मजबूत इरादों और हौसलों से टूटेगा मुश्किलों का पहाड़, कोरोना काल में परेशान होने की नहीं है जरूरत

जाने-माने मोटिवेशनल स्पीकर अमित कासलीवाल ने बताया कि बाहरी परिस्थितियां आपको तभी तक प्रभावित करती हैं जब तक आप अपने भीतर की शक्ति से अनजान रहते हैं। आप अपने जीवन के चाहे जिस भी चरण में हों आपमें अद्भुत शक्ति विद्यमान है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Thu, 29 Jul 2021 10:07 AM (IST) Updated:Thu, 29 Jul 2021 10:07 AM (IST)
मजबूत इरादों और हौसलों से टूटेगा मुश्किलों का पहाड़, कोरोना काल में परेशान होने की नहीं है जरूरत
खुद को संभालें और निरंतर काम करने के लिए रहें प्रेरित

नई दिल्ली, यशा माथुर। प्रबंधन की दुनिया में प्राय: तितली का उदाहरण देते हुए आगे बढ़ने की राह को परिभाषित किया जाता रहा है। तितली के अंडे से कैसे एक छोटा-सा कीट निकलता है, फिर वह कैटरपिलर यानी इल्ली का रूप ले लेता है, जो पत्तियां खाकर जिंदा रहता है। फिर उसके चारों तरफ कड़ा खोल बनता है और आखिर में उस कठोर आवरण को तोड़कर एक बहुत सुंदर, रंगबिरंगी और हर एक को आकर्षति करने वाली तितली बाहर निकल कर आती है।

यदि आप कोरोना काल में ऐसा समझ रहे हैं कि आपकी प्रगति रुक गई है, तो ऐसा कदापि नहीं है। यह एक अस्थायी परिस्थिति है। इसमें आप रुकें नहीं। खुद को संभालें और निरंतर काम करने के लिए प्रेरित रहें। मजबूत इरादों और हौसलों से तो पहाड़ भी हिल जाते हैं। माना कि वर्तमान दौर कठिन है, लेकिन इससे निपटने के लिए खुद के व्यवहार में बदलाव लाएं, अपने आप पर भरोसा करें। अगर आप सोच रहे हैं कि कोरोना के चलते हमारे सामाजिक संबंधों में दूरियां बन रही हैं तो उनका समाधान ढूंढ़िए। नाते-रिश्तेदारों-दोस्तों से संवाद का दायरा बढ़ाइए। अगर छात्र हैं और सोचते हैं कि हम पढ़ नहीं पा रहे हैं तो शिक्षक से तालमेल बढ़ाएं। यह समय मूल्यवान है। इसमें हम अपना सोच बदल कर कामयाबी और बेहतरी की राह पर फिर से आगे बढ़ सकते हैं। जहां तक मेरी बात है, मैं तो ऐसा कर पा रहा हूं। आप भी करें, खुद को तितली के रूप में विकसित करें।

विश्वास दिलाएगा जीत :

कैटरपिलर की तरह ही हमारे भीतर भी शक्ति और काबिलियत है, जो हमारे अविकसित व्यक्तित्व को परिपक्व और सुदृढ़ बना सकती है। इस शक्ति को कोरोना जैसी अस्थायी स्थिति प्रभावित नहीं कर सकती। आपका काम आपको सफलता के शिखर पर ले जा सकता है। बस इस विकास पथ पर आपको दृढ़ता से विश्वास करना है। जीवन में आई विषम परिस्थितियों और समस्याओं के लिए बुरा समय या कोई व्यक्ति जिम्मेदार नहीं हो सकता। एक छोटे कैटरपिलर से तितली बनने के लिए आपको विचार रूपी अपने पंखों को विस्तृत करना होगा और पुरजोर शक्ति लगाकर संकल्प के साथ कठिनाई रूपी कड़े खोल को तोड़कर बाहर हवा में उड़ना सीखना होगा।

इस मुश्किल दौर में भी हमें अच्छे समय की आशा नहीं छोड़नी चाहिए। ध्यान रखिए कि इस नाजुक समय में आपका विश्वास डगमगाए नहीं। इसके लिए धैर्य बनाए रखना होगा। जीवन में नित नये अवसर आते हैं। परीक्षा की इस घड़ी में हमें काम करने के नये तरीकों और शैलियों को खोजना होगा। एक छोटा पौधा भी कुछ दिनों में अपना स्वरूप बदल लेता है। तो फिर हम मनुष्य उसी पुराने ढांचे में अपने जीवन की गाड़ी क्यों खींच रहे हैं। समय के अनुसार तब्दीलियां आज के समय की मांग है। हम जिंदगी में किसी भी मोड़ पर हों, अपनी अद्भुत क्षमता को पहचानें। आगे मिलने वाली उपलब्धियों पर ध्यान दें। खुद पर हमारा विश्वास ही हमें जीत दिला सकता है।

जीवन का हो ध्येय:

जो लोग किसी महत्वाकांक्षा के साथ जीते हैं, उनके सामने उनका लक्ष्य और रास्ता स्पष्ट होता है। वे विपरीत परिस्थितियों में भी सकारात्मक रुख के साथ अपने समय को लाभप्रद बना लेते हैं। यही महत्वाकांक्षा उन्हें ऊर्जा देती है, इसका होना बहुत जरूरी है। जिनकी महत्वाकांक्षाएं नहीं होतीं, वे परिस्थितियों को दोष देते रहते हैं, अपनी कठिनाइयों की कहानी सुनाते रहते हैं। इसलिए जीवन का एक ध्येय बनाएं। यह आपकी आंतरिक शक्ति और क्षमता को मजबूत करता है। किसी भी तरह की निराशा को नजरअंदाज करते हुए आपको एक सुनहरे भविष्य की कल्पना करनी होगी। इतिहास में ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे, जब किसी महान लक्ष्य को पाने के लिए लोगों ने विपरीत परिस्थितियों को धता बता संपूर्ण मानव जाति के लिए भलाई का काम किया या कोई महान सफलता अर्जति की। यह जानना बहुत जरूरी है कि मैं कौन हूं? मेरा जन्म क्यों हुआ है? मैं क्या कर सकता हूं? इसके लिए ऐसी गतिविधियों से जुड़ना होगा, जो आपके सोच को बेहतर बनाएं। मन पर नियंत्रण करने में मददगार हों। हम सभी को ऐसी दुनिया बनानी है, जहां सबके भीतर संतोष व सुकून का भाव आए, सभी की प्रगति हो। इन सबके लिए जीवन में लक्ष्य का होना आवश्यक है।

डर है शरीर की ऊर्जा का शत्रु: लाइफ कोच व बैच फ्लावर थेरेपिस्ट इंद्रोनिल मुखर्जी ने बताया कि जब कोरोना जैसा संकट आता है तो सबसे पहले डर की भावना उभर कर आती है। यह हमारे शरीर की ऊर्जा की शत्रु होती है। यह हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता से भी ऊर्जा को पूरी तरह से खींच लेती है और उसे दुर्बल बना देती है। ऐसे में हमारे लिए अपनी इस ऊर्जा को बचाकर रखना महत्वपूर्ण हो जाता है। इसके लिए अपनी जीवनशैली बदलना, जीवन व मृत्यु के डर से बाहर निकलना और अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना आवश्यक हो जाता है। कोरोना के कारण मन में बैठी दहशत ही मानसिक तनाव का प्रमुख कारण है। जिस दिन हमने इसे जीत लिया, समझिए कोरोना को जीत लिया। हम फूलों के अर्क से बनी दवा से इस डर को जीतने में लगे हैं। इसे बैच फ्लावर थेरेपी कहते हैं। इसमें डर के प्रकार को देखते हुए हर फूल की निजी ऊर्जा और कंपन को प्रभावित व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करवाया जाता है। योग की धारणा के अनुसार मानव का अस्तित्व पांच भागों में बंटा है जिन्हें पंचकोश कहते हैं। पंचकोश सिद्धांत के अनुसार हमारे शरीर में पांच कोश होते हैं-अन्नमय कोश, प्राणमय कोश, मनोमय कोश, विज्ञानमय कोश व आनन्दमय कोश। इनमें से विज्ञानमय कोश के जागरण से हमारे भीतर साक्षी भाव उत्पन्न होता है, जिससे हमारी मानसिक और भावनात्मक बाधाएं दूर हो जाती हैं। इससे हमारा मन सचेत व सक्रिय होता है और इस प्रक्रिया में फूलों से बनी दवा कारगर साबित होती है।

(अमित कासलीवाल, जाने-माने मोटिवेशनल स्पीकर हैं)

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