DSGMC Elections 2021: डीएसजीएमसी का मामला प्रधानमंत्री के आगे उठाने की कोशिश में शिअद बादल
DSGMC Elections 2021 सिरसा और शिअद बादल के प्रदेश अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताया जाएगा कि किस तरह से डीएसजीएमसी की कार्यकारिणी का गठन नहीं होने दिया जा रहा है ।
नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) की कार्यकारिणी गठित होने का इंतजार लंबा होता जा रहा है। नामित सदस्यों का फैसला अभी तक नहीं हुआ है। वहीं, शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) इस मामले को प्रधानमंत्री के आगे उठाने की कोशिश में है। पार्टी के नेताओं ने नवनिर्वाचित 32 सदस्यों के साथ बुधवार को प्रधानमंत्री से मिलने की बात कही थी, लेकिन उनकी मुलाकात नहीं हो सकी थी। दूसरी ओर विरोधी पार्टी का कहना है कि शिअद बादल के नेता अपने साथ 32 सदस्य होने का झूठा दावा कर रहे हैं।
सिंह सभाओं के अध्यक्षों में से दो को डीएसजीएमसी का सदस्य बनाने को लेकर गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय ने अबतक कोई फैसला नहीं किया है। इसी तरह से शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) द्वारा मनोनित सदस्य के फैसले का भी इंतजार है। एसजीपीसी ने डीएसजीएमसी के निवर्तमान अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा को मनोनित किया था, लेकिन गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय ने उन्हें पंजाबी का ज्ञान नहीं होने के आधार पर अयोग्य घोषित कर दिया है।
सिरसा ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। इन वजहों से चुनाव परिणाम आने के लगभग डेढ़ माह बाद भी अध्यक्ष का चुनाव सहित कमेटी की कार्यकारिणी गठित करने के लिए अब तक बैठक नहीं बुलाई गई है। सिरसा और शिअद बादल के प्रदेश अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका ने कहा कि प्रधानमंत्री को बताया जाएगा कि किस तरह से डीएसजीएमसी की कार्यकारिणी का गठन नहीं होने दिया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय के निदेशक की नियुक्ति में नियमों की अनदेखी की गई है।
निदेशक अकाली दल के खिलाफ काम कर रहे हैं। कालका ने कहा कि बुधवार को प्रधानमंत्री से मिलने का समय नहीं मिल सका है। जल्द उनसे मुलाकात के लिए समय लेने की कोशिश की जा रही है। दूसरी ओर जागो नेता परमजीत सिंह राणा ने कहा कि नामित सदस्यों के चुनाव में शिअद बादल को मात्र 29 वोट मिले थे।
अदालत में फैसला लंबित होने के बावजूद सिरसा अपने आप को तथा गुरुद्वारा निदेशालय की घोषणा के पहले ही सिंह सभाओं के अध्यक्षों में से दो को अपनी तरफ से नामित सदस्य बताने लगे हैं। इस तरह से वह संगत को गुमराह कर रहे हैं।