दिल्ली HC की अहम टिप्पणी- लोकतांत्रिक मूल्य समाज का सार और चुनाव लोकतंत्र की आधारशिला

भारतीय दंत परिषद (डीसीआइ) के अध्यक्ष को कार्यमुक्त करने के संबंध में जारी एक आदेश को चुनौती देने वाली डीसीआइ के सदस्यों की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि लोकतांत्रिक मूल्य हमारे समाज का सार हैं और चुनाव लोकतंत्र की आधारशिला हैं।

By Jp YadavEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 07:47 AM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 07:47 AM (IST)
दिल्ली HC  की अहम टिप्पणी- लोकतांत्रिक मूल्य समाज का सार और चुनाव लोकतंत्र की आधारशिला
दिल्ली HC की अहम टिप्पणी- लोकतांत्रिक मूल्य समाज का सार और चुनाव लोकतंत्र की आधारशिला

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। भारतीय दंत परिषद (डीसीआइ) के अध्यक्ष को कार्यमुक्त करने के संबंध में जारी एक आदेश को चुनौती देने वाली डीसीआइ के सदस्यों की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि लोकतांत्रिक मूल्य हमारे समाज का सार हैं और चुनाव लोकतंत्र की आधारशिला हैं। न्यायमूर्ति अमित बंसल की अवकाशकालीन पीठ ने केंद्र सरकार की तरफ से जारी 11 मई के आदेश पर रोक लगाने से इन्कार करते हुए कहा कि ऐसे में जब अध्यक्ष पद का मामला विचाराधीन है और उपाध्यक्ष के चुनाव में कोई बाधा नहीं है तो इसका चुनाव तत्काल कराया जाए।

चुनाव प्रक्रिया को बेहतर तरीके से कराने के लिए पीठ ने सेवानिवृत्त पूर्व न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। पीठ ने कहा कि सिस्तानी चुनाव की प्रक्रिया के संबंध में परिषद के सचिव व अन्य सदस्य से चर्चा करेंगे। पीठ ने कहा कि जब तक उपाध्यक्ष पद का चुनाव नहीं हो जाता है कि तब तक 11 मई, 2021 के केंद्र सरकार के आदेश के तहत डॉ. अशोक खंडेलवाल अध्यक्ष पद का कार्यभार संभालेंगे। 11 मई को आदेश जारी कर केंद्र सरकार ने डीसीआइ के अस्थायी अध्यक्ष डॉ. अशोक खंडेलवाल से डीसीआइ के अध्यक्ष दिबेंदू मजूमदार को कार्यमुक्त करने को कहा था। इस फैसले को डीसीआइ के सदस्य डा. विवेक कुमार समेत चार सदस्यों ने चुनौती दी है।

केंद्र सरकार ने दिबेंदू मजूमदार को नवंबर 2020 में अध्यक्ष पद से हटा दिया था। मजूमदार ने इस फैसले को चुनौती दी है और अदालत ने सुनवाई के बाद 31 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। विवेक कुमार समेत अन्य सदस्यों की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता परमजीत पटवालिया ने दलील दी कि केंद्र सरकार के पास डीसीआइ अध्यक्ष नियुक्त करने का अधिकार नहीं है। अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की नियुक्ति इसके सदस्यों द्वारा की जाती है और केंद्र सरकार सिर्फ अगला अध्यक्ष चुने जाने तक अध्यक्ष को कार्यमुक्त करने का आदेश दे सकती है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को डॉ. अशोक खंडेलवाल की अध्यक्ष पद पर नियुक्ति नहीं करनी चाहिए थी, क्योंकि न तो वे डीसीआइ के सबसे वरिष्ठ सदस्य हैं और न ही सबसे अनुभवी व योग्य सदस्य हैं।

अभूतपूर्व स्थिति के कारण जारी किया आदेश

केंद्र सरकारकेंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए एडिशनल सालिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने दलील दी कि अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद खाली होने की अभूतपूर्व स्थिति और डीसीआइ की कार्यप्रणाली को सामान्य रखने के लिए जनहित में उक्त पदों का चुनाव होने तक डा. अशोक खंडेलवाल की नियुक्ति अस्थायी तौर पर की गई है।

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