DU Opening News: 18 महीने से बंद डीयू खोलने की मांग को लेकर छात्रों ने शुरू किया धरना-प्रदर्शन
आइसा ने कहा कि 18 महीने से भी अधिक समय से डीयू बंद है। दीपावली से पहले छात्रों ने प्रदर्शन किया था तो विवि प्रशासन ने दीपावली के बाद कक्षाएं शुरू करने पर विचार करने की बात कही थी पर उस बात पर अमल होता नहीं दिख रहा है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। DU Opening News: दिल्ली विश्वविद्यालय खोलने की मांग जोर पकड़ने लगी है। आल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) और क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाइएस) के नेतृत्व में बड़ी संख्या में छात्रों ने आर्ट फैकल्टी के बाहर धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। छात्र तत्काल डीयू खोलने, आफलाइन कक्षाएं प्रारंभ करने की मांग कर रहे हैं।
आइसा ने कहा कि 18 महीने से भी अधिक समय से डीयू बंद है। दीपावली से पहले छात्रों ने प्रदर्शन किया था तो विवि प्रशासन ने दीपावली के बाद कक्षाएं शुरू करने पर विचार करने की बात कही थी, पर उस बात पर अमल होता नहीं दिख रहा है। डीयू में पढ़ाई छोड़ बाकी सभी कार्यालयी काम आफलाइन हो रहे हैं। सोमवार से शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक कर्मचारियों की बायोमीटिक उपस्थिति भी अनिवार्य कर दी गई है, लेकिन इसके बावजूद कक्षाएं शुरू नहीं की जा रही हैं।
इधर, प्रो. योगेश सिंह ने अक्टूबर महीने में दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति का पद संभाला। शिक्षक संगठनों ने उम्मीद जताई थी कि नए कुलपति डीयू के दिल्ली सरकार द्वारा 12 वित्तपोषित कालेजों के वेतन मसले का स्थायी समाधान करेंगे। इस उम्मीद के पीछे प्रो. योगेश सिंह का दिल्ली सरकार के विश्वविद्यालय में लंबे समय तक कुलपति का कार्यभार संभालना बड़ी वजह थी। लेकिन, प्रो. योगेश सिंह के कार्यभार संभालने के एक महीने के भीतर ही इन 12 कालेजों में वेतन संबंधी विवाद सुलझने के बजाय और उलझता ही जा रहा है। अब तो उच्च शिक्षा निदेशालय ने 12 कालेजों के प्राचार्यो के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा तक कर डाली है। निदेशालय के पत्र के बाद डीयू ने कालेजों से अब तक पत्र व्यवहार की पूरी जानकारी मांगी है।
शिक्षक संगठन कार्रवाई वाले पत्र से खासे नाराज हैं। दिल्ली विवि शिक्षक संघ (डूटा) ने एक बयान जारी कर कहा कि प्राचार्य और शिक्षकों को निशाना बनाया जा रहा है। निदेशालय अनुदान जारी करने में विफल रहा है। डूटा ने कहा है कि दिल्ली सरकार जिन नियमों का हवाला देकर प्राचार्यो और शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा कर रही है वह नियम दरअसल केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कर्मचारियों पर लागू ही नहीं होते।