Kisan Andolan: मौसम की तरह बदलती रहती है किसान नेता राकेश टिकैत की मांगें, अब उभरने लगा संगठनों में मतभेद
11 माह से दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसानों के आंदोलन के नेता इसे अपनी जीत बताने लगे। सरकार ने कृषि कानून वापस ले लिया अब उसके बाद एमएसपी की गांरटी और किसानों पर दर्ज हुए सभी राज्यों में मुकदमों को वापस लेने की मांग की जाने लगी।
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत की मांगें भी मौसम की तरह बदलती रहती है। सबसे पहले उनकी मांग केंद्र सरकार से तीनों कृषि कानून वापस लेने की थी, गुरू पूर्णिमा के दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों की उस मांग को मान लिया और ये तीनों कानून लोक सभा और राज्यसभा में पेश कर वापस ले लिए गए। 11 माह से दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसानों के आंदोलन के नेता इसे अपनी जीत बताने लगे।
जब केंद्र सरकार ने कृषि कानून वापस ले लिया अब उसके बाद एमएसपी की गांरटी और किसानों पर दर्ज हुए सभी राज्यों में मुकदमों को वापस लेने की मांग की जाने लगी। टिकैत ने तो यहां तक कह दिया कि 26 जनवरी के दौरान जिन ट्रैक्टरों को दिल्ली पुलिस ने बंद किया है अब वो सभी किसानों को वापस दिए जाएं। साथ ही उन पर हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और यूपी में दर्ज सभी 55 हजार से अधिक मुकदमे वापस लिए जाएं। उसके बाद किसान धरना खत्म करने के लिए सोचेगा।
राकेश टिकैत के इन दोनों मांगों पर जोर देने के बाद अब बाकी किसान नेता भी इसी पर जोर देने लगे हैं। किसान नेता चढ़ूनी ने तो यहां तक कह दिया कि जब तक किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस नहीं होंगे और एमएसपी की गारंटी नहीं मिलेगी तब तक किसान वापस नहीं जाएंगे। दो दिन पहले राकेश टिकैत ने अपने इंटरनेट मीडिया एकाउंट से एक नया ट्वीट किया, उन्होंने लिखा कि सरकार हर चीज का निजीकरण करना चाह रही है, इसीलिए कृषि कानून भी बनाए गए थे, अब जब उनको वापस ले लिया गया है अब सरकार बैंकों का निजीकरण करने जा रही है। इसके लिए संसद में बिल भी पेश किया जाएगा। अब वो बैंकों के निजीकरण के खिलाफ भी आंदोलन करने का दम भर रहे हैं। ट्विटर पर उन्होंने लिखा कि अब निजीकरण के खिलाफ देशभर में साझा आंदोलन की जरूरत है। इसके लिए उन्होंने एक पोस्टर भी जारी किया।
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उधर बहादुरगढ़ से प्राप्त जानकारी के अनुसार संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की ओर से एमएसपी की मांग को लेकर सरकार से बातचीत करने के लिए बनाई गई पांच सदस्यीय कमेटी का हरियाणा के किसान संगठनों ने नकार दिया है। उन्होंने टीकरी बार्डर पर पुतला जलाकर इसका विरोध जताया। साथ ही चेतावनी भी दी कि अगर मंगलवार यानि सात दिसंबर तक यह कमेटी भंग नहीं की तो वे भूख हड़ताल शुरू कर देंगे। उनका आरोप है कि कमेटी के सभी सदस्य भाजपा सरकार के चहेते हैं।
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किसान नेता प्रदीप धनखड़ ने कहा कि पंजाब लौटने वाले नेताओं को किसानों के अहम मुद्दे को खत्म करने का कोई अधिकार नहीं है। सात दिसंबर के बाद भी आंदोलन शांतिपूर्वक जारी रहेगा। उन्होंने कमेटी के सदस्यों को भाजपा की ओर से प्रायोजित बताते हुए कहा कि दिल्ली के नेताओं का हरियाणा में घुसने पर सामाजिक बहिष्कार के साथ अंडे मारकर विरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मोर्चे को बताना होगा कि किस मजबूरी में अनुशासित कमेटी की अंदरूनी रिपोर्ट के बावजूद आंदोलन तोड़ने वाले दो किसान नेताओं को दोबारा से कमेटी में शामिल किया गया।
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