अभियोजकों को डिजिटल बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने की मांग, हाई कोर्ट ने मांगा सरकार से जवाब
अभियोजकों को पर्याप्त डिजिटल बुनियादी ढांचा और सुविधाएं प्रदान करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। पीठ ने कहा कि अभियाेजक अदालत के कर्मचारी हैं और समस्या का जल्द निदान होना चाहिए।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। अभियोजकों को पर्याप्त डिजिटल बुनियादी ढांचा और सुविधाएं प्रदान करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल व न्यायमूर्ति एजे भंभानी की पीठ ने दिल्ली अभियोजक कल्याण संघ की याचिका पर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करते हुए सुनवाई 12 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी। पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट और निचली अदालत की व्यवस्था एक है और अगर एक उचित तरीके से काम नहीं करता तो दूसरी की कार्यवाही प्रभावित होती है। पीठ ने कहा कि अभियाेजक अदालत के कर्मचारी हैं और समस्या का जल्द निदान होना चाहिए।
संगठन की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता कुशल कुमार ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न हुई अनिश्चितता की स्थिति से आनलाइन माध्यम से हो रही अदालत की सुनवाई और फाइलिंग प्रक्रिया अब न्यायिक प्रणाली का हिस्सा बन गई है। आनलाइन माध्यम से हो रही सुनवाई में सबसे पहली शर्त ही यही होती है कि इसमें सभी जरूरी सुविधाएं हो, लेकिन राजधानी में लोक अभियोजक इन सुविधाओं से वंचित हैं।
वहीं, पीठ ने दिल्ली सरकार के प्रधान सचिव (कानून) को राज्य द्वारा अपील या आपराधिक अवकाश याचिकाओं पर अदालत को दिए गए अपने पहले के उपक्रम के अनुपालन दिखाने के लिए एक हलफनामा दाखिल करने का भी निर्देश दिया। अक्टूबर 2017 में हाई कोर्ट ने आपराधिक अवकाश याचिकाओं को दाखिल करने में हो रही देरी के मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट ने पंजीकरण का निर्देश दिया था।