लिखित में जवाब दे देंगी। बैठक की शुरुआत होते ही AAP की पार्षद गीता रावत ने इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने बताया कि करीब पांच महीने पहले नेता विपक्ष मनोज त्यागी ने अपर डिवीजन क्लर्क के पद पर कार्यरत चेतराम मीणा पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। इसके बाद चेतराम मीणा ने उनके कार्यालय में आकर उनके साथ बदसलूकी की थी। इसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था। लेकिन अभी पता चला है कि उन्हें शाहदरा उत्तरी जोन में पशुपालन विभाग में तैनात कर दिया गया है जो कि निगम के लिहाज से महत्वपूर्ण विभाग माना जाता है। चेतराम मीणा इसी विभाग में 20 साल तक रह चुके हैं। उन्हें कोई सजा देने के बजाय मालदार विभाग दे दिया गया।

उधर, कांग्रेस दल की नेता व पार्षद कुमारी रिंकू ने चेतराम मीणा जैसे कर्मचारियों को निलंबित करने की जगह पर जबरन सेवानिवृत्ति देने की वकालत की। उन्होंने बताया कि चेतराम मीणा इससे पहले भी निलंबित होते रहे हैं। लेकिन हर बार भाजपा के कुछ पार्षदों के साथ मिलीभगत कर वह वापस आ जाते हैं।

हंगामे के बीच कई प्रस्ताव पारित

सदन की बैठक में आप के पार्षद हंगामा करते रहे। इसी बीच एजेंडे में रखे गए सभी प्रस्तावों को पास कर दिया गया। ये सभी प्रस्ताव अलग-अलग जगहों पर नामकरण से जुड़े थे। प्रस्ताव पास होते ही सदन की बैठक स्थगित कर दी गई।

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