जानिये- रणवीर से शादी करने वाली एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण का सिंधियों से रिश्ता
एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण से शादी करने वाले बॉलीवुड एक्टर रणवीर सिंह सिंधी हैं। इसीलिए सिंधी अपने भाई रणवीर सिंह की शादी से जुड़ी खबरों को फॉलो कर रहे हैं।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। सन् 1911 में जब देश की राजधानी को कोलकाता से नई दिल्ली स्थानांतरित किया गया तो यहां गोरों ने संभवत: पहली आधुनिक इमारत बनाई पुराना सचिवालय, जिसे अब दिल्ली विधानसभा भी कहा जाता है। इसके निर्माण में सिंध (अब पाकिस्तान) के शहर सक्कर के एक शख्स की अहम भूमिका थी, जिनका नाम था सेठ फतेह चंद। वे ठेकेदार थे। वे राजधानी के पहले नामवर सिंधी माने जा सकते हैं। सेठ फतेह चंद बेहद ईमानदार शख्स थे। उन्होंने आगे चलकर कुछ और सरकारी इमारतों की भी ठेकेदारी ली थी।
सिंधियों के संरक्षक थे वच्छानी
1947 में विभाजन के बाद सिंध से राजधानी में हजारों की संख्या में सिंधी आने लगे। ये मूलत: कारोबारी प्रवृति के थे। इनके खून में बिजनेस करना था। नए शहर में आने के बाद, कुछ समय तक तो ये अपनी जिंदगी के बिखरे हुए तिनकों को जोड़ने में लगे रहे। कुछ संभले तो इनमें से अधिकतर अपना बिजनेस करने लगे। छोटी-छोटी दुकानों से शुरू किया गया काम आगे चलकर करोड़ों-अरबों रुपये तक का व्यापार करने लग गया। ये न्यू राजेंद्र नगर, अशोक विहार, मेयफेयर गार्डन और लाजपत नगर जैसे पॉश इलाकों में रहने लगे। मेयफेयर गार्डन तो एक तरह से मिनी सिंध ही बन गया। 1975 के आसपास ये साउथ दिल्ली की पॉश कॉलोनी बन गई। यहां राजधानी के रसूखदार और मालदार सिंधियों ने अपने आशियाने बनाए। मेयफेयर गार्डन को खड़ा करने में गुजरे दौर की मशहूर टीवी कंपनी वेस्टर्न इलेक्ट्रानिक्स के चेयरमैन सुंदर वच्छानी सबसे आगे थे। वे सिंधी बिरादरी के संरक्षक थे। कुछ बाहरी सिंधी भी यहां प्लाट लेकर अपने घर बनाने लगे। जैसे 'शोले' फिल्म के प्रोड्यूसर एनसी सिप्पी का भी यहां बंगला है।
एक पहचान सिंधी की भी
मेयफेयर गार्डन इन दिनों रणवीर सिंह भावनानी की दीपिका पादुकोण से शादी को लेकर चर्चा में है। साउथ दिल्ली के एक प्रमुख सिंध व्यापारी अनिल माखीजानी कहने लगे कि हम हालांकि दिल्ली वाले हैं, पर हमारी एक पहचान सिंधी की भी है। इसीलिए हम अपने सिंधी भाई रणवीर सिंह की शादी से जुड़ी खबरों को फॉलो कर रहे हैं। अब भी हमारे घरों में सिंधी बोली और समझी जाती है। सिंधियों की नौजवान पीढ़ी सिंधी भाषा को जानती-समझती है।
ये बात कम लोग ही जानते होंगे कि सिंधियों के अराध्य राम ही हैं। अब भी राजधानी के कुछ झूलेलाल मंदिरों में सिंधी में रामकथा सुनाई जाती है। नवरात्र पर रामकथा का आयोजन अनिवार्य रूप से होता है। यहां के सिंधी लाल कृष्ण आडवाणी की उपलब्धियों पर गर्व करते हैं। अब फतेहपुरी वाले चेना राम सिंधी स्वीट्स की बात करते हैं। शायद आपको पता न हो कि दिल्ली और बिहार से लंबे समय तक रणजी ट्रॉफी खेलने वाले हरि गिडवाणी के परिवार की है चेना राम सिंधी स्वीट्स। अब एक बार फिर बात सेठ फतेह चंद की करते हैं कहते हैं कि वे अपने दिल्ली के सारे प्रोजेक्ट को पूरा करने के बाद हरिद्वार जाकर बस गए। वहां से फिर सिंध लौटे ही नहीं।
हर बरात में घोड़ी हीरानंद वालों की
अगर बात दिल्ली-एनसीआर के सिंधियों की होगी तो करोल बाग के बीडनपुरा वाले हीरानंद सिंधी घोड़ीवाले को अनदेखा नहीं किया जा सकता। सिंधी घोड़ीवाला की शुरुआत करने वाले हीरानंद भी सक्कर शहर से ही थे। वे विभाजन के बाद दिल्ली आ गए थे। सक्कर में तांगा चलाते थे। इसलिए यहां भी पहाड़गंज और आजाद मार्केट के बीच तांगा चलाने लगे। फिर एक-दो घोड़ी खरीद कर उसे शादियों में दूल्हे के लिए देने लगे। उनका यह काम हिट हो गया। अब दिल्ली-एनसीआर की लगभग हरेक शादी में घोड़ी हीरानंद सिंधी वाले की ही होती है।
(विवेक शुक्ला, लेखक व साहित्यकार)
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