दिव्यांग दिवस: एक योग प्रशिक्षक ने दृष्टिहीन बच्चों को योग से दी महारथ, बच्चे मिलकर दिखा रहे अद्भूत कलाबाजी

इन बच्चों ने दृष्टिहीनता की चुनौती को पार कर सफलता का नया आशियाना बनाया है जिसमें उनके योग प्रशिक्षक हेमंत शर्मा ने रंग भरे हैं। उन्होंने दृष्टिहीन बच्चों को योग में ऐसी महारथ दी है कि वह अंधकार की दुनिया से योग की कलाबाजी कर जाते हैं।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Thu, 02 Dec 2021 04:02 PM (IST) Updated:Thu, 02 Dec 2021 04:02 PM (IST)
दिव्यांग दिवस: एक योग प्रशिक्षक ने दृष्टिहीन बच्चों को योग से दी महारथ, बच्चे मिलकर दिखा रहे अद्भूत कलाबाजी
योग अभ्यास करते दृष्टिहीन बच्चे’ सौजन्य-सुधी पाठक

नई दिल्ली [शिप्रा सुमन]। जीवन में प्रकाश का अनुभव नेत्र से होता है लेकिन हेमंत शर्मा वह शिक्षक हैं, जो अंधकार से जूझते बच्चों को योग से रोशन करने में जुटे हैं। आज इन बच्चों ने दृष्टिहीनता की चुनौती को पार कर सफलता का नया आशियाना बनाया है, जिसमें उनके योग प्रशिक्षक हेमंत शर्मा ने रंग भरे हैं। उन्होंने दृष्टिहीन बच्चों को योग में ऐसी महारथ दी है कि वह अंधकार की दुनिया से योग की कलाबाजी कर जाते हैं।

पिछले सात वर्षों से वह दृष्टिबाधित बच्चों को (एक्रोबेटिक) कलाबाजी योग सिखा रहे हैं। अभी हाल ही में नेशनल योगासन स्पोट्र्स फेडरेशन के पैरा योगासन स्पोट्र्स की ओर से इन बच्चों को उत्तराखंड के टनकपुर में आयोजित प्रतियोगिता में शामिल होकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है।

तालमेल है जरूरी

एक्रोबेटिक यानि कलाबाजी योग में दो लोगों का आपसी तालमेल और समझ बहुत जरूरी होती है। एक-दूसरे पर आंख बंद करके भरोसा करना होता है। ऐसे में दृष्टिहीन बच्चों के योग को देखकर अक्सर लोग दांतों तले उंगलियां दबाने को मजबूर हो जाते हैं। यह बच्चे एक-दूसरे की मदद से अलग-अलग तरह की मीनार मिनटों में बना लेते हैं। यह एक-दूसरे को बगैर देखे ही कलाबाजी कर जाते हैं, जो इनके कठिन अभ्यास और समर्पण को प्रदर्शित करता है। विभिन्न प्रतियोगिताओं में अव्वल रह चुके इन बच्चों के बारे में हेमंत ने बताया कि ऐसा करने में उनकी छठी इंद्रियां उनका भरपूर सहयोग करती हैं।

दिव्यांगों को कई स्तर पर मिल रहा सम्मान

हेमंत शर्मा के अनुसार एशिया बुक आफ रिकार्डस और इंडिया बुक रिकार्ड ने माना कि यह इंडिया की दिव्यांग बच्चों की पहली टीम है, जो एक्रोबेटिक योग करती है। उन्होंने बताया कि पिछले माह नवंबर में पैरा योगासन स्पोट्र्स की ओर से टीम के सदस्य जुनैद चौधरी, आकाश शर्मा, भरत मेहता, यश कुमार, संयम मौर्य और अश्वनी को सम्मानित किया गया।

बढ़ता आत्मविश्वास

जो दृष्टिहीन खुद को लाचार और बेबस समझते थे, आज हेमंत के प्रयासों से उनके जीवन में खुशियां हैं। हेमंत बताते हैं कि शुरुआत में उन्होंने बच्चों को प्राणायाम व अन्य प्राथमिक आसान सिखाए, जिससे उनके मन में एकाग्रता बढ़ी और वह बेहतर करने के लिए प्रेरित हुए। पिता के सेवाभाव से प्रेरित होकर वह कई वर्षों से पीतमपुरा के सनातन धर्म पब्लिक स्कूल में बच्चों को योग विधाएं सिखाते हुए उन्हें कलाबाजी से अवगत करा काबिलियत का हुनर विकसित कर रहे हैं।

राष्ट्रपति ने किया सम्मानित

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के समक्ष भी इन छात्रों ने योग प्रतिभा को दिखाया। जब यह बच्चे योग करते हैं तो महसूस नहीं होता कि यह दृष्टिहीन हैं। दृष्टिहीन होने के बावजूद उनकी कला और मेहनत उनके हुनर सबको प्रभावित कर जाती है। इन छात्रों ने फस्र्ट नेशनल एक्सीलेंस अवार्ड, अनमोल पुरस्कार के अलावा फस्र्ट योग ओपन नेशनल चैम्पियनशिप, दिल्ली स्टेट योग चैंपियनशिप जैसी बहुत सी प्रतियोगिताओं में सामान्य वर्ग के छात्रों को भी कड़ी टक्कर दे चुके हैं।

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