दिल्ली में बिजली चोरी पर लगी लगाम, एटीएंडसी लास में 48 फीसद की कमी

पिछले 19 वर्षों में राजधानी में एटीएंडसी लास (कुल तकनीकी व व्यायसायिक नुकसान) में 48 फीसद की कमी आई है। यह नुकसान मुख्य रूप से बिजली की चोरी से होता है। वर्ष 2002 में यह 55 फीसद से ज्यादा था। अब यह घटकर करीब साढे सात फीसद रह गया है।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 05:17 PM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 05:17 PM (IST)
दिल्ली में बिजली चोरी पर लगी लगाम, एटीएंडसी लास में 48 फीसद की कमी
दिल्ली में बिजली चोरी पर लगी लगाम

नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। बिजली चोरी रोकने के लिए लगातार किए जा रहे हैं। बुनियादी ढांचा मजबूत करने के साथ ही बिजली चोरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। आज दिल्ली इस मामले में अन्य राज्यों से बेहतर स्थिति में है। पिछले 19 वर्षों में राजधानी में एटीएंडसी लास (कुल तकनीकी व व्यायसायिक नुकसान) में 48 फीसद की कमी आई है। यह नुकसान मुख्य रूप से बिजली की चोरी से होता है। वर्ष 2002 में यह 55 फीसद से ज्यादा था। अब यह घटकर करीब साढे सात फीसद रह गया है।

पूरे देश में बिजली चोरी बड़ी समस्या है। कुछ दिनों पूर्व केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा है कि वर्ष 2024-25 lतक देश में एटीएंडसी लास 12-15 Hrmo फीसद करने का लक्ष्य रखा गया है। अब यह 19.75 फीसद है। बिजली अधिकारियों का कहना है कि दिल्ली में बिजली वितरण का काम निजी हाथों में सौंपने के बाद से बिजली चोरी पर लगाम लगाने में सफलता मिली है। निजीकरण के पहले दिल्ली में बिजली चोरी की स्थिति चिंताजनक थी। पूर्वी और मध्य दिल्ली में 63 फीसद से ज्यादा नुकसान होता था।

अन्य राज्यों में ज्यादा है नुकसान

केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की वेबसाइट (उदय) पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली की स्थिति अन्य राज्यों से बेहतर है। गुजरात में 9.72 फीसद, तमिलनाडु में 12.46 फीसद, कर्नाटक में 13.8 फीसद, गोवा में 13.11, हरियाणा में 14.50 फीसद, पंजाब में 18.99 फीसद, आंध्र प्रदेश में 19.39 फीसद, राजस्थान में 20.47 फीसद, महाराष्ट्र् में 20.76 फीसद, उत्तर प्रदेश में 24.89 फीसद, मध्य प्रदेश में 26.31 फीसद, छत्तीसगढ़ में 40.45 फीसद, जम्मू-कश्मीर में 67.7 फीसद एटीएंडसी लास है।

95 हजार करोड़ रुपये की बचत

बिजली अधिकारियों का कहना है कि इस समय एटीएंडसी लास में एक फीसद की कमी से लगभग लगभग 250 करोड़ रुपये की बचत होती है। पहले के वर्षों में यह राशि कम थी। एक अनुमान के अनुसार दिल्ली में पिछले 19 वर्षों में एटीएंडसी लास में कमी आने से लगभग 95 हजार करोड़ रुपये की बचत हुई है।

बुनियादी ढांचा पर ध्यान

बिजली वितरण कंपनियों (डिस्काम) का कहना है कि दिल्ली में बढ़ रही बिजली की मांग को पूरी करने और नुकसान में कमी लाने के लिए बुनियादी ढांचे पर इस दौरान लगभग 19 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। वर्ष 2002 में यहां बिजली की अधिकतम मांग 2879 मेगावाट थी। वर्ष 2019 में यह 7409 मेगावाट पहुंच गई थी। इस वर्ष भी 73 सौ मेगावाट से ऊपर मांग पहुंच चुकी है।

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