दिल्ली कांग्रेस नेताओं की बैठक में प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी को तारीफ कम, नसीहत ज्यादा मिली

कई नेताओं ने चौधरी को नसीहत दी कि इस समय सबसे ज्यादा जरूरी दिल्ली में कांग्रेस के कैडर को बचाना है। अगर कैडर ही नहीं होगा तो दिल्ली की जनता के बीच जाएगा कौन?

By Edited By: Publish:Tue, 04 Aug 2020 11:19 PM (IST) Updated:Wed, 05 Aug 2020 04:21 PM (IST)
दिल्ली कांग्रेस नेताओं की बैठक में प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी को तारीफ कम, नसीहत ज्यादा मिली
दिल्ली कांग्रेस नेताओं की बैठक में प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी को तारीफ कम, नसीहत ज्यादा मिली

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। अपनी नियुक्ति के साथ ही वरिष्ठ नेताओं के निशाने पर चले आ रहे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी को एक बार फिर संगठन बचाने की सलाह दी गई है। नेताओं का कहना है कि धरने प्रदर्शन से पहले संगठन को मजबूत करना बहुत जरूरी है। सात साल से प्रदेश कार्यकारिणी का गठन नहीं हुआ है। कार्यकर्ता हताश और निराश हैं। सबका सहयोग मिलने पर ही जनता के बीच स्वयं को मजबूती से खड़ा किया जा सकता है।

दरअसल, मंगलवाल को प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं के बीच एक ऑनलाइन बैठक हुई। नाम दिया गया 'जूम बैठक।' इस बैठक में भी चौधरी को तारीफ कम और नसीहत ज्यादा मिली। प्रदेश प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल की अगुवाई में हुई इस बैठक में पूर्व अध्यक्ष अजय माकन, सुभाष चोपड़ा, पूर्व सांसद जगदीश टाइटलर, संदीप दीक्षित, उदित राज, पूर्व मंत्री हारून यूसूफ, रमाकांत गोस्वामी, डा. नरेन्द्र नाथ, किरण वालिया और एआईसीसी के सचिव मनीष चतरथ जैसे दिग्गज नेता थे।

कई नेताओं ने चौधरी को नसीहत दी कि इस समय सबसे ज्यादा जरूरी दिल्ली में कांग्रेस के कैडर को बचाना है। अगर कैडर ही नहीं होगा तो दिल्ली की जनता के बीच जाएगा कौन? बैठक में कई नेताओं ने यह भी कहा कि 2013 में जेपी अग्रवाल जब अध्यक्ष थे तब उन्होंने अंतिम बार कार्यकारिणी का गठन किया था, उसके बाद अजय माकन, शीला दीक्षित, सुभाष चोपड़ा अध्यक्ष बने लेकिन किसी ने भी कार्यकारिणी नहीं बनाई।

माकन का कहना था कि एक ऐसी समिति बनाई जाए जो अनुशासनहीनता करने वाले नेताओं व पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का निर्णय ले सके। बैठक के बाद प्रदेश अध्यक्ष पर यह भी आरोप लगे कि प्रदेश के बहुत से नेताओं को'जूम बैठक'में जोड़ा ही नहीं गया। बताया जाता है कि जिन नेताओं को नहीं जोड़ा गया, उनके लिए कहा जाता है कि वह बेबाकी से बोलते हैं। ऐसे में डर रहता है कि कहीं कुछ विवादित न बोल दें। लेकिन उन्हें न जोड़ा जाना भी नई नाराजगी को जन्म दे गया।

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