6 की जगह 12 घंटे कर रही डयूटी, संक्रमित हुई, फिर ठीक होकर पहुंच गई सेवा करने, पढ़िए एक अस्पताल के नर्स की कहानी

कोरोना संकट से जूझ रहे मरीजों के इलाज में डाक्टर व स्वास्थ्यकर्मी एक साल से दिन-रात एक किए हुए हैं। इनमें कुछ ऐसे भी हैं जो इन मरीजों का इलाज करते-करते खुद भी संक्रमित हुए ठीक होने के बाद बगैर फिर से अपनी ड्यूटी में जुट गए।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Wed, 12 May 2021 02:51 PM (IST) Updated:Wed, 12 May 2021 02:51 PM (IST)
6 की जगह 12 घंटे कर रही डयूटी, संक्रमित हुई, फिर ठीक होकर पहुंच गई सेवा करने, पढ़िए एक अस्पताल के नर्स की कहानी
कोरोना से ठीक होने के बाद अपनी जान की परवाह किए बगैर फिर से अपनी ड्यूटी में जुट गईं।

नई दिल्ली, [राहुल चौहान]। कोरोना संकट से जूझ रहे मरीजों के इलाज में डाक्टर व स्वास्थ्यकर्मी एक साल से दिन-रात एक किए हुए हैं। इनमें कुछ ऐसे भी हैं जो इन मरीजों का इलाज करते-करते खुद भी संक्रमित हुए और ठीक होने के बाद अपनी जान की परवाह किए बगैर फिर से अपनी ड्यूटी में जुट गए। इनमें से एक हैं सफदरजंग अस्पताल में कार्यरत नर्स रेखा। रेखा परिवार के साथ करावल नगर में रहती हैं।

उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष अप्रैल में सफदरजंग अस्पताल में कोरोना मरीजों का इलाज शुरू हुआ था। उस समय उनकी ड्यूटी कोविड आइसीयू में लगाई गई थी। तब से अब तक उनकी ड्यूटी कोरोना मरीजों के इलाज में ही चल रही है। दिन और रात में रोस्टर के हिसाब से 12-12 घंटे की ड्यूटी लगती है। वे बताती हैं कि सामान्य दिनों में दिन की ड्यूटी सिर्फ छह घंटे की होती है, लेकिन कोरोना संकट में स्टाफ की कमी के चलते 12-12 घंटे की ड्यूटी लग रही है।

फिलहाल वे कोविड सर्जरी वार्ड में ड्यूटी कर रही हैं। इस वार्ड में 30 मरीजों को रखा गया है। साथ ही इनकी देखभाल के लिए तीन नर्स की ड्यूटी रहती है। रेखा ने बताया कि बीते अप्रैल में कोरोना के लक्षण दिखने पर उन्होंने अपना टेस्ट कराया तो नौ अप्रैल को रिपोर्ट पाजिटिव आई। इसके बाद वे घर में ही आइसोलेट हो गई, लेकिन परेशानी बढ़ने और सांस लेने में दिक्कत होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। कुछ दिन आक्सीजन सपोर्ट पर रहने के बाद उनकी स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हुआ। ठीक महसूस होने पर उन्होंने फिर से अपना कोरोना टेस्ट कराया तो 25 अप्रैल को रिपोर्ट नेगेटिव आ गई।

उसके अगले ही दिन से उन्होंने फिर से अपनी ड्यूटी ज्वाइन कर ली। रेखा ने बताया कि कोरोना पाजिटिव आने पर उन्हें मरीजों की देखभाल की चिंता सताने लगी, क्योंकि रोज स्टाफ में कोई न कोई पाजिटिव आ रहा था तो यह लगने लगा कि मेरे पाजिटिव होने के बाद अगर कोई और भी पाजिटिव हुआ तो मरीजों की देखभाल कैसे होगी। उनके परिवार के अन्य सभी सदस्य मां-बाप और भाई-बहन भी कोरोना पाजिटिव हुए, लेकिन धीरे-धीरे सभी होम आइसोलेशन में रहकर ठीक हो गए। कुछ लोगों को आक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ी, जिसका इंतजाम हो गया था। रेखा बताती हैं कि ठीक होने के बाद ड्यूटी ज्वाइन करने से घर वालों ने भी नहीं रोका, क्योंकि वह मेरी जिम्मेदारी समझते हैं।

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