Vaccination in Delhi: आशंकाओं का दौर खत्म, अब टीका लगवाएं; स्वास्थ्यकर्मियों से लें प्रेरणा
दिल्ली में अभी तक टीके की चार लाख से अधिक डोज दी जा चुकी हैं। तीन लाख 67 हजार से ज्यादा कर्मचारी टीके की पहली डोज लगवा चुके हैं। इस दौरान दुष्प्रभाव के गंभीर मामले भी नहीं देखे गए। इससे जाहिर है कि टीका सुरक्षित है।
नई दिल्ली। दिल्ली ने बीते साल कोरोना संक्रमण के ऐसे खौफनाक मंजर को देखा जहां एक बार को लगा कि अब शायद ही जिंदगी बच पाए। मार्च में गिने चुने मामलों से दस्तक देने के बाद कोरोना ने मई-जून और फिर अक्टूबर-नवंबर में जमकर कहर बरपाया। स्थिति ये हो गई कि अस्पतालों में मरीजों को बेड मिलना भी मुश्किल हो गया। तब बेसब्री से किसी चीज का इंतजार था तो वो कोरोना का टीका ही था। लेकिन अफसोस की बात है कि जब आपात उपयोग के लिए टीके को मंजूरी दी गई और इसे लगाने का सिलसिला शुरू हुआ तब इस पर कई तरह के सवाल उठने लगे। टीके की गुणवत्ता और सुरक्षा को लेकर इतनी बातें हुईं कि लोगों के मन में संशय पैदा हो गया। जाहिर है स्वास्थ्यकर्मी भी इससे अछूते नहीं रहे। उसी का परिणाम है कि दिल्ली में टीकाकरण की रफ्तार धीमी रही।
इसके पीछे एक और वजह कोरोना के मामलों में कमी भी है। लोगों को लगने लगा है कि अब संक्रमण खत्म हो चुका है, लेकिन बीते एक सप्ताह से कोरोना के मामलों में फिर से तेजी देखी जा रही है। इसलिए बेहतर यही होगा कि प्रमुखता सूची में जिन लोगों का नाम है वे आगे बढ़कर टीका लें। टीके पर अब किसी तरह की आंशका की गुंजाइश नहीं रही।
परीक्षण पूरा नहीं होने से संशय
सरकार टीकाकरण को बढ़ाने की पूरी कोशिश कर रही है। देश में अभी दो टीके कोवैक्सीन और कोविशील्ड लगाए जा रहे हैं। इन टीकों को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी गई है। कोवैक्सीन के तीसरे फेज के क्लीनिकल परीक्षण का परिणाम नहीं आने से ट्रायल मोड में उसका इमरजेंसी इस्तेमाल शुरू हुआ था, वहीं कोविशील्ड का ट्रायल भी देश में बहुत कम लोगों पर हुआ था। इस कारण सुरक्षा और टीके के दुष्प्रभाव को लेकर लोगों में कुछ आशंकाएं थीं। इस वजह से 50 साल से अधिक उम्र के स्वास्थ्यकर्मी जो पहले से कोई दवा ले रहे थे, उनमें से ज्यादातर ने टीका नहीं लिया। जिन्हें पहले से कोई एलर्जी है उन्हें भी टीका नहीं लेने की सलाह दी गई। कुछ लोग यह भी मान रहे थे कि टीका बहुत जल्दी आ गया है। सामान्य तौर पर इतने कम समय में टीका तैयार नहीं होता।
स्वास्थ्यकर्मियों से लें प्रेरणा
कोरोना का टीका नया है। इसलिए शुरुआत में कुछ समस्याएं आना स्वाभाविक है। हालांकि पहले चरण में करीब 60 फीसद टीकाकरण होना कम भी नहीं कहा जा सकता। वैसे टीका लगवाने वाले डाक्टर व स्वास्थ्यकर्मियों ने लोगों को प्रेरित करने के लिए ट्विटर और फेसबुक पर अपनी तस्वीरें भी शेयर की और लोगों को बताया कि टीका सुरक्षित है। अब 60 साल से अधिक उम्र के लोग व गंभीर बीमारी से पीड़ित 45 साल से अधिक उम्र के लोगों को बगैर किसी डर के टीका लगवाने के लिए आगे आना चाहिए।
समझने की है जरूरत
दिल्ली में अभी तक टीके की चार लाख से अधिक डोज दी जा चुकी हैं। तीन लाख 67 हजार से ज्यादा कर्मचारी टीके की पहली डोज लगवा चुके हैं। इस दौरान दुष्प्रभाव के गंभीर मामले भी नहीं देखे गए। इससे जाहिर है कि टीका सुरक्षित है। अब किसी के भी मन में सुरक्षा को लेकर कोई संशय नहीं होना चाहिए। लोगों को यह बात समझनी होगी कि इस महामारी से बचाव के लिए प्रतिरोधक क्षमता विकसित होना जरूरी है और यह टीकाकरण से ही संभव है। टीका लगने के बाद यदि संक्रमण होता भी है तो बीमारी गंभीर नहीं होगी। लोगों के पास टीका लगवाने का अच्छा मौका है। सरकारी अस्पतालों में यह मुफ्त लगेगा, जबकि निजी अस्पतालों में सरकार ने टीके की कीमत सिर्फ 250 रुपये निर्धारित की है। यह अच्छा कदम है। जो लोग यह खर्च उठाने में सक्षम हैं, वे निजी अस्पतालों में टीका लगवा सकते हैं।
(इंडियन एपिडेमोलाजिकल एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डा. जुगल किशोर की संवाददाता रणविजय सिंह से बातचीत पर आधारित।)