10,000 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज में डूबा है डीएमआरसी, 24 सितंबर की बैठक में अहम निर्णय की उम्मीद
Delhi Metro News सुप्रीम कोर्ट ने नौ सितंबर को डीएमआरसी से कहा था कि वह मध्यस्थता के तहत किए गए निर्णय के आधार पर (डीएएमईपीएल) को 7100 करोड़ रुपये का भुगतान करे। इस निर्णय के बाद यह पहली बैठक है।
नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। कोरोना वायरस संक्रमण के लगे झटकों से दिल्ली मेट्रो रेल निगम उबरा भी नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अब उसे दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (डीएएमईपीएल) 7100 करोड़ रुपये चुकाने हैं। बताया जा रहा है कि इसके कई अन्य मुद्दों को लेकर दिल्ली मेट्रो रेल निगम (Delhi Metro Rail Corporation) के निदेशकों की बैठक 24 सितंबर को होगी। इसमें मेट्रो से संबंधित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होगी। बैठक में रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्टर के दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (डीएएमईपीएल) के भुगतान पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। सुप्रीम कोर्ट ने नौ सितंबर को डीएमआरसी से कहा था कि वह मध्यस्थता के तहत किए गए निर्णय के आधार पर (डीएएमईपीएल) को 7100 करोड़ रुपये का भुगतान करे। इस निर्णय के बाद यह पहली बैठक है।
सूत्रों की मानें तो डीएमआसी के बोर्ड आफ डायरेक्टर्स की बैठक में इस बार एयरपोर्ट मेट्रो के मामले में रिलायंस इंफ्रास्ट्र्क्चर को भुगतान पर चर्चा होनी तय है। इसके साथ ही दिल्ली मेट्रो पिछले एक साल से तकरीबन 4000 करोड़ रुपये के कर्ज में डूब गई है, क्योंकि इसका संचालन सामान्य रूप से नहीं हो रहा है। आलम यह है कि सिर्फ 100 फीसद सिटिंग कैपिसिटी के साथ ही मेट्रो दिल्ली और एनसीआर में रफ्तार भर रही है। यहां पर बता दें कि डीएमआरसी के बोर्ड आफ डायरेक्टर्स में दिल्ली और केंद्र सरकार के प्रतिनिधि शामिल हैं।
गौरतलब है कि लाकडाउन से पहले 24 लाख यात्री दिल्ली मेट्रो में सफर करते थे। पिछले कुछ सालों के दौरान दिल्ली मेट्रो का विस्तार भी हुआ है, लेकिन कोरोना वायरस के नियमों के चलते यात्रियों की संख्या पूर्व की तरह नहीं है। कभी दिल्ली मेट्रो की रोजाना कमाई 10 करोड़ के आसपास थी, लेकिन अब यह घटकर लाखों में आ गई है। इसके चलते दिल्ली मेट्रो रेल निगम 4000 करोड़ रुपये के घाटे में चल रही है। उस पर 7100 करोड़ रुपये डीएमआरसी को दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड को देने हैं। ऐसे में यह कर्ज 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का हो गया है। दरअसल, दिल्ली मेट्रो के पास 14000 के आसपास कर्मचारी हैं। उनकी तनख्वाह के साथ दिल्ली मेट्रो के परिचालन पर भी एक निश्चित रकम खर्च होती है। ऐसे में कम मेट्रो यात्रियों की वजह से कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है।
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