पराली जलाने से धुंध के कारण प्रकाश संश्लेषण व वाष्पोत्सर्जन पर पड़ता है असर
फसल अवशेष (पराली) जलने से उठने वाली धुंध के कारण सूर्य की किरणें फसलों तक कम पहुंचती है जिससे प्रकाश संश्लेषण व वाष्पोत्सर्जन की प्रक्रिया प्रभावित होती है। इससे पौधों द्वारा भोजन बनाने की प्रक्रिया प्रभावित होती है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। फसल अवशेष (पराली) जलने से उठने वाली धुंध के कारण सूर्य की किरणें फसलों तक कम पहुंचती है, जिससे प्रकाश संश्लेषण व वाष्पोत्सर्जन की प्रक्रिया प्रभावित होती है। इससे पौधों द्वारा भोजन बनाने की प्रक्रिया प्रभावित होती है। नतीजा यह होता है कि फसलों की उत्पादकता व गुणवत्ता का ह्रास होता है। बेहतर है कि पराली को जमीन में मिला दें। यदि ऐसा करते हैं तो इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। साथ ही यह पलवार का भी काम करती है। जिससे मिट्टी से नमी का वाष्पोत्सर्जन कम होता है। नमी मिट्टी में संरक्षित रहती है। धान के अवशेषों को सड़ाने के लिए पूसा डीकंपोजर कैप्सूल का उपयोग बेहतर विकल्प है।
पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के विज्ञानियों का कहना है कि जो किसान पूसा डीकंपोजर कैप्सूल के इस्तेमाल के बारे में जानकारी एकत्रित करना चाहते हैं वे संस्थान के विज्ञानियों से सीधे संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा कृषि विज्ञान केंद्रों में विज्ञानियों से भी इस बारे में जरूरी सलाह ली जा सकता है। विज्ञानियों का कहना है कि धान की पकने वाली फसल की कटाई से दो सप्ताह पूर्व सिचाई बंद कर दें। फसल कटाई के बाद फसल को दो से तीन दिन खेत में सुखाकर गहाई कर लें। उसके बाद दानों को अच्छी प्रकार से धूप में सुखा लें। अनाज को भंडारण में रखने से पहले भंडार घर की अच्छी तरह सफाई करें।
कोरोना (कोविड-19) के गंभीर फैलाव को देखते हुए किसानों को सलाह है कि तैयार सब्जियों की तुड़ाई तथा अन्य कृषि कार्यों के दौरान भारत सरकार द्वारा दिये गये दिशा निर्देशों, व्यक्तिगत स्वच्छता, मास्क का उपयोग, साबुन से उचित अंतराल पर हाथ धोना तथा एक दूसरे से शारीरिक दूरी बनाये रखने पर विशेष ध्यान दें। रबी की फसल की बुवाई से पहले किसान अपने-अपने खेतों को अच्छी प्रकार से साफ-सुथरा करें। मेड़ों, नालों, खेत के रास्तों तथा खाली खेतों को साफ-सुथरा करें ताकि कीटों के अंडे तथा रोगों के कारक नष्ट हो।