Covid-19: देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में कैसे किया जा सकता है बेहतर बदलाव, पूर्व IAS अधिकारी ने बताया तरीका

आरडब्ल्यूए व अन्य संस्थाओं को चाहिए कि वे लोगों को जागरूक करें। सुविधाएं उपलब्ध कराने की एक सीमा है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में आम लोगों का सहयोग सबसे जरूरी है ताकि कम सुविधाओं में भी बेहतर व्यवस्था की जा सके।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 12:40 PM (IST) Updated:Wed, 21 Apr 2021 12:40 PM (IST)
Covid-19: देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में कैसे किया जा सकता है बेहतर बदलाव, पूर्व IAS अधिकारी ने बताया तरीका
एनसीआर में हैं स्वास्थ्य आधारभूत ढांचे की उम्मीदें

नई दिल्ली। समाज को मिलने वाली मूल सुविधाओं में से एक है स्वास्थ्य सुविधा। जो काफी महत्वपूर्ण है। स्वास्थ्य सुविधाओं का ढांचा कैसा हो, आबादी और उसकी जरूरतों को देखकर यह तय किया जाता है। जब भी कोरोना जैसी कोई बड़ी महामारी आती है तो उससे लड़ने और जीतने के लिए नई नीतियां स्थापित होती हैं। जिनके सकारात्मक परिणाम भी सामने आते हैं। पिछले साल तो कोरोना बाढ़ के रूप में आया था, लेकिन वर्तमान में जो स्थिति है, उसे कोरोना की सुनामी कहा जा सकता है। इस परिप्रेक्ष्य में सुविधाओं की कमी की बात सामने आ रही है।

दरअसल स्वास्थ्य विभाग में निजी क्षेत्र का दायरा बीते कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है। तमाम जरूरी सुविधाओं और आधुनिक उपकरणों से लैस निजी अस्पतालों की तरफ लोगों का झुकाव बढ़ा है, लेकिन इस बार कोरोना इनकी भी सीमाएं लांघ गया है। ऐसे में निजी हो या सरकारी दोनों स्तर पर सुविधाओं को बढ़ाने और बेहतर करने की जरूरत है।

एनसीआर में हैं स्वास्थ्य आधारभूत ढांचे की उम्मीदें

आज की परिस्थितियों से सबक लेते हुए भविष्य के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए योजना बनानी होंगी। गौतमबुद्ध नगर जहां एक नया शहर बस रहा है लाखों लोग रह रहे हैं। भविष्य का ही शहर है। एक कतार से शापिंग माल बन गए हैं, फिल्म सिटी भी बनने जा रही है। बनें, अच्छी बात है लेकिन क्या यहां पर दूर-दूर तक भी कोई सरकारी तो छोड़ो निजी अस्पताल भी है? क्या यहां की जमीन का प्रयोग किसी बड़े एम्स जैसे अस्पताल को स्थापित करने के लिए नहीं किया जा सकता? यह तो मूलभूत जरूरत है।

इस पर राज्य और केंद्र सरकार दोनों को गंभीरता से विचार करना चाहिए। इसके अलावा अब स्वास्थ्य ढांचे को डिजीटाइज करने का समय भी आ गया है। जब तकनीक है तो उसका प्रयोग भरपूर किया जाना चाहिए। ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि घर बैठे ही लोग आरटीपीसीआर के लिए सैंपल दे सकें और घर बैठे ही नतीजे सामने आ जाएं। हैं, भी लेकिन महामारी बढ़ी तो सभी लैब की क्षमता भी जवाब दे गई। वैक्सीन की भी इतनी उपलब्धता होनी चाहिए कि घर-घर जाकर उसे देना संभव हो सके। हालांकि अब एक मई से 18 साल तक वालों को टीका लगाने का दायरा बढ़ा दिया है। कोरोना जैसी महामारी हो या अन्य आपात परिस्थिति लोगों की भूमिका उसमें काफी अहम है। आरडब्ल्यूए व अन्य संस्थाओं को चाहिए कि वे लोगों को जागरूक करें। सुविधाएं उपलब्ध कराने की एक सीमा है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में आम लोगों का सहयोग सबसे जरूरी है ताकि कम सुविधाओं में भी बेहतर व्यवस्था की जा सके।

बजट में स्वास्थ्य के लिए हो विशेष प्रविधान

सरकारी क्षेत्रों की अगर बात करें तो सुविधाएं 20 से 25 फीसद तक बढ़ाई जा सकती हैं, अचानक से सौ फीसद सुविधा देना आसान नहीं है। इसके लिए सीमा निर्धारित हैं। मापदंड पहले से तय हैं, जिसके आधार पर ही स्वास्थ्य ढांचे को बढ़ाया जाता है। मेरा मानना है कि सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ाने और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए जीडीपी का दो फीसद हिस्सा उसमें लगाया जाना चाहिए। तब कहीं जाकर बात कुछ बन पाएगी।

स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने के साथ निजी अस्पतालों का हो विस्तार

स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने के साथ ही मेडिकल कालेज बढ़ाए जाने की भी जरूरत है। प्रदेश और देश में मेडिकल कालेज की संख्या दोगुनी होनी होनी चाहिए। उनमें आवश्यकता के अनुरूप चिकित्सक और मेडिकल स्टाफ की तैनाती हो। किसी भी अस्पताल में भले ही आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हो जब तक पर्याप्त संख्या में चिकित्सक और अन्य मेडिकल स्टाफ नहीं होंगे तो इलाज करना भी आसान नहीं होगा। इसके लिए मेडिकल शिक्षा को भी बढ़ावा देने की जरूरत है। यह सब एक दिन का काम नहीं है और एक दिन में संभव भी नहीं है।

इसके लिए अभी से ही प्रयास करने होंगे, क्योंकि कोई भी बीमारी या महामारी बताकर नहीं आती है। अगर पहले से ही ऐसी आपदाओं को ध्यान में रखकर स्वास्थ्य ढांचे को दुरुस्त करने का प्रयास किया गया होता तो आज ऐसी अफरातफरी की स्थिति नहीं होती। ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने के साथ ही मेडिकल स्टाफ और तकनीक का प्रयोग बेहद जरूरी हो गया है। इस स्थिति में निजी अस्पतालों का विस्तार तेजी से किया जा सकता है। सरकारी स्तर पर भी इसे बढ़ावा देने की जरूरत है।

(पूर्व आइएएस व राज्यसभा के पूर्व महासचिव डा. योगेंद्र नारायण की संवाददाता लोकेश चौहान से बातचीत पर आधारित)

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