भविष्य के लिए खतरे की घंटी, दवाओं ने बढ़ाया दिल्ली-एनसीआर में बीमारी का खतरा

अध्ययन में यह बात सामने आई है पानी में दवाओं की मौजूदगी औसतन 0.1 माइक्रोग्राम प्रति लीटर है। यमुना नदी के पानी से ज्यादा भूजल में दवाओं व रोगाणुरोधी (एंटीमाइक्रोबियल) की मौजूदगी है।

By Amit MishraEdited By: Publish:Tue, 28 Aug 2018 09:34 PM (IST) Updated:Wed, 29 Aug 2018 07:57 AM (IST)
भविष्य के लिए खतरे की घंटी, दवाओं ने बढ़ाया दिल्ली-एनसीआर में बीमारी का खतरा
भविष्य के लिए खतरे की घंटी, दवाओं ने बढ़ाया दिल्ली-एनसीआर में बीमारी का खतरा

नई दिल्ली [रणविजय सिंह]।  यमुना के पानी और भूजल में हानिकारक भारी तत्वों की बात सामने आती रही है। चिंताजनक यह है कि नदी व भूजल में प्रदूषण बढ़नेे के साथ दवाओं की मौजूदगी भी पाई गई है। एम्स के डॉक्टरों द्वारा किए गए अध्ययन में यह बात समाने आई है कि यमुना के पानी में एंटीबायोटिक दवाओं के अंश तो हैं ही, चिंताजनक यह है कि दिल्ली-एनसीआर के भूजल में भी दवाओं के अंश पाए गए हैं। खासतौर पर लैंडफिल साइट के आसपास के पानी में दवाओं का अंश अधिक पाया गया है। इस अध्ययन से बेकार दवाओं के निस्तारण पर सवाल खड़े हो गए हैं। साथ ही गंभीर मसला यह भी है कि हम पानी के साथ बेवजह दवाओं की खुराक ले रहे हैं, जो हमें बीमार कर सकती हैं।

भविष्य के लिए खतरे की घंटी

डॉक्टर कहते हैं कि पानी में दवाओं की मौजूदगी से वातावरण में रोग प्रतिरोधी जीवाणु उत्पन्न हो रहे हैं। यह भविष्य के लिए खतरे की घंटी है, क्योंकि उन जीवाणुओं से संक्रमित मरीजों के इलाज में दवाएं बेअसर साबित होंगी।

लिए गए पानी के नमूने 

एम्स के आरपी सेंटर स्थित फार्माकोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. टी वेलपंडियन ने कहा कि यमुना में एंटीबायोटिक दवाओं की मौजूदगी को लेकर पहले एक अध्ययन किया गया था। इसी क्रम में एक नया अध्ययन किया गया। इस दौरान दिल्ली-एनसीआर में 40 किलोमीटर के दायरे में 42 जगहों से पानी के नमूने लिए गए और उनमें 28 तरह की दवाओं की मौजूदगी का परीक्षण किया गया। इनमें 24 एंटीबायोटिक व चार दर्द व एलर्जी की दवाएं शामिल हैं। पानी के सात नमूने वजीराबाद से ओखला बैराज के बीच यमुना से लिए गए। इसके अलावा दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद, सोनीपत, नोएडा और आसपास के इलाकों से भूजल के 35 नमूने (40 से 150 फीट गहराई) लिए गए। ये नमूने खेतों में लगे बोरवेल के साथ ही घरों के ट्यूबवेल से भी लिए गए।

दवाओं की मौजूदगी पर्यावरण व स्वास्थ्य के लिए खतरनाक

अध्ययन में यह बात सामने आई है पानी में दवाओं की मौजूदगी औसतन 0.1 माइक्रोग्राम प्रति लीटर है। यमुना नदी के पानी से ज्यादा भूजल में दवाओं व रोगाणुरोधी (एंटीमाइक्रोबियल) की मौजूदगी है। नदी के पानी में सिप्रोफ्लॉक्सासिन का अंश 4.88 माइक्रोग्राम प्रति लीटर तक और भूजल में दर्द की दवा डाइक्लोफेनेक औसतन 73.86 माइक्रोग्राम प्रति लिटर पाई गई, जबकि पानी में 0.01 माइक्रोग्राम प्रति लीटर से अधिक दवाओं की मौजूदगी पर्यावरण व स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।

कूड़े के साथ बेकार दवाएं भी लैंडफिल साइट पर डंप की जाती हैं

गाजीपुर लैंडफिल साइट के नजदीक लिए गए दो नमूनों में दवाओं की मौजूदगी 240 माइक्रोग्राम प्रति लीटर से भी अधिक पाई गई, जो खतरनाक है। डॉ. वेलपंडियन का कहना है कि यह पहला शोध है, जिसमें दिल्ली-एनसीआर के भूजल में दवाओं का अंश होने की बात सामने आई है। गाजीपुर लैंडफिल साइट के पास पानी में दवाओं का अंश होना यह साबित करता है कि कूड़े के साथ बेकार दवाएं भी लैंडफिल साइट पर डंप की जाती हैं। लैंडफिल साइट से पानी के रिसाव के साथ ये दवाएं मिलकर नदी में जाती हैं। नदी का पानी भूजल शोधन का बड़ा स्रोत है।

एक्सपायरी दवाओं के निस्तारण पर सवाल

डॉ. टी वेलपंडियन ने कहा कि लोग अक्सर एक्सपायरी दवाओं को कूड़े के साथ फेंक देते हैं। इनमें से 90 फीसद एक्टिव होती हैं। इसलिए दवाओं को कूड़े के साथ डंप नहीं किया जाना चाहिए। एम्स में बेकार दवाओं के निस्तारण का भी मानक है। जलाकर उसके निस्तारण का प्रावधान है। बहरहाल सवाल यह है कि क्या दूसरे अस्पताल इस नियम का पालन कर रहे हैं।

शोधन संयंत्र लगाना जरूरी

यमुना में 22 बड़े नालों का पानी गिरता है। उन सभी नालों के मुहाने पर शोधन संयंत्र लगाया जाना चाहिए। इसके अलावा हरनंदी में गिरने वाले नालों के पानी को भी शोधित किया जाना चाहिए। इसके अलावा कूड़ा निस्तारण का तरीका बदलना होगा।

यमुना के पानी व भूजल में जिन दवाओं का अंश अधिक मिला

दवा नदी का पानी भूजल

आफ्लॉक्सासिन 1.51 4.34

सिप्रोफ्लॉक्सासिन 4.88 5.90

डाइक्लोफेनेक 2.19 73.86

सिट्रिजिन 3.49 3.60

नियोमाइसिन 1.18 1.00

फ्लूकोनाजोल 1.06 13.20

नोट- दवाओं की मात्रा माइक्रो ग्राम प्रति लीटर में। 

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