कोविड के कारण उत्पन्न अनिश्चितता के कारण भारत में लोगों की ज्योतिष के आनलाइन अध्ययन में रुचि बढ़ी
All India Astrology Conference पिछले एक वर्ष से अधिक समय में कोविड-19 के कारण उत्पन्न अनिश्चितता को लेकर भारत में लोगों की अध्ययन में रुचि बहुत बढ़ी है क्योंकि उनके भीतर भविष्य को जानने की उत्सुकता जाग गयी।
नयी दिल्ली, जेएनएन। पिछले एक वर्ष से अधिक समय में कोविड-19 के कारण उत्पन्न अनिश्चितता को लेकर भारत में लोगों की अध्ययन में रुचि बहुत बढ़ी है क्योंकि उनके भीतर भविष्य को जानने की उत्सुकता जाग गयी। यह बात रविवार को ऑल इंडिया एस्ट्रोलॉजिकल साइंसेज (आइकास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व आईएएस अधिकारी एबी शुक्ल ने कही। शुक्ल ने राजधानी के आईटीओ पर स्थित भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) के सभागार में आइकास के दो दिवसीय अखिल भारतीय ज्योतिष सम्मेलन के समापन सत्र में कहा कि कोविड-19 के कारण जीवन के हर क्षेत्र में अनिश्चितता की स्थिति उत्पन्न हो गयी। लोगों के मन में अपने परिवार, समाज और पूरी मानवता के भविष्य को लेकर एक नयी प्रकार की उत्सुकता पैदा हुई। उन्होंने कहा कि इसी कारण लोगों की ज्योतिष में पढ़ाई के प्रति रुचि भी काफी बढ़ गयी।
उन्होंने बताया कि आल इंडिया एस्ट्रोलॉजिकल साइंसेज (आइकास) देश भर में अपने विभिन्न चैप्टर के माध्यम से भारतीय ज्योतिष की शिक्षा वैज्ञानिक रीति से ऑफलाइन माध्यम से देता था। किंतु कोविड-19 के कारण उत्पन्न हालात में आईकास के विभिन्न चैप्टर को ज्योतिष की कक्षाएं आनलाइन माध्यम से लगाने के लिए विवश होना पड़ा।
शुक्ल ने कहा कि उनके एवं आईकास के लिए यह सुखद आश्चर्य की बात है कि कोविड-19 आने के बाद ज्योतिष की कक्षाओं में प्रवेश लेने वालों की संख्या में काफी वृद्धि हुई। इन कक्षाओं की सत्र परीक्षाओं में कोविड-19 से पहले देश भर में जहां करीब 1400 छात्रों का पंजीकरण होता था वहीं आनलाइन शिक्षा के बाद यह संख्या बढ़कर 2000 से अधिक हो गयी है।
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शुक्ल ने सम्मेलन में बताया कि ज्योतिष शिक्षा के लिए आइकास की महाराष्ट्र के कविकुल गुरु कालिदास विश्वविद्यालय से बातचीत चल रही है। इसके तहत इस विश्वविद्यालय में ज्योतिष की शिक्षा आइकास के पाठ्यक्रम के आधार पर और आइकास के शिक्षकों द्वारा प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि देश के दो अन्य विश्वविद्यालयों से भी इस संदर्भ में बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी है।
ऑल इंडिया एस्ट्रोलॉजिकल साइंसेज (आइकास) ज्योतिष का वैज्ञानिक ढंग से प्रचार प्रसार करने को प्रतिबद्ध एक पंजीकृत संस्था है। देश भर में इसके करीब 60 चैप्टर के माध्यम से ज्योतिष का अध्ययन वैज्ञानिक रीति से करवाया जाता है। आइकास इस तरह के वार्षिक सम्मेलन व़िगत में देश के विभिन्न हिस्सों में आयोजित करवाता रहा है। इस बार का द्विदिवसीय वार्षिक सम्मेलन आइकास के नोएडा चैप्टर ने आयोजित करवाया जिसका शीर्षक था- 'दु:स्थान: अभिशाप या वरदान'। इस सम्मेलन में आइकास के सभी चैप्टर के चेयरमैन, संकाय सदस्यों और आजीवन सदस्यों के भाग ले रहे हैं।
आइकास, नोएडा चैप्टर के चेयरमैन ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) सुभाष सी शर्मा ने एक प्रेस बयान में बताया कि सम्मेलन में दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एस एन कपूर ने ज्योतिष का अध्ययन और अभ्यास करने वाले लोगों से कहा कि जन्म कुंडली के छठे, आठवें और बारहवें भाव को सदैव नकारात्मक भावों की तरह देखने की जरूरत नहीं है। इसमें जीवन के कुछ ऐसे कारक छिपे हैं जो आगे बढ़ने और लक्ष्य प्राप्ति में काफी मदद करते हैं।
न्यायमूर्ति कपूर ने कहा कि बारहवां भाव व्यय का माना जाता है । किंतु यह देने का घर है। उनके अनुसार जीवन में व्यक्ति तभी बहुत कुछ अर्जित कर सकता है जबकि वह अपना धन, समय और प्रयास बहुत मात्रा में दूसरे लोगों को देता है। उन्होंने कहा कि कुंडली पर विचार करते समय यह भी देखना चाहिए कि यदि बारहवां भाव पीड़ित होगा तो उस भाव में गयी राशि के अनुसार शरीर का संबंधित भाव भी पीड़ित होगा।
उन्होंने गीता का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस प्रकार भगवान कृष्ण ने शोक में मग्न अर्जुन को प्रोत्साहित करके फिर से गाण्डीव उठाने के लिए प्रेरित किया था, उसी प्रकार ज्योतिषियों को चाहिए कि वे उनसे सलाह लेने के लिए आए परेशानी और चिंताओं में फंसे लोगों को प्रयास रूपी गाण्डीव उठाने के लिए प्रेरित और उत्साहित करें।
सम्मेलन में आज आइकास के वाइस प्रेसिडेंट के रंगाचारी ने छठवें भाव की चर्चा करते हुए उदाहरणों सहित समझाया कि देश के अभी तक जितने प्रधानमंत्री बने हैं, उनके पहली बार प्रधानमंत्री बनने के समय किस प्रकार छठे स्थान के स्वामी ग्रह की भूमिका ने कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। उन्होंने कहा कि छठवें भाव के विश्लेषण से जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं का पता आसानी से लगाया जा सकता है।
ज्योतिष में दु:स्थानों पर विभिन्न अध्ययन कर चुके राजीव शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि कुंडली में छठे, आठवें और बारहवें भाव का अपने आप मे एक विशिष्ट संबंध है और इन तीनों भावों के अध्ययन से किसी भी व्यक्ति के जीवन की विभिन्न गुत्थियों को सुलझाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जहां छठे भाव से पता चलता है कि व्यक्ति में कितना धैर्य है, काम के प्रति उसका कितना समर्पण और सजगता है वहीं आठवें भाव से पता चलता है कि व्यक्ति अपने भीतर को किस हद तक जाकर बदल सकता है। उन्होंने कहा कि बारहवां भाव विदेश सहित कई मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
सर्वतोभद्र चक्र पर गहन कर चुके अमरदीप शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि कुंडली के कुछ महत्वपूर्ण ग्रहों का गोचर में अध्ययन कर जीवन की कई घटनाओं के संकेत पहले से समझे जा सकते हैं। आइकास के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट प्रदीप चतुर्वेदी ने देश भर से सम्मेलन में भाग लेने आये प्रमुख ज्योतिषियों और ज्योतिष अनुरागियों का अभार व्यक्त करते हुए प्रतिबद्धता जतायी कि आइकास वैज्ञानिक रीति से ज्योतिष के प्रचार प्रसार के लिए इस तरह के प्रयासों को जारी रखेगा।